बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला देते हुए तीन तलाक को 'असंवैधानिक' व 'मनमाना' करार दिया. तीन तलाक पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा, 'इस्लाम का हिस्सा नहीं' है. पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने दो के मुकाबले तीन मतों से दिए अपने फैसले में कहा कि तीन तलाक को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त नहीं है. कोर्ट के इस फैसले पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, 'इस के साथ ही मुस्लिम महिलाओं के लिए नए युग की शुरुआत होगी.'
शाह ने एक बयान में कहा, "मैं इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करता हूं..यह निर्णय किसी की जीत या हार का नहीं है. यह मुस्लिम महिलाओं के मूल संवैधानिक अधिकारों व उनके समानता के साथ जीने के अधिकार की जीत है."
ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर छह महीने के लिए लगाई रोक
मोदी सरकार की पहली प्रतिक्रिया: तीन तलाक के मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का केंद्र सरकार ने स्वागत किया है. सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय और कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संतोषजनक बताया है. सरकार कहना है कि देश की सर्वोच्च अदालत ने महिलाओं के हक में फैसला सुनाया है. यह लैंगिक बराबरी और सम्मान का मामला है.सरकार का कहना है कि प्रधानमंत्री ने ये कभी नहीं कहा कि यह धर्म से जुड़ा मामला है. कोर्ट का यह फैसला हमारे रुख का समर्थन है.
ये है कोर्ट का फैसला: तीन तलाक पर फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने कहा कि तीन तलाक इस्लाम का मौलिक रूप से हिस्सा नहीं है, यह कानूनी रूप से प्रतिबंधित और इसे शरियत से भी मंजूरी नहीं है.
ये भी पढ़ें: दुनिया के 22 देशों में बैन है तीन तलाक, पाकिस्तान से जुड़ा है दिलचस्प किस्सा
वहीं, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर ने कहा कि तीन तलाक इस्लामिक रीति-रिवाजों का अभिन्न हिस्सा है और इसे संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है.
ये भी पढ़ें: शाह बानो से शायरा बानो तक, करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के लिए बनीं नजीर
न्यायमूर्ति खेहर ने अपने फैसले में संसद से इस मामले में कानून बनाने की अपील की.
वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ तीन तलाक को किया खत्म
उन्होंने अगले छह माह के लिए तीन तलाक पर रोक लगा दी. साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों से अपील की कि वे अपने मतभेदों को भूलकर इससे संबंधित कानून बनाएं.
शाह ने एक बयान में कहा, "मैं इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करता हूं..यह निर्णय किसी की जीत या हार का नहीं है. यह मुस्लिम महिलाओं के मूल संवैधानिक अधिकारों व उनके समानता के साथ जीने के अधिकार की जीत है."
ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर छह महीने के लिए लगाई रोक
मोदी सरकार की पहली प्रतिक्रिया: तीन तलाक के मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का केंद्र सरकार ने स्वागत किया है. सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय और कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संतोषजनक बताया है. सरकार कहना है कि देश की सर्वोच्च अदालत ने महिलाओं के हक में फैसला सुनाया है. यह लैंगिक बराबरी और सम्मान का मामला है.सरकार का कहना है कि प्रधानमंत्री ने ये कभी नहीं कहा कि यह धर्म से जुड़ा मामला है. कोर्ट का यह फैसला हमारे रुख का समर्थन है.
ये है कोर्ट का फैसला: तीन तलाक पर फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने कहा कि तीन तलाक इस्लाम का मौलिक रूप से हिस्सा नहीं है, यह कानूनी रूप से प्रतिबंधित और इसे शरियत से भी मंजूरी नहीं है.
ये भी पढ़ें: दुनिया के 22 देशों में बैन है तीन तलाक, पाकिस्तान से जुड़ा है दिलचस्प किस्सा
वहीं, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर ने कहा कि तीन तलाक इस्लामिक रीति-रिवाजों का अभिन्न हिस्सा है और इसे संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है.
ये भी पढ़ें: शाह बानो से शायरा बानो तक, करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के लिए बनीं नजीर
न्यायमूर्ति खेहर ने अपने फैसले में संसद से इस मामले में कानून बनाने की अपील की.
वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ तीन तलाक को किया खत्म
उन्होंने अगले छह माह के लिए तीन तलाक पर रोक लगा दी. साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों से अपील की कि वे अपने मतभेदों को भूलकर इससे संबंधित कानून बनाएं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं