नई दिल्ली:
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की राज्य में बाढ़ प्रभावित इलाके के दौरे के समय पुलिसकर्मियों द्वारा गोद में उठाए जाने की तस्वीर दो दिन से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. विपक्ष ने भी इसे लेकर शिवराज पर तीखे हमले किए हैं. अब खुद मुख्यमंत्री ने इस मामले में चुप्पी तोड़ी है और उन्होंने कहा कि पुलिसवालों ने जब उन्हें उठाया, उस समय उन्हें इसकी भनक तक नहीं थी.
मुख्यमंत्री ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा, 'पन्ना में एक जगह कुछ ग्रामीणों का एक समूह एक छोटे से पुल के दूसरी तरफ बैठा हुआ था. मैंने उस तरफ चलना शुरू कर दिया. इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता और प्रतिक्रिया देता, सिपाहियों ने मुझे उठा लिया और उस तरफ ले गए.'
इससे पहले सरकारी सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया था कि स्थानीय पुलिसकर्मियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने यह निर्णय लिया था, क्योंकि वे मुख्यमंत्री को चोट पहुंचने या सांपों द्वारा काट लिए जाने का जोखिम नहीं ले सकते थे.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने प्रमुख सचिव एसके मिश्रा को उद्धृत करते हुए खबर दी कि मुख्यमंत्री को 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है और उनके सुरक्षाकर्मी सुनिश्चित होना चाहते थे कि उन्हें बाढ़ के पानी में कोई जहरीला जानवर न काट ले.
पीटीआई ने मिश्रा को उद्धृत करते हुए लिखा, 'वास्तव में चौहान ने उफनते नाले को पार करके अपना जीवन खतरे में डाल लिया था. वे लोगों की समस्याओं के प्रति काफी संवेदनशील हैं. वे बाढ़ पीड़़ित लोगों से लगातार मिल रहे हैं. हमें इसमें कमियां ढूंढ़ने की कोशिश करने की बजाय जनता के प्रति उनकी चिंता और संवेदनशीलता की सराहना करनी चाहिए.'
बता दें कि सोशल मीडिया पर राज्य के जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी शिवराज की दो तस्वीरें वायरल हो रही हैं. उनमें से एक में पुलिसकर्मी उन्हें उठाकर ले जा रहे हैं, जबकि दूसरी तस्वीर में वे नंगे पांव चल रहे हैं और एक सहयोगी उनके जूते उठाए हुए है.
इन तस्वीरों से देश में गहराई तक उतर चुकी वीआपी संस्कृति को लेकर विपक्ष के साथ-साथ सिविल सोसाइटी के लोगों की भी भौंहें तन गई हैं. ट्विटर पर लोग मुखर होकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और विपक्ष का कहना है कि ये तस्वीरें मुख्यमंत्री की 'सामंती मानसिकता' को दर्शाती हैं.
मुख्यमंत्री ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा, 'पन्ना में एक जगह कुछ ग्रामीणों का एक समूह एक छोटे से पुल के दूसरी तरफ बैठा हुआ था. मैंने उस तरफ चलना शुरू कर दिया. इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता और प्रतिक्रिया देता, सिपाहियों ने मुझे उठा लिया और उस तरफ ले गए.'
इससे पहले सरकारी सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया था कि स्थानीय पुलिसकर्मियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने यह निर्णय लिया था, क्योंकि वे मुख्यमंत्री को चोट पहुंचने या सांपों द्वारा काट लिए जाने का जोखिम नहीं ले सकते थे.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने प्रमुख सचिव एसके मिश्रा को उद्धृत करते हुए खबर दी कि मुख्यमंत्री को 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है और उनके सुरक्षाकर्मी सुनिश्चित होना चाहते थे कि उन्हें बाढ़ के पानी में कोई जहरीला जानवर न काट ले.
पीटीआई ने मिश्रा को उद्धृत करते हुए लिखा, 'वास्तव में चौहान ने उफनते नाले को पार करके अपना जीवन खतरे में डाल लिया था. वे लोगों की समस्याओं के प्रति काफी संवेदनशील हैं. वे बाढ़ पीड़़ित लोगों से लगातार मिल रहे हैं. हमें इसमें कमियां ढूंढ़ने की कोशिश करने की बजाय जनता के प्रति उनकी चिंता और संवेदनशीलता की सराहना करनी चाहिए.'
बता दें कि सोशल मीडिया पर राज्य के जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी शिवराज की दो तस्वीरें वायरल हो रही हैं. उनमें से एक में पुलिसकर्मी उन्हें उठाकर ले जा रहे हैं, जबकि दूसरी तस्वीर में वे नंगे पांव चल रहे हैं और एक सहयोगी उनके जूते उठाए हुए है.
इन तस्वीरों से देश में गहराई तक उतर चुकी वीआपी संस्कृति को लेकर विपक्ष के साथ-साथ सिविल सोसाइटी के लोगों की भी भौंहें तन गई हैं. ट्विटर पर लोग मुखर होकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और विपक्ष का कहना है कि ये तस्वीरें मुख्यमंत्री की 'सामंती मानसिकता' को दर्शाती हैं.
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