साल 1991 के बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी की अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला मंगलवार को सुरक्षित रख लिया. सुप्रीम कोर्ट में सुमेध सिंह सैनी की याचिका पर जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की बेंच ने सुनवाई पूरी की. सुप्रीम कोर्ट ने इशारा किया कि वो सैनी को राहत देंगे, क्योंकि ये 30 साल पुराना केस है. वहीं, पंजाब सरकार ने इसका विरोध किया है.
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने सैनी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी ने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. पंजाब सरकार ने कोर्ट में अर्जी दखिल कर कहा है कि कोर्ट बिना राज्य सरकार के पक्ष को सुने कोई आदेश जारी न करें.
सात सितंबर को अग्रिम जमानत तथा जांच सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी से करवाने की मांग को लेकर दाखिल दो अलग-अलग याचिकाओं को खारिज करते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सैनी को बड़ा झटका दिया था. अग्रिम जमानत की मांग खारिज होने के बाद सैनी पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी है. जस्टिस फतेहदीप सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था और फिर अपना फैसला सुनाते हुए सैनी की दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया. 1991 के बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण मामले में पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी आरोपी हैं.
ये है मामला
मामला साल 1990 के दशक का है, जब सुमेध सिंह सैनी चंडीगढ़ के एसएसपी थे. 1991 में उन पर एक आतंकी हमला हुआ. उस हमले में सैनी की सुरक्षा में तैनात चार पुलिसकर्मी मारे गए थे, जबकि सैनी खुद भी जख्मी हो गए थे. उस केस के संबंध में पुलिस ने सैनी के आदेश पर पूर्व आईएएस ऑफिसर दर्शन सिंह मुल्तानी के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी को उठा लिया था. पुलिस ने उसे हिरासत में रखा और फिर बाद में कहा कि वह पुलिस की गिरफ्त से भाग गया. इस दौरान उसकी मौत हो गई जबकि परिजनों का कहना था कि बलवंत की पुलिस के टॉर्चर से मौत हो गई.
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