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This Article is From Apr 25, 2022

बलिया पेपर लीक मामला: गिरफ्तार तीनों पत्रकारों को मिली जमानत, 30 मार्च से थे जेल में बंद

पत्रकार अजित ओझा , दिग्विजय सिंह और मनोज गुप्ता को पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया गया था और ये 30 मार्च से जेल में बंद थे. वहीं आज इन तीनों को जमानत मिल गई है.

बलिया पेपर लीक मामला: गिरफ्तार तीनों पत्रकारों को मिली जमानत,  30 मार्च से थे जेल में बंद
12वीं कक्षा का अंग्रेजी भाषा का परीक्षा प्रश्न पत्र लीक होने के बाद 24 जिलों में ये परीक्षा रद्द हो गई थी.
बलिया:

Ballia Paper Leak Case: उत्‍तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित इंटरमीडिएट की परीक्षा का अंग्रेजी का प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में गिरफ्तार किए गए तीनों पत्रकारों को जमानत मिल गई है. पत्रकार अजित ओझा , दिग्विजय सिंह और मनोज गुप्ता को पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया गया था और ये 30 मार्च से जेल में बंद थे. वहीं आज इन तीनों को जिला एवं सत्र न्यायालय से जमानत मिल गई है.

क्या है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित बोर्ड की 12 वीं कक्षा की अंग्रेजी भाषा की परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक हो गया था. जिसके बाद 24 जिलों में ये परीक्षा रद्द कर दी गई थी. वहीं इस मामले में पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया था. जिसमें तीन पत्रकार भी थे. इन तीनों पत्रकारों की गिरफ्तारी पर काफी हंगामा किया गया था. बलिया संयुक्त पत्रकार संघर्ष समिति के बैनर तले पत्रकारों ने मोर्चा निकाल, इनकी रिहाई की मांग की थी.

पेपर लीक मामले में गिरफ्तार पत्रकार दिग्विजय सिंह का एक वीडियो सामने आया था. पुलिस जब पत्रकार को गिरफ्तार कर सम्बंधित न्यायालय में पेश करने के लिए ले जा रही थी. तब ये जिला प्रशासन के विरुद्ध नारेबाजी कर रहे थे. वीडियो में पत्रकार दिग्विजय सिंह कहते हुए सुनाई दे रहे थे कि बलिया प्रशासन का असली चेहरा सामने आ गया है. उन्होंने कहा कि सूत्रों के जरिए उन्हें लीक प्रश्नपत्र की प्रति मिली थी. जिसे उन्होंने वाराणसी से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित किया था. सिंह ने कहा कि इसके बाद प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार करवा दिया और यह पुलिस का आपराधिक कृत्य है.

वहीं  पत्रकार अजीत कुमार ओझा का आरोप है कि उन्होंने प्रश्नपत्र लीक होने की खबर समाचार पत्र में प्रकाशित की थी. इसके बाद पुलिस उनके समाचारपत्र कार्यालय में पहुंची और कार्यालय में तोड़फोड़ करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया. इसके साथ ही कार्यालय में मौजूद पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया गया. पत्रकार ओझा ने स्वयं को बेकसूर करार देते हुए कहा था कि उन्हें पत्रकार के दायित्व निर्वहन के कारण गिरफ्तार किया गया है.

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