- रेल मंत्री ने राज्यसभा में बालासोर ट्रेन हादसे के लिए लोको पायलट को दोषी नहीं ठहराए जाने की जानकारी दी
- बालासोर रेल हादसे की जांच रेलवे सुरक्षा आयुक्त और सीबीआई ने की, जिनकी रिपोर्ट में लोको पायलट निर्दोष पाया गया
- ओड़िशा हाई कोर्ट ने तीन रेल कर्मचारियों को जमानत दी, जांच में उनके दोष सिद्ध होने के पर्याप्त प्रमाण नहीं मिले
रेलवे ने बालासोर ट्रेन हादसे के लिए लोको पायलट को कभी दोषी नहीं ठहराया. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार (17 दिसंबर) को राज्यसभा में यह जानकारी दी. डीएमके सांसद कलानिधि वीरस्वामी के आरोपों को मंत्री ने खारिज करते हुए कहा कि ऐसे गलत बयान को सदन में स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
रेल मंत्री ने राज्यसभा में क्या कहा?
रेल मंत्री ने डीएमके सांसद के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मैं नाम नहीं लेना चाहता, वरना साथी कहेंगे कि इसमें साम्प्रदायिक एंगल है.” मंत्री का जवाब विपक्षियों के लिए चौंकाने वाला रहा. इस घटना में करीब 300 लोगों की मौत हुई थी और मामले की जांच सीआरएस सहित सीबीआई ने की है.
'किसी भी रिपोर्ट में लोको पायलट दोषी नहीं'
मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सदन को जानकारी देते हुए कहा कि बालासोर रेल हादसे की जांच तकनीकी टीम, रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) और सीबीआई (CBI) ने की है. इन्होंने जांच कर रिपोर्ट जमा कर दी. जांच के आधार पर संबंधित लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है. इन किसी भी रिपोर्ट में लोको पायलट को दोषी ठहराया नहीं गया है.
आरोपियों को हाई कोर्ट से मिली जमानत
ओड़िशा हाई कोर्ट ने पिछले साल इस मामले की सुनवाई करते हुए जांच के दायरे में आए तीनों रेल कर्मचारियों को सशर्त जमानत दे दी थी. कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि जांच में ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं जिससे यह साबित हो सके कि ये तीनों कर्मचारी ही इस दुर्घटना के लिए पूरी तरह जिम्मेदार थे. इस मामले में सीबीआई ने सीनियर सेक्शन इंजीनियर (सिग्नल) अरुण कुमार महंत, सेक्शन इंजीनियर मोहम्मद आमिर खान और टेक्नीशियन पप्पू कुमार को गिरफ्तार किया था.
हाईकोर्ट ने क्या कहा था?
हाईकोर्ट ने कहा था कि इन कर्मचारियों की उपस्थिति और वहां सर्किट से छेड़छाड़, जिसे अभियोजन पक्ष मुख्य मुद्दा बता रहा है, यह कॉक्लुसिवली साबित नहीं करता कि यही तीनों हादसे के अकेले जिम्मेदार हैं. बहनागा बाजार स्टेशन के स्टेशन मास्टर की भूमिका की सही से जांच नहीं की गई, जो कि सीबीआई की जांच पर सवाल खड़े करता है.
न्यायमूर्ति आदित्य कुमार महापात्र ने तीनों कर्मचारियों की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि पूरे मामले को सुनने के बाद अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि यह दुर्घटना रेलवे के उन अधिकारियों, कर्मचारियों और अधिकारियों की सामूहिक लापरवाही का नतीजा है, जो सिग्नल सिस्टम के रखरखाव और संचालन के जिम्मेदार थे. चूंकि सीबीआई जांच पूरी कर चुकी है, इसलिए जमानत दी गई.
मामले की गहन जांच होना जरूरी- हाईकोर्ट
कोर्ट ने यह भी कहा कि इन याचिकाकर्ताओं की भूमिका संदेह के घेरे में जरूर है, लेकिन इस स्तर पर यह मान लेना सही नहीं होगा कि वही इस हादसे के लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं. अदालत ने आगे कहा कि इस मामले की व्यापक और गहन जांच बेहद जरूरी है क्योंकि हादसे में बड़ी संख्या में जान माल का नुकसान हुआ है. जांच में सिग्नलिंग सिस्टम से जुड़े हर अधिकारी और कर्मचारी की भूमिका की गहन पड़ताल होनी चाहिए.
गौरतलब है कि ओडिशा में बालेश्वर जिले के बहानगा बाज़ार के पास हावड़ा-चेन्नई मेन लाइन पर 2 जून 2023 को दो यात्री ट्रेनों में टक्कर हो गई थी, जिसके कारण करीब तीन सौ लोगों की मौत हो गई और बड़ी संख्या में लोंग घायल हुए थे.
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