दुनियाभर में जारी उथल-पुथल के बीच भारतीय इकोनॉमी ठीक रफ्तार से आगे बढ़ रही है. केंद्रीय बैंक RBI से लेकर देसी-विदेशी रेटिंग एजेंसिया और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तक को भारत का GDP ग्रोथ अनुमान बढ़ाना पड़ा है. और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इसमें देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का भी अहम रोल है. हालांकि जर्मनी दौरे पर गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बयान भी इन दिनों सुर्खियों में है. जर्मनी के म्यूनिख में BMW की फैक्ट्री विजिट के दौरान राहुल गांधी ने विदेश दौरे के दौरान कहा कि भारत के विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) सेक्टर में गिरावट आ रही है और ये चिंता का विषय है.
हालांकि इस बयान के विपरीत, ताजा डेटा और इंडेक्स लगातार ये दर्शाते हैं कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर विस्तार और मजबूती की दिशा में अग्रसर है, न कि गिरावट पर. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी इस तरह के डेटा के आधार पर ही राहुल गांधी पर हमला बोला. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि मैन्युफैक्चरिंग पर राहुल गांधी के दावों में दम है या फिर आंकड़े कुछ और कहानी बयां कर रहे हैं.
मैन्युफैक्चरिंग PMI में विस्तार जारी
मैन्युफैक्चरिंग PMI (Purchasing Managers' Index), जो एक प्रमुख संकेतक होता है, वो 50 से ऊपर हो तो इसका मतलब होता है कि मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां विस्तार में हैं, जबकि 50 से नीचे का अंक गिरावट दर्शाता है. अभी जो ताजा आंकड़े सामने आए हैं, उनके मुताबिक, देश का मैन्युफैक्चरिंग PMI 55.7 रहा, जो 50 से काफी ऊपर है. यानी स्पष्ट रूप से ये दिखाता है कि मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां गिरावट नहीं, बल्कि विस्तार में हैं.
बीते महीनों में भी PMI लगातार 50+ के स्तर पर रहा है. अगस्त 2025 में तो ये 59.8 तक जा पहुंचा, जो कि बीते कई महीनों में उच्चतम रहा. PMI के ये आंकड़े यह दिखाते हैं कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर नए ऑर्डर, उत्पादन और रोजगार में विस्तार कर रहा है. ये सेक्टर ठहराव या गिरावट की बजाय सकारात्मक ट्रेंड पर है.
IIP ग्रोथ रेट- कुछ महीनों में उत्पादन बढ़ा है!
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के नवीनतम सरकारी आंकड़े भी थोड़े मिले-जुले संकेत देते हैं. अक्टूबर में IIP ग्रोथ 0.4% रही, जो कि काफी धीमी कही जा सकती है. हालांकि सितंबर में आईआईपी ग्रोथ अच्छी (4%) रही थी. सितंबर 2025 के त्वरित अनुमानों में मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा सकारात्मक रूप से बढ़ा (4.8%) दिखा था. इसी साल जुलाई में तो IIP में साल-दर-साल 3.5% ग्रोथ दर्ज हुई, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग का योगदा 5.4% था. ग्रोथ की ये दरें स्पष्ट संकेत हैं कि प्रोटक्शन लगातार बढ़ रहा है. न कि संकुचित हो रही है. भारतीय मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में सकारात्मक ग्रोथ दिख रही है.
मैन्युफैक्चरिंग का GDP में योगदान
देश में मैन्युफैक्चरिंग का प्रत्यक्ष योगदान GDP में लगभग 17% के आसपास है, जो किसी भी इकोनॉमी के लिए महत्वपूर्ण है. ये सिर्फ उत्पादन की मात्रा में ग्रोथ नहीं बल्कि आर्थिक संरचना में एक स्थिर योगदान को भी दर्शाती है. हालांकि ये सरकार के लक्ष्य (25%) से कम है, फिर भी यह गिरावट का संकेत नहीं, बल्कि व्यापक आर्थिक विकास के बीच एक स्थिर हिस्सेदारी को दर्शाता है.
PLI जैसी योजनाओं का लाभ
सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के प्रभाव से निवेश आकर्षित हुआ है. इससे उत्पादन और रोजगार दोनों को बढ़ावा मिला है, जो मैन्युफैक्चरिंग उत्पादन और निर्यात को समर्थन देता है.
तमाम आंकड़ों को सरसरी निगाह से देखने भर से मालूम पड़ जाता है कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर गिरावट में नहीं है, बल्कि स्थिर और ग्रोथ की स्थिति में है. राहुल गांधी के बयान में 'मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट' जैसी कोई बात नहीं है. देश की मैन्युफैक्चरिंग इकोनॉमी मजबूत आधार पर आगे बढ़ रही है.
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