- पश्चिम बंगाल में TMC के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर बाबरी मस्जिद शैली की मस्जिद का शिलान्यास करने जा रहे हैं
- मस्जिद के शिलान्यास को रोकने की याचिका कलकत्ता हाई कोर्ट ने खारिज कर दी और निर्माण में हस्तक्षेप से इनकार किया
- सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है, राज्यपाल ने शांति बनाए रखने और भड़काऊ बयानों से बचने की अपील की है
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर अपनी जिद पर अड़े हैं. हुमायूं कबीर आज बाबरी मस्जिद शैली की एक मस्जिद का शिलान्यास करने जा रहे हैं, तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं. मस्जिद के शिलान्यास के लिए सऊदी अरब से मौलवियों को बुलाया गया है. समारोह में आने वाले लोगों के लिए बिरयानी का भी इंतजाम किया गया है. मस्जिद के शिलान्यास को रोकने के लिए कुछ लोगों ने अदालत का रुख किया था, लेकिन कलकत्ता हाई कोर्ट ने प्रस्तावित मस्जिद के निर्माण में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी के नेता अर्जुन सिंह ने हुमायूं कबीर को चेतावनी दी है कि अगर वह बाबरी मस्जिद की तर्ज पर प्रस्तावित मस्जिद की आधारशिला रखने की अपनी योजना पर आगे बढ़े, तो वह उन्हें ‘बाबर के पास भेज देंगे'. ऐसे में पश्चिम बंगाल की सरकार ने इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने लोगों से शांति बनाए रखने और भड़काऊ बयानों व अफवाहों से प्रभावित न होने की अपील की है.
सऊदी अरब के मौलवी... 40000 पैकेट बिरयानी तैयार
हुमायूं कबीर द्वारा ‘बाबरी मस्जिद शैली' की मस्जिद के शिलान्यास समारोह स्थल पर शुक्रवार से ही तैयारियां शुरू हो गईं. पूरे समारोह स्थल को बाड़ से कवर कर लिया गया है. इस समारोह में सऊदी अरब के मौलवियों के आने की संभावना है, यहां हजारों लोगों के लिए भोजन तैयार किया जा रहा है, जिसके मद्देनजर अधिकारियों ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है. हुमायूं कबीर राजनीतिक घटनाक्रम और प्रशासनिक दबाव से बेपरवाह दिख रहे हैं. उन्होंने मीडिया से कहा कि शनिवार को मोरादघी के पास 25 बीघा जमीन पर लगभग तीन लाख लोग इकट्ठा होंगे. कबीर ने बताया कि सऊदी अरब से दो काजी सुबह कोलकाता हवाई अड्डे से एक विशेष काफिले में पहुंचेंगे.
150 फुट लंबा और 80 फुट चौड़ा यह मंच
बता दें कि पश्चिम बंगाल के एकमात्र उत्तर-दक्षिण मुख्य राजमार्ग एनएच (राष्ट्रीय राजगमार्ग)-12 के किनारे स्थित विशाल आयोजन स्थल पर तैयारियां उसी जोर-शोर से चल रही हैं जैसी आमतौर पर बड़े स्तर के राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए होती हैं. भीड़ के लिए शाही बिरयानी बनाने के लिए मुर्शिदाबाद की सात खानपान एजेंसियों को कॉन्ट्रेक्ट दिया गया है. विधायक के एक करीबी सहयोगी ने बताया कि मेहमानों के लिए लगभग 40,000 पैकेट और स्थानीय निवासियों के लिए 20,000 पैकेट बनाए जा रहे हैं, जिससे सिर्फ भोजन का खर्च 30 लाख रुपये से अधिक हो जाएगा. आयोजन स्थल का बजट लगभग 60-70 लाख रुपये होगा. करीबी सहयोगी ने बताया कि 150 फुट लंबा और 80 फुट चौड़ा यह मंच लगभग 400 मेहमानों के बैठने की क्षमता के साथ 10 लाख रुपये की अनुमानित लागत से बनाया जा रहा है. आयोजकों ने बताया कि लगभग 3,000 स्वयंसेवक भीड़ को नियंत्रित करने, पहुंच मार्गों को नियंत्रित करने और राष्ट्रीय राजमार्ग-12 पर अवरोधों को रोकने के लिए तैनात किए गए हैं. हुमायूं कबीर ने कहा कि समारोह पूर्वाह्न 10 बजे कुरान की आयतों के साथ शुरू होगा, जिसके बाद दोपहर में आधारशिला समारोह होगा.

मस्जिद के शिलान्यास में कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहे: कलकत्ता हाई कोर्ट
कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को बाबरी मस्जिद की तर्ज पर मस्जिद के निर्माण में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. अदालत की यह टिप्पणी छह दिसंबर को प्रस्तावित 'बाबरी मस्जिद' के लिए निर्धारित शिलान्यास समारोह से पहले आई है, जो मूल ढांचे के विध्वंस की बरसी भी है. गुरुवार को दायर जनहित याचिका में इस आधार पर आयोजन पर रोक लगाने की अपील की गई थी कि इससे क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है. याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की कि अदालत कबीर की भड़काऊ टिप्पणियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करे जिन्होंने कथित तौर पर सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ा है. याचिका में कहा गया है, 'रिट याचिका मुर्शिदाबाद के बेलडांगा ब्लॉक एक में बाबरी मस्जिद के शिलान्यास को, कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए रोकने से संबंधित है. विधायक एक समुदाय के खिलाफ अशोभनीय और अपमानजनक बातें और अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे सार्वजनिक शांति भंग होती है.' आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए,
याचिकाकर्ता के वकील सब्यसाची मुखर्जी ने कहा कि अदालत ने यह सुनिश्चित किया है कि यदि प्रस्तावित आयोजन के दौरान कानून और व्यवस्था नियंत्रण से बाहर हो जाती है तो राज्य को जिम्मेदारी निभानी होगी. मुखर्जी ने कहा, 'हमने केवल इस कार्यक्रम को लेकर क्षेत्र में शांति भंग होने की आशंका व्यक्त की है. हम कभी किसी को अपनी आस्था का पालन करने से नहीं रोकना चाहते. अब राज्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई गड़बड़ी न हो. केंद्र ने भी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती की है और उनके बल क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं.' आदेश को 'संविधान की जीत' बताते हुए कबीर ने कहा कि इस मामले पर अदालत के फैसले ने साबित कर दिया है कि वह 'सही रास्ते पर' हैं.

राज्यपाल ने बनवाया 24x7 'एक्सेस प्वाइंट सेल'
राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के लोगों से शांति बनाए रखने और भड़काऊ बयानों व अफवाहों से प्रभावित न होने का आग्रह किया. उन्होंने यह आग्रह तृणमूल कांग्रेस के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर द्वारा मुर्शिदाबाद जिले में बाबरी मस्जिद की तर्ज पर बनाई गई मस्जिद की आधारशिला रखने से पहले किया है. लोक भवन द्वारा सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर किए गए एक पोस्ट के अनुसार, बोस ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई करें कि कहीं भी कोई अशांति न हो और कानून व्यवस्था बनी रहे. उन्होंने लोकभवन में तत्काल प्रभाव से 24x7 कार्यरत रहने वाला एक 'एक्सेस प्वाइंट सेल' बनाने का भी निर्देश दिया है. इसके अध्यक्ष सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एस के पटनायक होंगे. पोस्ट में कहा गया है, 'लोग फोन या ईमेल के माध्यम से लोक भवन 'एक्सेस प्वाइंट सेल' से संपर्क करने और किसी भी अप्रिय घटना, धमकी या किसी के द्वारा दिए जा रहे भड़काऊ बयान की सूचना देने के लिए स्वतंत्र हैं.'
बीजेपी नेता की हुमायूं कबीर को चेतावनी
भारतीय जनता पार्टी के नेता अर्जुन सिंह ने तृणमूल कांग्रेस के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर को चेतावनी दी कि अगर वह शनिवार को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी मस्जिद' की तर्ज पर प्रस्तावित मस्जिद की आधारशिला रखने की अपनी योजना पर आगे बढ़े, तो वह उन्हें ‘बाबर के पास भेज देंगे.' अर्जुन सिंह ने शुक्रवार को कहा, 'अगर कबीर यहां बाबरी मस्जिद बनाने की कोशिश करेंगे, तो मैं उन्हें बाबर (मुगल बादशाह) के पास भेज दूंगा. कोई आधारशिला समारोह नहीं होगा, यह सब नाटक है. भारत हिंदू बहुल राष्ट्र है। कोई मस्जिद बना सकता है, लेकिन ‘बाबरी' का नाम लेना संविधान का अपमान है.'
कौन हैं हुमायूं कबीर? विवादों में उलझा रहा है सफर
पश्चिम बंगाल में कभी ममता बनर्जी की पहली कैबिनेट में मंत्री रहे और वर्तमान में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सबसे विवादास्पद असंतुष्टों में से एक विधायक हुमायूं कबीर एक बार फिर राजनीतिक सुर्खियों में हैं. हुमायूं कबीर ने इस बार छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर एक और बाबरी मस्जिद की आधारशिला रखने की योजना की घोषणा करके राज्य की राजनीति में भूचाल पैदा कर दिया है. कबीर (62) मुर्शिदाबाद की अल्पसंख्यक राजनीति में शायद सबसे अप्रत्याशित पहलू बनकर उभरे हैं. टीएमसी में उनके विरोधी इसे ‘हुमायूं समस्या' कहते हैं, जबकि उनके समर्थकों को उनका यह अंदाज पसंद है. और कबीर खुद इसे नियति कहते हैं.
हिंदुओं पर दिया था विवादित बयान
तीन जनवरी, 1963 को जन्मे कबीर ने 90 के दशक की शुरुआत में युवा कांग्रेस के जरिए सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया था और 2011 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में रेजिनगर से जीत हासिल की. एक साल बाद, वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए और उन्हें कैबिनेट में जगह मिली. तीन साल बाद, ममता बनर्जी पर उनके भतीजे अभिषेक को लेकर आरोप लगाने के बाद कबीर को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया और इस घटना ने उनकी छवि एक प्रकृति से विरोधी नेता के रूप में स्थापित हुई. अगर राजनीति को एक मैराथन मान लिया जाए तो कबीर लंबी रेस के घोड़े की तरह दौड़ते हैं. कबीर ने 2016 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय के रूप में लड़ा और हार गए। वर्ष 2018 में वे भाजपा में शामिल हुए, 2019 में उन्होंने मुर्शिदाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और हार गए. छह साल का निष्कासन समाप्त होने पर, वह 2021 के चुनाव से ठीक पहले तृणमूल कांग्रेस में लौट आए और भरतपुर सीट से जीत दर्ज की. 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान, 70:30 मुस्लिम-हिंदू अनुपात वाले एक जिले में, उन्होंने दावा किया कि वे 'हिंदुओं को दो घंटे के भीतर भागीरथी में फेंक सकते हैं.' इस टिप्पणी के लिए उन्हें प्रधानमंत्री सहित पूरे देश की आलोचना झेलनी पड़ी, और पार्टी की ओर से एक और कारण बताओ नोटिस भी मिला. महीनों बाद, उन्हें फिर से फटकार लगाई गई और इस बार अभिषेक बनर्जी को उप-मुख्यमंत्री बनाने की बात कहने पर. इसके बाद उन्होंने माफी तो मांगी, लेकिन अनचाहे मन से. तृणमूल से इस निलंबन ने कबीर को भले ही हाशिये पर धकेल दिया हो लेकिन इससे उनके उस मार्ग पर तेजी से बढ़ने की संभावना है जो वह बहुत पहले से तैयार कर चुके थे. उनकी हालिया राजनीतिक बयानबाजी से ऐसे नेता की छवि की झलक नहीं मिलती जो अनुशासनात्मक कार्रवाई से अचंभित है, बल्कि ऐसे नेता की ओर इशारा करती है जो अपने अगले कदम की तैयारी कर रहा है.
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