रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयार है अयोध्या, दुल्हन की तरह सजी नगरी

Ram Lalla Pran Pratishtha: भारत के विभिन्न हिस्सों से 14 दंपती ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के लिए ‘यजमान’ होंगे. इस समारोह के मद्देनजर अनुष्ठान 16 जनवरी को शुरू हुए थे और मंदिर न्यास के महासचिव चंपत राय के अनुसार ये अनुष्ठान 22 जनवरी को संपन्न होंगे. मैसूरु के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की नयी 51 इंच की मूर्ति को बृहस्पतिवार दोपहर को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया.

खास बातें

  • लाखों लोगों बनेंगे प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साक्षी
  • भारत के विभिन्न हिस्सों से 14 दंपती ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के लिए ‘यजमान’
  • पूरा शहर धार्मिंक रंग में रंगा हुआ है
नई दिल्‍ली :

राम भक्तों को वर्षों से जिस पल का इंतजार है, उसके लिए अयोध्या पूरी तरह से तैयार है. भव्य स्तर पर बहु-प्रतीक्षित राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह (Ram Mandir Pran Pratishtha) का आयोजन सोमवार को होगा जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) सभी धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होंगे. इस समारोह के अगले दिन ही यह मंदिर जनता के लिए खोल दिया जाएगा. ‘प्राण प्रतिष्ठा' समारोह अपराह्न 12.20 बजे शुरू होगा और अपराह्न एक बजे तक उसके पूरा होने की संभावना है. इसके बाद प्रधानमंत्री आयोजन स्थल पर संतों और प्रतिष्ठित शख्सियतों समेत 7,000 से अधिक लोगों की सभा को संबोधित करेंगे.

वाशिंगटन डीसी से लेकर सिडनी तक विशेष कार्यक्रम

लाखों लोगों के इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह को टेलीविजन और ऑनलाइन मंचों पर सीधा प्रसारण देखने की उम्मीद है. इसे देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों और ओडिशा ने एक दिन के अवकाश की घोषणा की है, जबकि केंद्र सरकार ने आधे दिन की छुट्टी का एलान किया है. भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या में प्राधिकारी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं. इसके साथ ही देश और विदेश में इस अवसर पर विशेष उत्सव की घोषणा की गयी है। वाशिंगटन डीसी से लेकर पेरिस और सिडनी तक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में 22 जनवरी को कार्यक्रमों की घोषणा की गयी है. ये कार्यक्रम 60 देशों में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) या हिंदू प्रवासी समुदाय द्वारा आयोजित किए जा रहे हैं.

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32 सीढ़ियां चढ़नी होंगी...

भारत के विभिन्न हिस्सों से 14 दंपती ‘प्राण प्रतिष्ठा' के लिए ‘यजमान' होंगे. इस समारोह के मद्देनजर अनुष्ठान 16 जनवरी को शुरू हुए थे और मंदिर न्यास के महासचिव चंपत राय के अनुसार ये अनुष्ठान 22 जनवरी को संपन्न होंगे. मैसूरु के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की नयी 51 इंच की मूर्ति को बृहस्पतिवार दोपहर को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया. एक कपड़े से ढकी आंखों के साथ नयी मूर्ति की पहली तस्वीर शुक्रवार को जारी की गयी. राय ने कहा कि मंदिर में प्रवेश पूर्वी दिशा से होगा और निकासी दक्षिण दिशा से होगी. मंदिर की पूरी संरचना तीन मंजिला होगी. श्रद्धालुओं को मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए पूर्वी दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़नी होगी. पारंपरिक नागर शैली में बना मंदिर परिसर 380 फुट लंबा (पूर्व-पश्चिम दिशा), 250 फुट चौड़ा और 161 फुट ऊंचा होगा. मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फुट ऊंची होगी और उसमें कुल 392 स्तंभ और 44 द्वार होंगे. 

चप्पे-चप्पे पर पुलिसककर्मी तैनात

सरकार इस विशेष दिन के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है और शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. मंदिर नगरी के प्रत्येक मुख्य चौराहे पर कंटीले तारों वाले अवरोध लगाए गए हैं. भूकंप और बाढ़ जैसी घटनाओं के साथ ही रासायनिक, जैविक, रेडियोधर्मी और परमाणु हमलों से निपटने के लिए प्रशिक्षित राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) दलों को भी तैनात किया गया है. प्रशासन ने ठंड के प्रकोप के मद्देनजर किसी भी स्वास्थ्य आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयारियां की हैं. अयोध्या और जिला अस्पतालों और यहां के मेडिकल कॉलेज में बिस्तरों को आरक्षित रखा गया है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में डॉक्टरों को आपात स्थिति से निपटने का प्रशिक्षण दिया है.

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पूरा शहर धार्मिंक रंग में रंगा

भव्य राम मंदिर को फूलों और विशेष रोशनी से सजाया गया है और पूरा शहर धार्मिंक रंग में रंगा हुआ है या यूं कहे कि ‘अयोध्या राममय हो रही है'. यह मंदिर नगरी ‘‘शुभ घड़ी आयी'', ‘‘तैयार है अयोध्या धाम, विराजेंगे श्री राम'', ‘‘राम फिर लौटेंगे'', ‘‘अयोध्या में राम राज्य'' जैसे नारों वाले पोस्टर और होर्डिंग से पटा हुआ है. राम मार्ग, सरयू नदी तट और लता मंगेशकर चौक जैसे अहम स्थानों पर रामायण के विभिन्न श्लोक वाले पोस्टर भी लगाए गए हैं. यहां विभिन्न स्थानों पर रामलीला, भगवत कथा, भजन संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. सरयू नदी का तट भी सजा-धजा है जहां हजारों लोग हर शाम को ‘‘आरती'' के लिए उमड़ रहे हैं.

दिव्य 'मंगल ध्वनि' की गूंज...

देशभर में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, बीमा कंपनियां, वित्तीय संस्थान और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक भी 22 जनवरी को आधे दिन के लिए बंद रहेंगे. एनएसई और बीएसई स्टॉक एक्सचेंज ने भी इस दिन कारोबार न होने की घोषणा की है. अयोध्या में ‘प्राण प्रतिष्ठा' से पहले करीब दो घंटे तक सुनायी देने वाली दिव्य ‘‘मंगल ध्वनि'' में देशभर के 50 पारंपरिक वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जाएगा. अयोध्या के प्रसिद्ध कवि यतींद्र मिश्र द्वारा संचालित इस भव्य संगीतमय प्रस्तुति को नयी दिल्ली की संगीत नाटक अकादमी से सहयोग प्राप्त है.‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' के अनुसार, यह संगीत प्रस्तुति सुबह 10 बजे शुरू होगी. इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश से बांसुरी और ढोलक, कर्नाटक से वीणा, महाराष्ट्र से सुंदरी, पंजाब से अलगोजा, ओडिशा से मर्दला, मध्य प्रदेश से संतूर, मणिपुर से पुंग, असम से नगाड़ा और काली, छत्तीसगढ़ से तंबूरा, बिहार से पखावज, दिल्ली से शहनाई और राजस्थान से रावणहत्था बजाने वाले कलाकर शामिल होंगे. पश्चिम बंगाल के श्रीखोल और सरोद, आंध्र प्रदेश से घटम, झारखंड से सितार, तमिलनाडु से नादस्वरम और मृदंग, और उत्तराखंड से हुड़का कलाकर भी कार्यक्रम में भाग लेंगे. 

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आमंत्रित किये गए 7,000 से अधिक लोगों की लंबी सूची...

समारोह के लिए आमंत्रित किये गए 7,000 से अधिक लोगों की लंबी सूची में, राजकीय अतिथियों की सूची में प्रमुख राजनीतिक नेता, बड़े उद्योगपति, फिल्म अभिनेता, खिलाड़ी, नौकरशाह और राजनयिक शामिल हैं.‘प्राण प्रतिष्ठा' समारोह में भाग ले रहे लोगों में राम जन्मभूमि में मंदिर के लिए आंदोलन करने वाले लोग भी शामिल हैं. बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन, दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी और मशहूर खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर भी आमंत्रित अतिथियों की सूची में शामिल हैं. समारोह के लिए आमंत्रित किए गए विपक्ष के लगभग सभी नेताओं ने समारोह में भाग लेने से इनकार कर दिया है. कांग्रेस ने इसे भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यक्रम बताया है. कई ऐसे लोग भी हैं जो इस सूची में शामिल नहीं हैं लेकिन वे अनूठे अंदाज - पैदल, साइकिल चलाकर और स्केटिंग करके अयोध्या पहुंच रहे हैं. इस भव्य समारोह के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से उपहार भेजे जा रहे हैं जिनमें भगवान राम की तस्वीर वाली चूड़ियों से लेकर 56 किस्म के ‘पेठा' और 500 किलो का लोहे-कांसे का ‘नगाड़ा' और अमरावती से आ रहा 500 किलो ‘‘कुमुकम'' शामिल है.

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