ऑटोनोमस संस्थानों के कर्मियों और पेंशनभोगियों को है 7वें वेतन आयोग का इंतजार
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार के अधीन आने वाले कई स्वायत्त संस्थानों के हजारों कर्मचारी अभी भी सातवें वेतन आयोग के हिसाब से बढ़े वेतन और भत्तों का इंतजार कर रहे हैं. नरेंद्र मोदी सरकार ने 7वें वेतन आयोग के हिसाब से अपने सभी कर्मियों को वेतन और भत्ता देना आरंभ कर दिया है. 1 जनवरी 2016 से इस वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया गया है और अधिकतर विभागों में एरियर भी दे दिए गए हैं लेकिन केंद्र सरकार के अधीन आने वाले स्वायत्त संस्थानों में इसे अभी भी लागू नहीं किया गया है.
अमूमन यह होता रहा है कि जब भी वेतन आयोग की रिपोर्ट आया करती थी, इसे साथ ही में स्वायत्त संस्थानों पर भी यह लागू हुआ करती थी. केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन में केवल एक लाइन अलग से हुआ करती थी जो यह बताती थी कि इस वेतन आयोग की रिपोर्ट समानांतर रूप से केंद्र सरकार के अधीन आने वाले स्वायत्त संस्थानों पर भी लागू होती है.
लेकिन, सातवें वेतन आयोग (पे कमिशन) की रिपोर्ट के नोटिफिकेशन के साथ सरकार ने इस बार स्वायत्त संस्थानों के लिए कुछ नहीं कहा. वेतन आयोग की रिपोर्ट को सरकार द्वारा लागू किए अब लगभग चार महीने होने जा रहे हैं और स्वायत्त संस्थानों को कर्मी अभी भी वेतन वृद्धि का इंतजार कर रहे हैं.
बता दें कि छठे वेतन आयोग (पे कमीशन) की रिपोर्ट लागू करने के एक महीने के भीतर केंद्र सरकार ने 2008 में स्वायत्त संस्थानों पर भी इसे लागू करने के लिए आदेश दे दिया था. इस संबंध में सरकार ने एक के बाद एक तीन आदेश जारी कर इस वेतन आयोग के जरिए वेतन और भत्तों में हुई वृद्धि का लाभ स्वायत्त संस्थानों के कर्मियों को दिया था.
कर्मचारी यूनियनों के संयुक्त संगठन एनजेसीए के संयोजक और ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल शिव गोपाल मिश्रा ने एनडीटीवी को बताया कि सरकार से बातचीत में मुद्दा उठाया गया है. सरकार तक कर्मचारियों को चिंता पहुंचा दी गई है लेकिन सरकार ने स्वायत्त संस्थानों के कर्मचारियों के लिए अभी तक इस वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू नहीं किया है. संगठन का प्रयास है कि सरकार पर इस संबंध में दबाव बनाया जाए ताकि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट का लाभ सभी केंद्रीय कर्मियों को मिले.
मिश्रा ने यह भी बताया कि कई दौरों की बातचीत में तो यह मुद्दा उठाया ही गया साथ ही इस संबंध में कर्माचारियों के संयुक्त संघ ने वित्तमंत्रालय को चिट्ठी लिखकर सीधे इस मामले में जल्द से जल्द दखल देने की अपील भी की.
संघ का कहना है कि 14, 18 और 25 अक्टूबर को सरकार के साथ हुई बैठक में कर्मचारी पक्ष ने सरकारी पक्ष को अपनी मांगों से अवगत कराया था. वहीं कर्मचारी पक्ष का आरोप है कि सरकारी पक्ष ने उनकी बातें तो भले ही सुनी लेकिन वे इसे लागू करने की जल्दी में दिखाई नहीं दे रहे हैं.
संघ ने स्वायत्त संस्थानों को कर्मियों और पेशन भोगियों से अपील की है कि यदि सरकार उनकी बातों पर जल्द कोई फैसला नहीं लेती तब वे भी अन्य केंद्रीय कर्मियों के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल हों.
स्वायत्त संस्थानों के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि इस संबंध में जल्द से जल्द आदेश पारित कर उन्हें सातवें वेतन आयोग के हिसाब से वेतन बढ़ोतरी दी जाए.
अमूमन यह होता रहा है कि जब भी वेतन आयोग की रिपोर्ट आया करती थी, इसे साथ ही में स्वायत्त संस्थानों पर भी यह लागू हुआ करती थी. केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन में केवल एक लाइन अलग से हुआ करती थी जो यह बताती थी कि इस वेतन आयोग की रिपोर्ट समानांतर रूप से केंद्र सरकार के अधीन आने वाले स्वायत्त संस्थानों पर भी लागू होती है.
लेकिन, सातवें वेतन आयोग (पे कमिशन) की रिपोर्ट के नोटिफिकेशन के साथ सरकार ने इस बार स्वायत्त संस्थानों के लिए कुछ नहीं कहा. वेतन आयोग की रिपोर्ट को सरकार द्वारा लागू किए अब लगभग चार महीने होने जा रहे हैं और स्वायत्त संस्थानों को कर्मी अभी भी वेतन वृद्धि का इंतजार कर रहे हैं.
बता दें कि छठे वेतन आयोग (पे कमीशन) की रिपोर्ट लागू करने के एक महीने के भीतर केंद्र सरकार ने 2008 में स्वायत्त संस्थानों पर भी इसे लागू करने के लिए आदेश दे दिया था. इस संबंध में सरकार ने एक के बाद एक तीन आदेश जारी कर इस वेतन आयोग के जरिए वेतन और भत्तों में हुई वृद्धि का लाभ स्वायत्त संस्थानों के कर्मियों को दिया था.
कर्मचारी यूनियनों के संयुक्त संगठन एनजेसीए के संयोजक और ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल शिव गोपाल मिश्रा ने एनडीटीवी को बताया कि सरकार से बातचीत में मुद्दा उठाया गया है. सरकार तक कर्मचारियों को चिंता पहुंचा दी गई है लेकिन सरकार ने स्वायत्त संस्थानों के कर्मचारियों के लिए अभी तक इस वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू नहीं किया है. संगठन का प्रयास है कि सरकार पर इस संबंध में दबाव बनाया जाए ताकि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट का लाभ सभी केंद्रीय कर्मियों को मिले.
मिश्रा ने यह भी बताया कि कई दौरों की बातचीत में तो यह मुद्दा उठाया ही गया साथ ही इस संबंध में कर्माचारियों के संयुक्त संघ ने वित्तमंत्रालय को चिट्ठी लिखकर सीधे इस मामले में जल्द से जल्द दखल देने की अपील भी की.
संघ का कहना है कि 14, 18 और 25 अक्टूबर को सरकार के साथ हुई बैठक में कर्मचारी पक्ष ने सरकारी पक्ष को अपनी मांगों से अवगत कराया था. वहीं कर्मचारी पक्ष का आरोप है कि सरकारी पक्ष ने उनकी बातें तो भले ही सुनी लेकिन वे इसे लागू करने की जल्दी में दिखाई नहीं दे रहे हैं.
संघ ने स्वायत्त संस्थानों को कर्मियों और पेशन भोगियों से अपील की है कि यदि सरकार उनकी बातों पर जल्द कोई फैसला नहीं लेती तब वे भी अन्य केंद्रीय कर्मियों के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल हों.
स्वायत्त संस्थानों के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि इस संबंध में जल्द से जल्द आदेश पारित कर उन्हें सातवें वेतन आयोग के हिसाब से वेतन बढ़ोतरी दी जाए.
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