
- ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ को गलत कदम बताया है.
- एबॉट ने कहा कि अमेरिका के मूल हित पाकिस्तान के बजाय भारत के साथ मजबूत दोस्ती में निहित हैं.
- टोनी एबॉट ने अमेरिकी टैरिफ को एक अस्थायी झटका माना और उम्मीद जताई कि इसे जल्द ही ठीक किया जाएगा.
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर भारी टैरिफ लगाकर गलत कदम उठाया है. एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में बोलते हुए, एबॉट ने वाशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच बढ़ते संबंधों पर निशाना साधा और इस बात पर ज़ोर दिया कि अमेरिका के मूल हित पाकिस्तान की तुलना में भारत के साथ मज़बूत दोस्ती में निहित हैं. उन्होंने कहा, "मैं राष्ट्रपति ट्रंप का समर्थक हूं, लेकिन मुझे लगता है कि उन्होंने हाल ही में भारत पर ये दंडात्मक टैरिफ लगाकर गलत कदम उठाया, खासकर यह देखते हुए कि कई अन्य देश भी ऐसा कर रहे हैं, खासकर चीन. मगर उनके साथ ट्रंप ने इस तरह का व्यवहार नहीं किया."
टोनी एबॉट ने कहा कि शीत युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा की गई बड़ी गलतियों में से एक "उदार लोकतंत्र भारत के बजाय लगातार सैन्य तानाशाही पाकिस्तान की ओर झुकना" था.
दोस्ती की उम्मीद

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 20 वर्षों से अमेरिकी "बहुत समझदारी से इसे सुधारने की कोशिश कर रहे हैं." उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि यह (टैरिफ) एक गंभीर झटका है, लेकिन लोकतांत्रिक देशों के साथ भारत के मूलभूत हितों और मूल्यों को देखते हुए, मुझे लगता है कि यह केवल एक अस्थायी झटका होगा, और उम्मीद है कि इसे जल्द ही ठीक किया जा सकेगा."
आपको बता दें कि ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत का व्यापक टैरिफ लगा दिया है. ये टैरिफ दुनिया में सबसे ज़्यादा टैरिफ में से एक हैं और इनमें रूस के साथ उन लेन-देन पर 25 प्रतिशत का जुर्माना भी शामिल है, जो यूक्रेन में उसके युद्ध के लिए धन का एक प्रमुख स्रोत हैं.
पाकिस्तान पर चेतावनी

पाकिस्तान में शहबाज़ शरीफ़ सरकार के साथ ट्रंप प्रशासन के बढ़ते संबंधों पर कटाक्ष करते हुए, एबॉट ने कहा, "अमेरिका के मूल हित पाकिस्तान की तुलना में भारत के साथ मज़बूत दोस्ती में निहित हैं. भारत के मूल हित तानाशाही देशों की तुलना में साथी लोकतांत्रिक देशों के साथ मज़बूत साझेदारी में निहित हैं." उन्होंने आगे कहा, "पाकिस्तान ने आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका के साथ इतना घनिष्ठ सहयोग किया कि उसने (ओसामा) बिन लादेन को एक दशक से भी ज़्यादा समय तक पनाह दी. पाकिस्तान में अच्छे लोग हैं, लेकिन यह अभी भी मूलतः एक सैन्य समाज है, जिसमें कट्टर इस्लामी रुझान है. भारत बिल्कुल अलग है. मैं यह नहीं कह रहा कि अमेरिका को किसी भी तरह पाकिस्तान के साथ काम नहीं करना चाहिए, लेकिन उसे यह जानना ज़रूरी है कि उसके बेहतर दोस्त कहां हैं."
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