प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
इस साल मॉनसून सामान्य रहने का अनुमान है. सोमवार को मौसम विभाग ने इस साल जून से सितंबर के बीच दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीज़न के दौरान बारिश का पूर्वानुमान जारी किया. इस साल पिछले दस साल के औसत के मुकाबले 97 फ़ीसदी बारिश होने के आसार हैं. किसानों के लिए ये राहत की ख़बर है. हालांकि पिछले कुछ सालों से देश में सूखे और बाढ़ का साझा कहर खेती को तबाह करता रहा है. साफ है, मौसम विभाग का अनुमान है, मॉनसून मेहरबान रहेगा. मौसम विभाग के डीजी केजे रमेश ने एनडीटीवी से कहा, "इस बार दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य रहने की उम्मीद है. ये किसानों के लिए राहत की खबर है."
ये पूर्वानुमान ऐसे वक्त आया है जब दक्षिण भारत के कुछ राज्य पानी के संकट से जूझ रहे हैं. केरल सरकार 27 मार्च को राज्य के 14 ज़िलों में से 9 ज़िलों को सूखा-ग्रस्त घोषित कर चुकी है. राज्य के प्रभावित ज़िलों में टैंकरों से पानी पहुंचाने के लिए बड़े स्तर पर पहल की गयी है. साफ है, केरल के सूखा प्रभावित किसानों को देश में मॉनसून का सबसे ज़्यादा इंतज़ार है. के जे रमेश कहते हैं, "दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आम तौर पर केरल 1 जून तक पहुंचता है, इस साल किस दिन पहुंचेगा ये 15 मई तक ही साफ हो पाएगा."
पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच औसत से कम बारिश हुई है जिसका असर देश के बड़े हिस्से में साफ तौर पर दिख रहा है. सबसे ज़्यादा चिंता उत्तर भारत को लेकर है जहां 2013 के बाद से कुछ राज्यों में सूखा पड़ चुका है. इस इलाके के 6 बड़े जलाशयों में सिर्फ 20% पानी बचा है जो पिछले साल इस समय 23% था.
वैसे मॉनसून की बारिश भारत की राजनीति को भी प्रभावित करती है. प्रधानमंत्री के आख़िरी साल में ये ख़बर उनके लिए भी राहत देने वाली है. बारिश अच्छी और फ़सल अच्छी हुई तो किसानों की नाराज़गी कुछ कम होगी.
ये पूर्वानुमान ऐसे वक्त आया है जब दक्षिण भारत के कुछ राज्य पानी के संकट से जूझ रहे हैं. केरल सरकार 27 मार्च को राज्य के 14 ज़िलों में से 9 ज़िलों को सूखा-ग्रस्त घोषित कर चुकी है. राज्य के प्रभावित ज़िलों में टैंकरों से पानी पहुंचाने के लिए बड़े स्तर पर पहल की गयी है. साफ है, केरल के सूखा प्रभावित किसानों को देश में मॉनसून का सबसे ज़्यादा इंतज़ार है. के जे रमेश कहते हैं, "दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आम तौर पर केरल 1 जून तक पहुंचता है, इस साल किस दिन पहुंचेगा ये 15 मई तक ही साफ हो पाएगा."
पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच औसत से कम बारिश हुई है जिसका असर देश के बड़े हिस्से में साफ तौर पर दिख रहा है. सबसे ज़्यादा चिंता उत्तर भारत को लेकर है जहां 2013 के बाद से कुछ राज्यों में सूखा पड़ चुका है. इस इलाके के 6 बड़े जलाशयों में सिर्फ 20% पानी बचा है जो पिछले साल इस समय 23% था.
वैसे मॉनसून की बारिश भारत की राजनीति को भी प्रभावित करती है. प्रधानमंत्री के आख़िरी साल में ये ख़बर उनके लिए भी राहत देने वाली है. बारिश अच्छी और फ़सल अच्छी हुई तो किसानों की नाराज़गी कुछ कम होगी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं