दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब नीति घोटाला (Delhi Liquor Policy Case) मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं. ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को उनको हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली. उन्होंने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. अगर उनकी हाई कोर्ट के आदेश वाली चुनौती आज सुप्रीम कोर्ट में नहीं आती है तो दिल्ली के मुख्यमंत्री को अगले चार दिनों तक तिहाड़ जेल में ही रहना होगा. दरअसल अगले चार दिनों के लिए सुप्रीम कोर्ट बंद रहेगा. सुप्रीम कोर्ट के कैलेंडर के मुताबिक, गुरुवार को ईद-उल-फितर की छुट्टी है, शुक्रवार को स्थानीय अवकाश है और फिर वीकेंड आ जाएगा. इस वजह से सुप्रीम कोर्ट चार दिन बाद सीधे सोमवार को ही खुलेगा.
Video : दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद अरविंद केजरीवाल ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
केजरीवाल के वकील की CJI से अपील
अरविंद केजरीवाल के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने आज सुबह देश के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के सामने मामले को उठाते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की. हालांकि सीजेआई ने यह नहीं बताया कि आज सुनवाई की अनुमति दी जाएगी या नहीं. उन्होंने कहा, ''हम देखेंगे, हम इस पर गौर करेंगे.'' सीजेआई ने कहा कि वह दिन में उचित आदेश पारित करेंगे.
ED की गिरफ्तारी को अदालत में चुनौती
बता दें कि शरबा नीति घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. उन्होंने इस गिरफ्तारी को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे मंगलवार को अदालत ने खारिज कर दिया. हालांकि यह शराब नीति अब रद्द हो चुकी है. हाई कोर्ट ने माना कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कई समन जारी होने के बाद भी अरविंद केजरीवाल पेश नहीं हुए. जिसके बाद ईडी के बाद 'बहुत कम विकल्प" बचे थे. हाई कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को भी सही माना.
"आम आदमी और CM के लिए अलग प्रोटोकॉल नहीं"
अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक जांच एजेंसी के लिए एक आम आदमी और एक मुख्यमंत्री से पूछताछ के लिए कोई अलग प्रोटोकॉल नहीं है. इसके अलावा कोर्ट ने माना कि अदालत कानूनों की दो अलग-अलग श्रेणियां नहीं बनाएगा.कोर्ट ने कहा कि ये ध्यान दिया जाना चाहिए कि कानून जांच की प्रक्रिया के दौरान आम लोगों और केजरीवाल जैसे सार्वजनिक व्यक्ति के बीच अंतर नहीं कर सकता है. ये दलील खारिज की जाती है कि केजरीवाल से वीसी के जरिए पूछताछ की जा सकती थी. ये तय करना आरोपी का काम नहीं है कि जांच कैसे की जानी है. ये अभियुक्त की सुविधा के अनुसार नहीं हो सकता. ये न्यायालय दो प्रकार के कानून स्थापित नहीं करेगा. एक आम जनता के लिए और दूसरा लोक सेवकों के लिए. मुख्यमंत्री सहित किसी के लिए कोई विशेष विशेषाधिकार नहीं हो सकता.
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