
चीन 60000 मेगावॉट बिजली पैदा करने की क्षमता के लिए अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh)की सीमा से लगे तिब्बत (Tibet Region) में यरलुंग त्संगपो नदी पर ‘सुपर डैम' बना रहा है. चीन के ‘सुपर डैम'बनाने के कारण संभावित खतरों को ‘काउंटर' करने के लिए केंद्र सरकार ने सियांग नदी (अरुणाचल में यरलुंग त्संगपो नदी का नाम) को बचाने के लिए एक बड़ा बैराज बनाने का प्रस्ताव दिया गया है. अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू ने इस विचार पर तेजी से काम करने की गुजारिश की है.
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू (Pema Khandu)ने बुधवार को विधानसभा में शून्यकाल चर्चा के दौरान चेतावनी दी कि अगर भारत तिब्बत के मेडोग जिले में यारलुंग त्संगपो नदी पर 'सुपर डैम' बनाने के चीन के फैसले पर प्रतिक्रिया स्वरूप काम शुरू नहीं करता है, तो उनके राज्य और पड़ोसी राज्य असम में बाढ़ सहित पर्यावरणीय आपदाएं आएंगी.
दरअसल, चीन जिस यरलुंग त्संगपो (Yarlung Tsangpo) नदी पर सुपर डैम बनाने जा रहा है, वो मेडोग बॉर्डर पर है. यह जगह अरुणाचल के बिल्कुल करीब है, जहां से ये नदी भारत में प्रवेश करती है. भारत की चिंता यह है कि इस डैम के बनने से चीन, ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra river) के प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है. यरलुंग त्संगपो नदी, तिब्बत से होकर अरुणाचल प्रदेश और फिर असम में प्रवेश करती है और ब्रह्मपुत्र में मिल जाती है. अरुणाचल प्रदेश में इस नदी का नाम सियांग है जबकि असम में इसे ब्रह्मपुत्र कहा जाता है. ब्रह्मपुत्र पर चीन के सुपर डैम बनाने की योजना पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि वह सभी घटनाक्रमों पर नजर बनाए हुए है.
मुख्यमंत्री खांडू ने शून्यकाल चर्चा के दौरान कहा, “अतिरिक्त पानी की स्थिति में, हमें बाढ़ से खुद को बचाने के लिए बड़ी संरचनाओं की आवश्यकता है… केंद्र ने भी चिंता व्यक्त की है और बैराज बनाने की योजना बनाई है, ताकि हम सियांग को जीवित रख सकें.”
भौगोलिक सर्वेक्षण को रोक रहे थे कुछ लोग
खांडू ने कहा कि सियांग घाटी में कुछ सदस्य सरकार के प्रारंभिक भौगोलिक सर्वेक्षण कार्य को रोक रहे थे. उन्होंने कहा कि वह ग्रामीणों से सहयोग करने और प्रस्तावित बैराज के लिए सर्वेक्षण और जांच कार्य की अनुमति देने का अनुरोध करने के लिए व्यक्तिगत रूप से क्षेत्र का दौरा करने की योजना बना रहे हैं.
2060 तक कार्बन न्यूट्रलिटी का टागरेट हासिल करना है चीन का लक्ष्य
बता दें कि 2060 तक कार्बन न्यूट्रलिटी का टागरेट हासिल करने के लिए चीन ने तिब्बत में हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है. यरलुंग त्संगपो नदी पर बनने वाला 60 गीगावाट की क्षमता वाला नया बांध आकार और क्षमता दोनों में चीन के उस थ्री गॉर्जेस बांध (Three Gorges Dam) को पीछे छोड़ देगा, जो इस समय दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रो इलेक्ट्रिक ग्रेविटी डेम है. थ्री गॉर्जेस बांध चीन के हुबेई प्रांत के यिचांग के यिलिंग जिले में स्थित सैंडौपिंग शहर के पास यांग्त्ज़ी नदी तक फैला है.इसकी क्षमता 22,500 मेगावाट बिजली उत्पादन की है.
चीन का अब तक 11 हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट तैयार
यरलुंग त्संगपो (ब्रह्मपुत्र) नदी पर चीन अब तक 11 हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट तैयार कर चुका है. इन बांधों के कारण नदी के बहाव में असामान्य बदलाव देखने को मिला है. 11 हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स में सबसे बड़ा जांगमू है. इसकी शुरुआत 2015 में हुई थी. जांगमू हाइड्रोपावर स्टेशन को 1.5 बिलियन डॉलर (लगभग 9764 करोड़ रुपये) की लागत से बनाया गया है.
तिब्बत के 8 शहरों में भी चीन बना रहा बांध
बता दें कि तिब्बत के 8 शहरों में भी चीन बांध बना चुका है या बनाने वाला है. ये शहर हैं-बायू, जिशि, लांग्टा, दाप्का, नांग, डेमो, नाम्चा और मेतोक.
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