चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा से कुछ दिन पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और इस वजह से राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई है. वैसे तो उन्होंने अपने इस्तीफा देने का कारण निजी बताया है लेकिन एनडीटीवी के सूत्रों के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के साथ मतभेद होने की वजह से उन्होंने इस्तीफा दिया है.
कांग्रेस ने इस पर "गहरी चिंता" व्यक्त की है और कहा है कि यदि इस तरह से स्वतंत्र संस्थान खुद पर दबाव महसूस करेंगे तो यह अच्छी स्थिति नहीं है. यदि इस तरह की स्थिति बनी रहती है तो यह स्वतंत्र लोकतंत्र के लिए खतरा है. इसके बाद इस बात पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आगामी चुनाव निष्पक्ष रूप से कराए जाएंगे भी कि नहीं?
एक्स पर एक पोस्ट करते हुए कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लिखा, "चुनाव आयोग या चुनाव चूक? भारत के पास अब केवल एक ही चुनाव आयुक्त है, जब्कि कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा होने वाली है. ऐसा क्यों? जैसा कि मैंने पहले कहा था, अगर हमने अपने स्वतंत्र संस्थानों के व्यवस्थित विनाश को नहीं रोका तो हमारा लोकतंत्र तानाशाही द्वारा हड़प लिया जाएगा."
मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया कि ईसीआई अब गिरने वाली अंतिम संवैधानिक संस्थाओं में से एक होगी. कांग्रेस के अध्यक्ष ने लिखा, "चूंकि चुनाव आयुक्त के चयन की नई प्रक्रिया ने अब प्रभावी रूप से सारी शक्तियां सत्तारूढ़ दल और प्रधानमंत्री को दे दी हैं, तो कार्यकाल पूरा होने के 23 दिन बाद भी नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति क्यों नहीं की गई? मोदी सरकार को इन सवालों का जवाब देना चाहिए और इसके लिए उचित स्पष्टिकरण भी देना चाहिए."
Election Commission or Election OMISSION?
— Mallikarjun Kharge (@kharge) March 9, 2024
India now has only ONE Election Commissioner, even as Lok Sabha elections are to be announced in few days. Why?
As I have said earlier, if we do NOT stop the systematic decimation of our independent institutions, our DEMOCRACY shall…
बता दें कि अरुण गोयल ने शनिवार को लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों की घोषणा होने से महज कुछ दिन पहले ही इस्तीफा दे दिया है. उनका कार्यकाल 5 दिसंबर 2027 तक था और अगले साल फरवरी में मौजूदा राजीव कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद वह मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) बन जाते.
भारत के चुनाव आयोग, जिसमें तीन सदस्य हैं, पहले से ही एक स्थान खाली था और अब अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही रह गए हैं. सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों की घोषणा अगले हफ्ते की जा सकती हैं. हालांकि, अरुण गोयल द्वारा अचानक इस्तीफा दिए जाने के बाद माना जा रहा है कि चुनावों की तारीखों की घोषणा में थोड़ा वक्त लग सकता है.
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने भी चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं के कामकाज में पारदर्शिता की कमी की आलोचना की और सरकार द्वारा डाले गए कथित दबावों को उजागर किया है. कांग्रेस महासचिव ने कहा, "यह हैरान कर देने वाला है, चुनावों की घोषणा से कुछ वक्त पहले ही चुनाव आयुक्त ने इस्तीफा दे दिया है. अब केवल एक ही चुनाव आयुक्त हैं. चुनाव आयोग के साथ ये क्या हो रहा है? इसे लेकर पूरा देश घबराया हुआ है. देश की सरकार मुक्त और स्वतंत्र चुनाव नहीं चाहती है."
वेणुगोपाल ने अशोक लवासा के मामले का हवाला देते हुए 2019 के चुनावों की तुलना की, जिन्होंने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए प्रधान मंत्री को क्लीन चिट देने के खिलाफ असहमति जताई थी. उन्होंने लोकतांत्रिक परंपराओं को बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को पूरी तरह से गैर-पक्षपातपूर्ण रहने की आवश्यकता पर बल दिया.
वेणुगोपाल ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, "अशोक लवासा ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए पीएम को क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ असहमति जताई थी. बाद में, उन्हें लगातार पूछताछ का सामना करना पड़ा. यह रवैया दर्शाता है कि शासन लोकतांत्रिक परंपराओं को नष्ट करने पर तुला हुआ है."
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