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This Article is From Nov 24, 2020

महाराष्ट्र विधानसभा के सहायक सचिव ने SC में कहा, स्पीकर के कहने पर भेजी अर्नब को चिट्ठी

एमिकस अरविंद दातार ने कहा कि स्पीकर को नोटिस जारी किया जाना चाहिए क्योंकि सहायक सचिव ने कहा है कि वह स्पीकर के एजेंट के रूप में काम कर रहे थे.

महाराष्ट्र विधानसभा के सहायक सचिव ने SC में कहा, स्पीकर के कहने पर भेजी अर्नब को चिट्ठी
अवमानना नोटिस पर महाराष्ट्र विधानसभा के सहायक सचिव का सुप्रीम कोर्ट में जवाब (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) को विशेषाधिकार हनन नोटिस जारी होने के मामले में महाराष्ट्र विधानसभा के सहायक सचिव ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपना पक्ष रखा. कारण बताओ नोटिस का जवाब देते हुए महाराष्ट्र विधानसभा के सहायक सचिव ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि स्पीकर के कहने पर उन्होंने अर्नब गोस्वामी को चिट्ठी भेजी थी. गोस्वामी की ओर से हरीश साल्वे ने कहा कि स्पीकर को भी नोटिस जारी किया जाना चाहिए. 

सहायक सचिव की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा, "कोई अवमानना नहीं है और न ही न्याय के प्रशासन को बाधित करने का कोई प्रयास किया गया है. अर्नब से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विधानसभा कार्यवाही क्यों रखी गई ये पूछा गया था इससे न्याय प्रशासन में कोई बाधा नहीं हुई. यह तब तक नहीं हो सकता जब तक कि यह नहीं दिखाया जाता है कि यह अवमानना है. 

सीजेआई ने कहा कि यह दूसरा रास्ता है. स्पीकर को कल यह तर्क नहीं देना चाहिए कि उन्हें इस अदालत ने नहीं सुना था. एमिकस अरविंद दातार ने कहा कि स्पीकर को नोटिस जारी किया जाना चाहिए क्योंकि सहायक सचिव ने कहा है कि वह स्पीकर के एजेंट के रूप में काम कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्होंने जवाब पढ़ा नहीं है. अदालत दो हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगी. विधानसभा सचिव को व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी गई है. 

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पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव को अर्नब गोस्वामी को धमकी वाला पत्र भेजने के लिए अवमानना नोटिस जारी किया था. साथ ही इस मामले में अर्नब के खिलाफ कठोर कदम उठाने से भी रोक दिया था. दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा की ओर से अर्नब गोस्वामी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस जारी हुआ था, जिसके खिलाफ अर्नब गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद उन्हें सचिव की ओर से एक पत्र भेजा गया. शीर्ष न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश ने कहा था, "कोई इस तरह से कैसे डरा सकता है? इस तरह से धमकियां देकर किसी को अदालत में आने से कैसे रोका जा सकता है? हम इस तरह के आचरण की सराहना नहीं करते हैं." 

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SC ने महाराष्ट्र विधानसभा सचिव को दो सप्ताह में कारण बताने के लिए कहा था. साथ ही नोटिस में कहा कि विधानसभा नोटिस दिखाने पर अर्नब गोस्वामी को धमकी देने के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेषाधिकार मामले में अर्नब की गिरफ्तारी न हो. 

वीडियो: अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत

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