युद्ध क्षमताओं को बढ़ावा, टेक्नोलॉजी में परिवर्तनकारी सुधार की योजना बना रही सेना

सेना के शीर्ष अधिकारियों ने ‘आत्मनिर्भरता’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए भविष्य की क्षमता विकास की दिशा में विशिष्ट प्रौद्योगिकी को शामिल करने के लिए संगठनात्मक और प्रक्रियात्मक परिवर्तन करने की भी प्रतिबद्धता जताई. इसने कहा कि इस पहल को और बढ़ावा देने के लिए कोष के वास्ते एक अलग मद बनाने का विकल्प तलाशा जाएगा.

युद्ध क्षमताओं को बढ़ावा, टेक्नोलॉजी में परिवर्तनकारी सुधार की योजना बना रही सेना

नई दिल्ली:

सेना भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के समग्र प्रयासों के तहत परिवर्तनकारी सुधार करने की योजना बना रही है. शीर्ष सैन्य कमांडरों ने सुरक्षाबलों के समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए युद्ध क्षमता को बढ़ाने और एक प्रतिद्वंद्वी बल के रूप में कार्य करने के लिए एक मजबूत व्यावहारिक संगठन बनाने की व्यवहार्यता पर काम करने का निर्णय लिया है.

कमांडरों ने एक सम्मेलन में सैन्य बल की मानव संसाधन प्रबंधन नीति को संशोधित करने का भी निर्णय लिया, ताकि प्रौद्योगिकी-सक्षम भविष्य के लिए तैयार भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में इसे और अधिक उन्नत बनाया जा सके. 

सेना के शीर्ष अधिकारियों ने ‘आत्मनिर्भरता' पर ध्यान केंद्रित करते हुए भविष्य की क्षमता विकास की दिशा में विशिष्ट प्रौद्योगिकी को शामिल करने के लिए संगठनात्मक और प्रक्रियात्मक परिवर्तन करने की भी प्रतिबद्धता जताई. इसने कहा कि इस पहल को और बढ़ावा देने के लिए कोष के वास्ते एक अलग मद बनाने का विकल्प तलाशा जाएगा.

सेना के शीर्ष अधिकारियों ने एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लिया जिसके तहत सैन्य बल की मानव संसाधन प्रबंधन नीतियों को संशोधित किया जाएगा और प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे के साथ विशिष्ट प्रौद्योगिकी को जोड़ा जाएगा.

इसने बयान में कहा, ‘‘संशोधित नीति प्रौद्योगिकी-सक्षम भविष्य के लिए तैयार भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में अधिक सहायक और उन्नत होगी.'' कमांडरों ने संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में उन्नत क्षमता निर्माण एवं बुनियादी ढांचे के विकास के प्रयासों में तालमेल बैठाने के लिए अन्य मंत्रालयों के साथ सहयोग करने के अधिक अवसर तलाशने का भी निर्णय लिया.

सैन्य कमांडरों का सम्मेलन मंगलवार को दिल्ली में संपन्न हुआ. यह द्विवार्षिक कार्यक्रम 28 मार्च को थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे की अध्यक्षता में एक ऑनलाइन सत्र के साथ शुरू हुआ था. इसके बाद एक और दो अप्रैल को आमने-सामने की चर्चा हुई.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को शीर्ष कमांडरों को संबोधित करते हुए कहा था कि देश में सबसे भरोसेमंद संगठनों में से एक के प्रति देश के करोड़ों नागरिकों का अगाध विश्वास है. उन्होंने देश की ‘‘रक्षा और सुरक्षा'' दृष्टि को सफलतापूर्वक नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए सैन्य नेतृत्व की सराहना की थी और कहा था कि राष्ट्र निर्माण में सेना की भूमिका अहम है.

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हर जरूरत के समय नागरिक प्रशासन को सहायता प्रदान करने के अलावा, देश की सीमाओं की रक्षा करने और आतंकवाद से लड़ने में सेना द्वारा निभाई गई बेहतरीन भूमिका को रेखांकित किया था. सम्मेलन को प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी ने भी संबोधित किया था.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)