संघर्ष और आतंकवाद के दुष्प्रभाव को रोके जा सकने की कोई भी उम्मीद अब संभव नहीं : जयशंकर

जयशंकर ने आतंकवाद की चुनौती और शासन कला के रूप में इसके इस्तेमाल पर भी बात की. उनकी इन टिप्प्णियों को विभिन्न आतंकी समूहों को पाकिस्तान के समर्थन के संदर्भ के तौर पर देखा जा रहा है.

नई दिल्ली:

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि संघर्ष और आतंकवाद के दुष्प्रभाव को रोके जा सकने की कोई भी उम्मीद अब संभव नहीं है. जयशंकर ने दुनियाभर में हो रही भू-राजनीतिक उथल-पुथल के संबंध में एक कार्यक्रम में कहा कि पश्चिम एशिया में अभी जो हो रहा है, उसका प्रभाव अब भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है.

विदेश मंत्री ने रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया में विभिन्न संघर्षों के परिणामों का असर नजदीकी भौगोलिक क्षेत्रों से कहीं अधिक दूर तक देखा जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न क्षेत्रों में छोटी-छोटी घटनाएं होती रहती हैं, जिनके प्रभाव की अनदेखी नहीं की जा सकती है.''

जयशंकर ने आतंकवाद की चुनौती और शासन कला के रूप में इसके इस्तेमाल पर भी बात की. उनकी इन टिप्प्णियों को विभिन्न आतंकी समूहों को पाकिस्तान के समर्थन के संदर्भ के तौर पर देखा जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘इसका एक कम औपचारिक संस्करण भी है, जो बहुत व्यापक है. मैं आतंकवाद के बारे में बात कर रहा हूं, जिसे लंबे समय से शासन कला के एक औजार के रूप में विकसित किया गया है.'' उन्होंने कहा कि कोई भी ऐसी उम्मीद कि संघर्ष और आतंकवाद के दुष्प्रभाव को रोका जा सकता है, अब संभव नहीं है.

विदेश मंत्री ने कहा कि कोई भी खतरा अब बहुत दूर नहीं है. भू-राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए, जयशंकर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कर्ज में वृद्धि देखी गई है, जो अक्सर अविवेकपूर्ण विकल्पों और अस्पष्ट परियोजनाओं के संयोजन के कारण होता है.

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उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप आज देखें कि पश्चिम एशिया में इन दिनों क्या हो रहा है तो एक मायने में ये ऐसी गतिविधियां हैं जो इस क्षेत्र के लिए स्वाभाविक है.''