लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) से पहले BJP ने हरियाणा (Haryana Government) में मंगलवार को बड़ा दांव चला. BJP ने अपनी सरकार भी बचा ली और विरोधियों को सरकार से आउट भी कर दिया. लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर हुए अनबन के बाद दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) की JJP के साथ BJP का गठबंधन टूट गया. ऐसे में मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khttar) ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कुरुक्षेत्र से BJP सांसद और प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी हरियाणा के 11वें मुख्यमंत्री बनाए गए. इस बीच खट्टर सरकार में गृहमंत्री रहे अनिल विज (Anil Vij) भी चर्चा में रहे. बताया जा रहा है सैनी को विधायक दल का नेता चुने जाने के फैसले से नाराज होकर अनिल विज मीटिंग से उठकर चले गए थे. नई कैबिनेट में उन्हें जगह भी नहीं दी गई.
मंगलवार को नायब सैनी के साथ शपथ लेने वाले मंत्रियों में जेपी दलाल, मूलचंद शर्मा, बनवारी लाल और कंवर पाल गुर्जर के साथ निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह भी शामिल हैं. ये सभी मंत्री खट्टर सरकार का हिस्सा थे. अनिल विज हरियाणा की मनोहर लाल सरकार में गृहमंत्री थे. ऐसे में उनका नाम नई सरकार में नहीं होने से कई सवाल खड़े हो गए हैं. क्योंकि ऐसी अटकलें थीं कि वह जननायक जनता पार्टी (JJP) के दुष्यंत चौटाला की ओर से पद खाली किए जाने के बाद BJP की ओर से नियुक्त दो उप-मुख्यमंत्रियों में से एक होंगे. हालांकि, देर शाम ऐसा कुछ नहीं हुआ.
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हरियाणा में आगे क्या?
नायब सिंह को सीएम बनने के बाद कुरुक्षेत्र सीट छोड़नी होगी. इस सीट पर मनोहर लाल खट्टर के लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना है. वहीं, अनिल विज के बारे में अभी कुछ साफ नहीं हो पाया है. कैबिनेट सहयोगियों के रूप में लगभग 10 साल तक एक साथ काम करने के दौरान खट्टर और विज के बीच मतभेद रहे थे.
अनिल विज विवादास्पद बयान देने के लिए जाने जाते हैं. एक बार उन्होंने कहा था कि महात्मा गांधी की फोटो करेंसी नोटों से हटा देनी चाहिए, उनका जगह लक्ष्मी-गणेश की फोटो छापनी चाहिए. विज ने ताजमहल को 'सुंदर कब्रिस्तान' भी बता दिया था. हालांकि, विवाद बढ़ने पर उन्होंने अपने बयानों के लिए माफी मांगी थी.
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2019 में अनिल विज ने अंबाला में उनकी कार को घेरने वाले प्रदर्शनकारियों के साथ भी दुर्व्यवहार किया था. पूर्व मंत्री 6 बार अंबाला छावनी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रहे हैं. 2009 से वह लगातार तीन बार जीत हासिल कर चुके हैं.
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