समाजसेवी अण्णा हजारे (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भूमि अधिग्रहण बिल और 'वन रैंक वन पेंशन' के मुद्दों को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे आगामी गांधी जयंती, यानी 2 अक्टूबर, से दिल्ली के रामलीला मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करने जा रहे हैं।
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत में अण्णा हजारे ने लिखा था, "हमें अपने सिपाहियों और किसानों का ध्यान रखना होगा... उनके कल्याण के लिए महज खोखली घोषणाएं करने और वास्तव में उन योजनाओं को लागू करनना दो अलग-अलग बातें होती हैं..."
खुद भी पूर्व फौजी रहे अण्णा हजारे वर्ष 1963 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे, और एक सिपाही की हैसियत से 15 साल सेवाएं दीं। वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध में भाग लेने के अलावा अण्णा हजारे जम्मू-कश्मीर, असम, सिक्किम, भूटान और मिजोरम जैसी महत्वपूर्ण जगहों पर भी तैनात किए गए।
देशभर में 55 जगहों पर सेवानिवृत्त फौजी आंदोलन कर रहे हैं, और उनकी मांग है कि 'वन रैंक वन पेंशन' योजना को लागू करने के लिए सरकार एक तारीख बताए। सरकार यह तो कह चुकी है कि वह इस योजना के प्रति कटिबद्ध है, और इसके क्रियान्वयन के लिए उसने 8,300 करोड़ रुपये रखे हैं, लेकिन कोई तारीख नहीं बताई है।
सरकार इस मुद्दे के अलावा भूमि अधिग्रहण बिल में किए बदलावों को लेकर भी विपक्ष और कार्यकर्ताओं की आलोचना झेलती आ रही है, जो सरकार के बदलावों को 'किसान-विरोधी' बता रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार भूमि अधिग्रहण के वक्त किसान की सहमति वाला क्लॉज़ बिल में फिर शामिल करे, क्योंकि उसकी गैर-मौजूदगी की वजह से किसानों के लिए खतरा बहुत ज़्यादा है।
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत में अण्णा हजारे ने लिखा था, "हमें अपने सिपाहियों और किसानों का ध्यान रखना होगा... उनके कल्याण के लिए महज खोखली घोषणाएं करने और वास्तव में उन योजनाओं को लागू करनना दो अलग-अलग बातें होती हैं..."
खुद भी पूर्व फौजी रहे अण्णा हजारे वर्ष 1963 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे, और एक सिपाही की हैसियत से 15 साल सेवाएं दीं। वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध में भाग लेने के अलावा अण्णा हजारे जम्मू-कश्मीर, असम, सिक्किम, भूटान और मिजोरम जैसी महत्वपूर्ण जगहों पर भी तैनात किए गए।
देशभर में 55 जगहों पर सेवानिवृत्त फौजी आंदोलन कर रहे हैं, और उनकी मांग है कि 'वन रैंक वन पेंशन' योजना को लागू करने के लिए सरकार एक तारीख बताए। सरकार यह तो कह चुकी है कि वह इस योजना के प्रति कटिबद्ध है, और इसके क्रियान्वयन के लिए उसने 8,300 करोड़ रुपये रखे हैं, लेकिन कोई तारीख नहीं बताई है।
सरकार इस मुद्दे के अलावा भूमि अधिग्रहण बिल में किए बदलावों को लेकर भी विपक्ष और कार्यकर्ताओं की आलोचना झेलती आ रही है, जो सरकार के बदलावों को 'किसान-विरोधी' बता रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार भूमि अधिग्रहण के वक्त किसान की सहमति वाला क्लॉज़ बिल में फिर शामिल करे, क्योंकि उसकी गैर-मौजूदगी की वजह से किसानों के लिए खतरा बहुत ज़्यादा है।
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