वाराणसी:
वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी। यहां पर उन्होंने अपने नौ रत्नों की घोषणा भी की थी, पर यह कवायद सिर्फ तस्वीरों में कैद होकर रह गई। शहर की सड़कों और गलियों में कूड़े का साम्राज्य जस का तस बना रहा। अब एक बार फिर शहर को कूड़े से निजात दिलाने के लिए केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा ने कमर कसी है। इस बार वे छात्रों और स्वयंसेवी संगठनों की मदद से यह करना चाहते हैं। इसकी शुरुआत आज उन्होंने बनारस के लंका इलाके में झाड़ू लगाकर की।
केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा का बनारस के लंका इलाके में झाड़ू लगाने का कार्यक्रम पहले से तय था। इसे सफल बनाने के लिए छात्रों को टी शर्ट बांटी गई थीं, ऐसी जो दूर से ही कैमरे की निगाह में आ सकें। हुआ भी यही, बनारस का सारा मीडिया इस हुजूम को कवर कर रहा था। नारों के साथ महेश के हाथ का झाड़ू सड़को के चंद हिस्सों को साफ कर मीडिया के कैमरों से रूबरू हो गया। उन्होंने बताया कि किस तरह लोग पहले सिर्फ फोटो खिंचाने के लिए हाथ में झाड़ू पकड़ते थे, पर अब ऐसा नहीं होगा। उन्होंने और साफ करते हुए कहा कि 'स्वच्छ काशी- दिव्य काशी का जो हमारा सपना है, उसमे बहुत बड़ी संख्या में युवा जुड़े हैं। इन युवाओं का ध्येय यह है कि इसको सिर्फ फोटो आंदोलन के रूप में न बनाएं, सिर्फ एक दिन सफाई नहीं बल्कि इसकी निरंतरता बनाएं।'
एक बार फिर केंद्रीय मंत्री उसी अंदाज में अस्सी घाट आए। शौचालय का उद्घाटन किया और बीएचयू के पास झाड़ू लगाई। फर्क इतना है कि नौ रत्नों की घोषणा न करके छात्रों का आह्वान किया है। महेश शर्मा कहते हैं 'हमने इसमें अपने पार्टी के लोगों को, छात्रों को, नगर निकायों को और एनजीओ को भी इसको जोड़ा है। इसकी निरंतरता के लिए वार्ड वाइज योजना बनाई गई है। हमें उम्मीद है कि परिणाम अच्छे आएंगे।'
केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा का बनारस के लंका इलाके में झाड़ू लगाने का कार्यक्रम पहले से तय था। इसे सफल बनाने के लिए छात्रों को टी शर्ट बांटी गई थीं, ऐसी जो दूर से ही कैमरे की निगाह में आ सकें। हुआ भी यही, बनारस का सारा मीडिया इस हुजूम को कवर कर रहा था। नारों के साथ महेश के हाथ का झाड़ू सड़को के चंद हिस्सों को साफ कर मीडिया के कैमरों से रूबरू हो गया। उन्होंने बताया कि किस तरह लोग पहले सिर्फ फोटो खिंचाने के लिए हाथ में झाड़ू पकड़ते थे, पर अब ऐसा नहीं होगा। उन्होंने और साफ करते हुए कहा कि 'स्वच्छ काशी- दिव्य काशी का जो हमारा सपना है, उसमे बहुत बड़ी संख्या में युवा जुड़े हैं। इन युवाओं का ध्येय यह है कि इसको सिर्फ फोटो आंदोलन के रूप में न बनाएं, सिर्फ एक दिन सफाई नहीं बल्कि इसकी निरंतरता बनाएं।'
गौरतलब है कि इन दिनों महेश शर्मा के कंधे पर मोदी के संसदीय क्षेत्र की तमाम समस्याओं को हल करने की जिम्मेदारी है। लिहाजा वह हर महीने इन समस्याओं को जानने और दूर करने के उपाय के लिए बनारस आते हैं। बनारस की असल समस्या सफाई है। यह समस्या काफी बड़ी है। केन्द्रीय मंत्री का हाथ में झाड़ू लेकर फोटो खिंचाने का दर्द क्यों झलका, इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि इसके पहले प्रधानमंत्री मोदी जब बनारस आए थे तो उन्होंने अस्सी घाट पर मिट्टी कि सफाई की थी। वहीं की एक गली में झाड़ू भी लगाईं थी। वहीं अपने नौ रत्नों की घोषणा भी की थी। इन नौ रत्नों ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तर्ज पर ही अपने-अपने हाथ में झाड़ू लेकर नौ रत्नों की घोषणा की और फोटो खिंचवाकर घर बैठ गए। कूड़ा सड़कों पर वैसा ही पड़ा रहा। अब इसकी किरकिरी होने लगी थी।
एक बार फिर केंद्रीय मंत्री उसी अंदाज में अस्सी घाट आए। शौचालय का उद्घाटन किया और बीएचयू के पास झाड़ू लगाई। फर्क इतना है कि नौ रत्नों की घोषणा न करके छात्रों का आह्वान किया है। महेश शर्मा कहते हैं 'हमने इसमें अपने पार्टी के लोगों को, छात्रों को, नगर निकायों को और एनजीओ को भी इसको जोड़ा है। इसकी निरंतरता के लिए वार्ड वाइज योजना बनाई गई है। हमें उम्मीद है कि परिणाम अच्छे आएंगे।'
केंद्रीय मंत्री की सफाई की इस पहल को आप स्वच्छता अभियान पार्ट 2 कह सकते हैं। बड़ा सवाल यह है कि जिस शहर की आबादी तकरीबन बीस लाख हो, जहां 600 मीट्रिक टन कूड़ा हर रोज निकलता हो और जिसके निस्तारण के लिए कोई जगह न हो वहां क्या इस तरह की कवायद कभी सफल हो सकती है, यह नेता और मंत्री नहीं सोच पा रहे हैं। बनारस में पहले की सफाई की कोशिश कूड़ा हो गई। यही वजह है कि अब यह नई कोशिश हो रही है, पर इसमें देखने वाली बात यह होगी कि इस कोशिश से ये कूड़ा हट पाएगा या यह कोशिश भी फिर एक बार कूड़ा हो जाएगी।
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