
- ED ने अनिल अंबानी समूह की कंपनियों को दिए गए लोन की जांच के लिए 12-13 बैंकों से डिटेल्स मांगी
- लोन चूक, वसूली प्रक्रिया और समय-सीमा की जानकारी हासिल करने के लिए मांगी जानकारी
- अनिल समूह के करीब 17000 करोड़ के लोन धोखाधड़ी मामले में अधिकांश लोन NPA में बदल गए हैं
अनिल अंबानी की मुश्किलें काम होने का नाम ही नहीं ले रही है. सूत्रों के मुताबिक ईडी ने 12-13 बैंकों को पत्र लिखकर अनिल अंबानी समूह की कंपनियों को दिए गए लोन पर की गई उचित जांच की डिटेल्स मांगी है. एसबीआई, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, यूको बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक सहित सार्वजनिक क्षेत्र के दोनों बैंकों और निजी बैंकों से संपर्क किया गया है. ईडी ने लोन चूक पर अपनाई गई प्रक्रिया, चूक की समय-सीमा और वसूली की कार्रवाई की डिटेल्स मांगी है.
बैंकरों को भी किया जा सकता है तलब
अधिकारी का कहना है कि अगर जवाबों से संतुष्ट नहीं हुए तो बैंकरों को तलब किया जा सकता है और उनसे पूछताछ की जा सकती है. अनिल अंबानी समूह की कंपनियों को दिए गए अधिकांश लोन एनपीए में बदल गए. कुल लोन धोखाधड़ी 17,000 करोड़ रुपये की है. रिलायंस हाउसिंग फाइनेंस और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस पर कुल मिलाकर 12,534 करोड़ रुपये बकाया हैं. जबकि शेष 4,000 करोड़ रुपये रिलायंस कम्युनिकेशंस पर बकाया है.
ईडी ने अनिल को पूछताछ के लिए बुलाया
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी के समूह की कंपनियों के खिलाफ दर्ज करोड़ों रुपये के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन मामले में उन्हें पांच अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया है. सूत्रों ने बताया कि संघीय जांच एजेंसी ने अनिल अंबानी को विदेश यात्रा करने से रोकने के लिए उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) भी जारी किया है. उन्होंने कहा कि मामला दिल्ली में दर्ज होने की वजह से अंबानी (66) को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय बुलाया गया है.
25 लोगों के परिसरों पर हुई थी छापेमारी
सूत्रों के अनुसार, एजेंसी अंबानी के पेश होने पर धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत उनका बयान दर्ज करेगी. उनके समूह की कंपनियों के कुछ अधिकारियों को भी अगले कुछ दिन में पेश होने के लिए कहा गया है. कुछ दिनों पहले ही संघीय एजेंसी ने 50 कंपनियों के 35 परिसरों और अनिल के व्यापारिक समूह के अधिकारियों समेत 25 लोगों के परिसरों पर छापे मारे थे. 24 जुलाई को शुरू हुई यह छापेमारी तीन दिन तक जारी रही थी. यह कार्रवाई आर इन्फ्रा समेत अनिल अंबानी की कई समूह कंपनियों द्वारा कथित वित्तीय अनियमितताओं तथा 17,000 करोड़ रुपये से अधिक के सामूहिक ऋण को किसी और काम में इस्तेमाल करने के लिए की गई.
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