इलाहबाद:
उत्तर प्रदेश में चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने कमर कस ली है। पार्टी यूपी में हर हाल में चुनाव जीतना चाहती है। जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रचार के दौरान पार्टी का राजनैतिक और जमीनी हकीकतों तालमेल बना रहे, इसके लिए हर चार महीनों में सर्वे और समीक्षा कराई जाएगी। इलाहबाद में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की उत्तरप्रदेश सांसदों के साथ हुई तीन घंटे चली बैठक में यह भी तय हुआ कि इस कवायद में विरोधी पार्टियों के प्रचार का आकलन भी किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो बनारस से सांसद भी हैं, भी इस बैठक में शामिल होने वाले थे, लेकिन उन्हें अंतिम समय में कार्यक्रम के फेरबदल हो जाने से जनसभा को संबोधित करने के तुरंत बाद दिल्ली जाना पड़ा। उनके अलावा लखनऊ से सांसद, गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी दिल्ली रवाना हो गए।लेकिन बीजेपी के बाकी 69 सांसदों ने बैठक में भाग लिया था। उनके अलावा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से आए, पार्टी के संगठन महासचिव रामलाल और कृष्णगोपाल, जिनकी संघ में प्रमुख भूमिका है, भी शामिल थे।
उत्तर प्रदेश में आगामी मार्च 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं। अगर बीजेपी अभी से शुरुआत करती है तो दो समीक्षाएं तो कर ही पाएगी। बैठक में यह महसूस किया गया कि सर्वे से पार्टी नेतृत्व को जमीनी सच्चाईयों के आधार पर प्रचार की तैयारी करने मदद मिलेगी। साथ ही पार्टी यह भी जान पाएगी कि विरोधी क्या कर रहे हैं।
एक वरिष्ठ सांसद ने बताया कि इससे हमें घोषणापत्र से बंधा हुआ प्रचार करना नहीं पड़ेगा। बीजेपी को अपने और दूसरों के प्रचार का फीडबैक भी मिल जाएगा और फिर हम अपनी नीति में उसके मुताबिक बदलाव भी कर पाएंगे। इस कवायद से पार्टी नेतृत्व को सांसदों के कामकाज की प्रगति की जानकारी भी मिलेगी। पार्टी को लगता है कि मतदाता की प्रतिक्रिया बताएंगी कि सांसद ने अपने क्षेत्र में काम कैसा किया है और केंद्र की नीतियों को लागू करवाने में उनका क्या योगदान है।
बैठक में इस बात के संकेत भी दिए गए कि उत्तरप्रदेश चुनावों में संघ की भूमिका सहलाकार से कहीं ज्यादा होगी जैसा कि असम के चुनाव के दौरान हुआ था जहां पिछले महीने ही बीजेपी ने जीत हासिल की है। प्रमुख सूत्रों ने बताया कि कृष्णगोपाल उत्तर प्रदेश में संघ की तरफ से मोर्चा संभालेंगे। इससे पहले पीएम मोदी ने बीजेपी नेताओं को मौका न गंवाने की सलाह दी जिसमें उन्होंने सात सूत्र दिए जिसमें सेवा को सबसे ज्यादा महत्व दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो बनारस से सांसद भी हैं, भी इस बैठक में शामिल होने वाले थे, लेकिन उन्हें अंतिम समय में कार्यक्रम के फेरबदल हो जाने से जनसभा को संबोधित करने के तुरंत बाद दिल्ली जाना पड़ा। उनके अलावा लखनऊ से सांसद, गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी दिल्ली रवाना हो गए।लेकिन बीजेपी के बाकी 69 सांसदों ने बैठक में भाग लिया था। उनके अलावा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से आए, पार्टी के संगठन महासचिव रामलाल और कृष्णगोपाल, जिनकी संघ में प्रमुख भूमिका है, भी शामिल थे।
उत्तर प्रदेश में आगामी मार्च 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं। अगर बीजेपी अभी से शुरुआत करती है तो दो समीक्षाएं तो कर ही पाएगी। बैठक में यह महसूस किया गया कि सर्वे से पार्टी नेतृत्व को जमीनी सच्चाईयों के आधार पर प्रचार की तैयारी करने मदद मिलेगी। साथ ही पार्टी यह भी जान पाएगी कि विरोधी क्या कर रहे हैं।
एक वरिष्ठ सांसद ने बताया कि इससे हमें घोषणापत्र से बंधा हुआ प्रचार करना नहीं पड़ेगा। बीजेपी को अपने और दूसरों के प्रचार का फीडबैक भी मिल जाएगा और फिर हम अपनी नीति में उसके मुताबिक बदलाव भी कर पाएंगे। इस कवायद से पार्टी नेतृत्व को सांसदों के कामकाज की प्रगति की जानकारी भी मिलेगी। पार्टी को लगता है कि मतदाता की प्रतिक्रिया बताएंगी कि सांसद ने अपने क्षेत्र में काम कैसा किया है और केंद्र की नीतियों को लागू करवाने में उनका क्या योगदान है।
बैठक में इस बात के संकेत भी दिए गए कि उत्तरप्रदेश चुनावों में संघ की भूमिका सहलाकार से कहीं ज्यादा होगी जैसा कि असम के चुनाव के दौरान हुआ था जहां पिछले महीने ही बीजेपी ने जीत हासिल की है। प्रमुख सूत्रों ने बताया कि कृष्णगोपाल उत्तर प्रदेश में संघ की तरफ से मोर्चा संभालेंगे। इससे पहले पीएम मोदी ने बीजेपी नेताओं को मौका न गंवाने की सलाह दी जिसमें उन्होंने सात सूत्र दिए जिसमें सेवा को सबसे ज्यादा महत्व दिया।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं