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This Article is From Jan 29, 2022

Ground Report: अमित शाह का देवबंद दौरा क्यों हुआ और हिन्दू-मुस्लिम राजनीति पर क्या बोले वहां के लोग?

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के देवबंद (Deoband) विधानसभा सीट पर गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) शनिवार को चुनाव प्रचार करने पहुंचे. प्रदेश कि मुस्लिम बहुल मतदाता वाली देवबंद विधानसभा में अमित शाह ने डोर टू डोर प्रचार किया.

संकरी गली में हजारों कार्यकर्ताओं के पहुंचने के चलते यहां अमित शाह महज 20 मिनट  ही रुके.

देवबंद:

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की देवबंद (Deoband) विधानसभा सीट पर गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) शनिवार को चुनाव प्रचार करने पहुंचे. प्रदेश के मुस्लिम मतदाता बहुल देवबंद हलके में अमित शाह ने डोर-टू-डोर प्रचार किया. संकरी गलियों में हजारों कार्यकर्ताओं के पहुंचने से यहां अमित शाह महज 20 मिनट ही रुक पाए. गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनावों में देवबंद की सीट पर 21 साल बाद बीजेपी (BJP) को जीत मिली थी. यहां बीजेपी प्रत्याशी बृजेश कुमार सिंह और SP-RLD गठबंधन प्रत्याशी कार्तिकेय राणा चुनावी मैदान में हैं.

शाह इन पहले मुजफ्फरनगर और सहारनपुर में कार्यकर्ताओं के साथ सभा की. देवबंद से बीजेपी प्रत्याशी बृजेश सिंह ने इस मौके पर कहा - 'लोग कहते हैं कि अगर यहां उंगली में कट भी लग जाए तो सहारनपुर भागना पड़ता है. पता नहीं आपको किसने फीडबैक दिया है. मैंने ऑक्सीजन प्लांट लगवाए, नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) बन रहा है.

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असल में नेताओं के दावे और प्रचार से हटकर देवबंद के स्वास्थ्य विभाग की जमीनी हकीकत उलझी सी नजर आई. बता दें,  रंगाई पुताई और बाहर से अच्छी दिख रही इमारत वाले इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर के 16 पद हैं, लेकिन पूरे हकीकत में अस्पताल में महज दो ही डाक्टर हैं. देवबंद की 3 लाख की आबादी पर ये एक अस्पताल है जहाँ न कोई सर्जन है और न महिला डॉक्टर. जहां 16 डॉक्टर होने चाहिए महज दो से काम चलाया जा रहा है. चुनाव से ठीक पहले 4 जनवरी को आनन फानन में शहर में ATS सेंटर का शिलान्यास किया गया. फिलहाल इसका काम अभी शुरू नहीं हुआ है.

किसी जमाने में देवबंद अपने हैंडलूम और गंडासे के लिए मशहूर था. आज हैंडलूम खत्म हो चुका है, जबकि किसानों के चारा काटने वाले गंडासे पर GST लगने और बिजली महंगी होने से ये लघु उद्योग भी खतरे में है. बता दें, देवबंद में बने गंडासे पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक जाते हैं. गंडासा फैक्टरी के मालिक मंसूर बेग ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया - 'अब GST लगने से एक गंडासे पर 15 रुपए की बढ़ोतरी हो गई है, इसलिए अब लोग लोकल ही खरीद लेते हैं.'

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दारुल उलूम देवबंद मदरसे का मुख्यालय और विधानसभा में मुस्लिम मतदाता ज्यादा होने के चलते हाल फिलहाल में हिन्दू मुस्लिम राजनीति और आतंकवाद के नाम पर खूब राजनीति होती है. लेकिन व्हाट्स एप्प और सोशल मीडिया के भ्रम को छोड़ दें तो सालों से यहां न तो कोई दंगा न कोई और फसाद हुआ है, जिसकी तस्दीक वहां मौजूद दर्जनों लोगों ने की.

देवबंद के रहने वाले अजय सिंघल ने बताया - 'लोग जैसा देवबंद को पेश करते हैं ये शहर वैसा नहीं है. यहां हिन्दू मुस्लिम भाईचारा है ईद और होली सब साथ मनाते हैं. देवबंद शहर में तो है ही गांव में आप और नहीं जान पाएंगे कि कोई हिंदू है या मुसलमान.'

कमल देवबंदी ने बताया - 'मुस्लिम बहुल होने के बावजूद इस हलके से ठाकुर प्रत्याशी जीतते रहे हैं और सबसे ज्यादा यह कांग्रेस का गढ़ रहा है. सेक्युलर होने के कारण इसकी पहचान है.' चुनाव प्रचार जैसे-जैसे तेज होगा, नेताओं की कोशिश होगी कि धर्म और जाति का मुद्दा गहराए जिससे कि सियासी फायदा उठाया जा सके.

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