
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को बीजेपी के उन शीर्ष नेताओं में गिना जाता है, जिन्होंने न केवल सांगठनिक कौशल और रणनीति के जरिये पार्टी को सत्ता के शिखर तक पहुंचाया बल्कि सरकार में आने के बाद अनुच्छेद 370 पार्टी समेत चुनौतीपूर्ण वैचारिक एजेंडे को पूरा करने में अहम भूमिका भी निभाई. पीएम मोदी के साथ संगठन और फिर सरकार में उनकी जुगलबंदी हमेशा सुर्खियों में रहती है. आज उनका जन्मदिन है और आइए जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी से रिश्तों को लेकर उनकी क्या राय है...
पीएम मोदी से कैसे रिश्ते
अमित शाह ने एनडीटीवी को दिए एक हालिया इंटरव्यू में पीएम मोदी से रिश्तों को लेकर कहा था, वो मेरे नेता हैं. जो रिश्ता एक नेता और कार्यकर्ता के बीच होता है, वैसा ही हमारे बीच है. हमारे यहां बॉस जैसा कोई कल्चर नहीं है. क्या पीएम मोदी से कुछ मुद्दों पर मतभेद होते हैं, इस सवाल पर शाह ने कहा था, प्रधानमंत्री हमेशा स्वस्थ चर्चा को बढ़ावा देते हैं, सब अपनी बात रखते हैं, लेकिन फैसला नेता का होता है.
करीब 4 दशकों तक साथ काम करने का अनुभव
शाह ने बड़ी साफगोई से बताया था, हम दोनों गुजरात से आते हैं, कमोवेश हमारे काम करने का कालखंड एक ही रहा है. मैंने उनके बेहद नजदीक से काम करते देखा है. निर्णय के पीछे नेतृत्व की मंशा को समझना और मंशा के साथ इसे पूरा करना बहुत महत्वपूर्ण होता है. सामूहिक निर्णय में सबके विचार सुनना और उसमें से सबसे अच्छा निकालना, अपना विचार थोपे बगैर समस्या का निराकरण करना और अपना इनपुट देते हुए निर्णय को सही ढंग से अनुपालन कराने के लिए इसकी निगरानी करना. मैंने इस भूमिका को नरेंद्र मोदी को सफल देखा है, ऐसे बहुत कम लोग होते हैं.
Birthday greetings to Home Minister Shri Amit Shah Ji. He is widely admired for his dedication to public service and hardworking nature. He has made commendable efforts to strengthen India's internal security apparatus and ensure every Indian leads a life of safety and dignity.…
— Narendra Modi (@narendramodi) October 22, 2025
बतौर गृह मंत्री 3 बड़ी चुनौतियों से निपटना
अनुच्छेद 370 खत्म
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में NDA की दोबारा सरकार में अमित शाह गृह मंत्री बने. दो महीने के भीतर जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त किया गया. बीजेपी के एजेंडे की दशकों पुरानी इस मांग को पूरा करना आसान नहीं था. कश्मीर में अभेद्य सुरक्षा व्यस्था और चाकचौबंद खुफिया तंत्र के जरिये गृह मंत्रालय ने इस चुनौती को बिना किसी हिंसक घटना के बखूबी निभाया.
नक्सलवाद का खात्मा
गृह मंत्री ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद को देश से पूरी तरह खत्म करने का टारगेट रखा है. पिछले तीन से चार महीनों में टॉप माओवादी कमांडर समेत 150 से ज्यादा नक्सली ढेर किए जा चुके हैं. जबकि 500 से ज्यादा ने सरेंडर कर दिया है. छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले समेत बचे खुचे इलाकों में नक्सली नेटवर्क अंतिम सांसें गिन रहा है. ऐसे में ये लक्ष्य इसी साल पूरा हो सकता है.
पूर्वोत्तर में उग्रवाद के अंत का लक्ष्य
पूर्वोत्तर में उग्रवाद को खत्म करने के लिए शांति समझौते और विकास की दोहरी रणनीति सफल होते दिख रही है. एक दशक में 10,500 से ज्यादा उग्रवादी हथियार डाल चुके हैं. वर्ष 2019 से अब तक 12 शांति समझौते ऐसे उग्रवादी संगठनों से किए जा चुके हैं. सरकार ने 2027 तक हवाई और रेल सेवा के पूर्वोत्तर नेटवर्क को जोड़ने का लक्ष्य रखा है. मिजोरम भी हाल ही में रेलवे नेटवर्क से जुड़ा है.
संघ से संगठन और सरकार तक का सियासी सफर
अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई में कुसुम बेन और अनिलचंद्र शाह के गुजराती परिवार में हुआ था. उनके दादा गायकवाड़ शासकों के बड़ौदा की एक रियासत मानसा के संपन्न कारोबारी थे. अमित शाह का बचपन गुजरात में उनके पैतृक गांव मानसा में बीता और फिर स्कूली पढ़ाई के बाद उनका परिवार अहमदाबाद आया.
अमित शाह राजनीति में कैसे आए
शाह 16 साल की युवावस्था में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हुए और फिर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे. 1982 में वो एबीवीपी की गुजरात इकाई का संयुक्त सचिव बने. 1987 में वो भाजयुमो में शामिल हुए. समाज सुधारक नानाजी देशमुख का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा. 1989 में उन्हें भाजपा की अहमदाबाद इकाई का सचिव बनाया गया.
राम जन्मभूमि आंदोलन
90 के दशक में जब राम जन्मभूमि आंदोलन चल रहा था, तो उन्होंने एकता यात्रा की जिम्मेदारी संभाली. अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के गांधीनगर लोकसभा चुनाव लड़े तो शाह ने चुनाव प्रबंधन की भूमिका निभाई.अमित शाह 90 के दशक में नरेंद्र मोदी के संपर्क में आए, जब गुजरात में बीजेपी तेजी से आगे बढ़ रही थी. तब नरेंद्र मोदी गुजरात भाजपा के संगठन सचिव की जिम्मेदारी निभा रहे थे, तब से करीब चार दशकों से दोनों नेताओं में समन्वय और तालमेल एक मिसाल बन चुका है.
भाजपा के विभिन्न संगठनों में काम
अमित शाह भाजयुमो के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष की भूमिका में थे, जब 1997 में उन्हें सरखेज विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया गया और भारी मतों से वो चुनाव जीते और फिर यहां से कई बार निर्वाचित हुए. शाह ने फिर नारनपुरा चुनाव 63 हजार से ज्यादा के अंतर से जीता. वो 1998 में गुजरात भाजपा प्रदेश सचिव और उपाध्यक्ष भी बनाए गए.
गुजरात में मोदी सरकार में अहम जिम्मेदारी
गुजरात में 2002 के विधानसभा चुनाव के दौरान गौरव यात्रा में शाह को बड़ी जिम्मेदारी मिली. बीजेपी ने बड़े बहुमत से गुजरात विधानसभा चुनाव जीता और शाह सरकार में मंत्री बने. शाह ने गुजरात सरकार में गृह, परिवहन, संसदीय कार्य, कानून और आबकारी जैसे मंत्रालय संभाले.
2014 के चुनाव में चाणक्य ने छोड़ी छाप
हिन्दुत्व के प्रखर चेहरे नरेंद्र मोदी को भाजपा ने 2013 के अंत में अगले आम चुनाव के लिए प्रधानमंत्री पद के लिए आगे किया तो केंद्र की सत्ता का द्वार कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी शाह को सौंपी गई. शाह ने न केवल छोटे दलों को बखूबी साधा बल्कि जाट गुर्जर जैसे समुदायों को साधकर पिछड़ों पर फोकस करने की रणनीति से पासा पलट दिया. बीजेपी गठबंधन ने यूपी 73 सीटें जीतीं, जिससे पार्टी अपने बलबूते प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में आई.
मोदी सरकार में राष्ट्रीय संगठन और फिर गृह मंत्रालय की कमान
चुनाव में उनके रणनीतिक कौशल को देखते हुए शाह को जुलाई 2014 में बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया और वो 2020 तक इस जिम्मेदारी को निभाते रहे. इस बीच 2017 में शाह को गुजरात से राज्यसभा सांसद बनाया गया. 2019 के लोकसभा चुनाव में दोबारा प्रचंड बहुमत से जीत में बंगाल और तेलंगाना जैसे राज्यों में भाजपा की कामयाबी भी अहम थी. इसी चुनाव में गांधीनगर लोकसभा सीट से वो चुनाव जीते और फिर केंद्रीय गृह मंत्री बनाए गए. अमित शाह ने 2014 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और फिर 2019 में गृह मंत्री बनने के पहले गुजरात के गृह मंत्री और भाजपा महासचिव के तौर पर भी जिम्मेदारी निभाई. वो 2019 में गांधी नगर लोकसभा सीट से सांसद और फिर देश के गृह मंत्री बने.
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