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रुपौली विधानसभा का चुनावी रण: बीमा भारती और निर्दलीय शंकर सिंह में कांटे की टक्कर, जन सुराज का भी शोर

बिहार के पूर्णिया जिले में स्थित रुपौली विधानसभा क्षेत्र एक सामान्य श्रेणी का निर्वाचन क्षेत्र है, जो पूर्णिया लोकसभा सीट का हिस्सा है. 1951 में स्थापित यह सीट अब तक 17 चुनावों का गवाह बन चुकी है. यह क्षेत्र कोसी की उपजाऊ लेकिन बाढ़ प्रभावित जमीन पर स्थित है, जहां कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है.

रुपौली विधानसभा का चुनावी रण: बीमा भारती और निर्दलीय शंकर सिंह में कांटे की टक्कर, जन सुराज का भी शोर
  • रूपौली विधानसभा क्षेत्र बिहार के पूर्णिया जिले में स्थित है और यह पूर्णिया लोकसभा सीट का हिस्सा है
  • इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, लेकिन बाढ़ और रोजगार की कमी बड़ी चुनौती हैं
  • बीमा भारती ने पिछले दो दशकों में इस सीट पर पांच बार जीत हासिल की है और विभिन्न दलों से जुड़े रहे हैं
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बिहार के पूर्णिया जिले में स्थित रुपौली विधानसभा क्षेत्र एक सामान्य श्रेणी का निर्वाचन क्षेत्र है, जो पूर्णिया लोकसभा सीट का हिस्सा है. 1951 में स्थापित यह सीट अब तक 17 चुनावों का गवाह बन चुकी है. यह क्षेत्र कोसी की उपजाऊ लेकिन बाढ़ प्रभावित जमीन पर स्थित है, जहां कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, लेकिन औद्योगिक विकास और रोजगार की कमी एक बड़ी चुनौती है. रूपौली विधानसभा क्षेत्र में रुपौली और भवनिपुर सामुदायिक विकास खंडों के साथ-साथ बरहरा कोठी ब्लॉक के आठ ग्राम पंचायत शामिल हैं. यह सीट विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधित्व का लंबा इतिहास रखती है, लेकिन हाल के वर्षों में यह एक कड़े व्यक्तिगत मुकाबले का केंद्र बिंदु बन गई है.

क्या खास है

रूपौली का राजनीतिक इतिहास दो दशक से अधिक समय से दो प्रमुख चेहरों बीमा भारती और शंकर सिंह के इर्द-गिर्द घूमता रहा है. बीमा भारती ने 2000 से अब तक 5 बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें निर्दलीय, राजद और जद(यू) जैसे दलों से जीत शामिल है.

क्या मुद्दे रहे हैं?

यह इलाका कोसी क्षेत्र में आता है, जो अपनी उपजाऊ जमीन और बार-बार आने वाली बाढ़ों के लिए जाना जाता है. कोसी नदी का बहाव इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन को सीधे तौर पर प्रभावित करता है. धान, मक्का और गेहूं यहां की मुख्य फसलें हैं, साथ ही केला और जूट की खेती भी होती है. क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, औद्योगिक गतिविधियां सीमित होने के कारण यहां से मौसमी पलायन काफी अधिक होता है.

पिछली हार जीत

रूपौली सीट पर समय-समय पर विभिन्न दलों का कब्जा रहा है. कांग्रेस ने यहां 6 बार, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने 2 बार, जद(यू) ने 3 बार और राजद ने 1 बार जीत दर्ज की है. स्वतंत्र उम्मीदवारों ने भी 3 बार सफलता पाई है, जबकि लोजपा और समाजवादी पार्टी ने एक-एक बार इस सीट पर कब्जा किया है.

2020 विधानसभा चुनाव में जद(यू) के सिंबल पर चुनाव लड़ते हुए बीमा भारती 19,330 वोट के अंतर से जीत दर्ज की थी. हाल ही में हुए उपचुनाव ने इस सीट पर एक बड़ा राजनीतिक मोड़ ला दिया है. जद(यू) से अलग होकर चुनाव लड़ने के कारण बीमा भारती की राजनीतिक जमीन खिसक गई और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. लोजपा से हटकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े शंकर सिंह ने जीत हासिल की.

माहौल क्या है?

रुपौली विधानसभा का मुकाबला इस बार बेहद रोचक और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का विषय बन गया है. पूर्व में बीमा भारती का मजबूत गढ़ रहा यह क्षेत्र, उनके सियासी पतन का गवाह बना और अब शंकर सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है. यह चुनाव केवल दलों के बीच नहीं, बल्कि इन दो स्थानीय दिग्गजों बीमा भारती (आरजेडी) और शंकर सिंह (निर्दलीय) के बीच व्यक्तिगत वर्चस्व की लड़ाई होगी. कोसी की बाढ़, कृषि संकट और रोजगार के मुद्दे चुनावी एजेंडे पर हावी रहेंगे. अब देखना यह है कि क्या बीमा भारती अपनी खोई हुई सियासी जमीन वापस पाती हैं, या निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में शंकर सिंह का प्रभुत्व कायम रहता है.

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