कोरोना पर स्वत: संज्ञान मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हरीश साल्वे ने एमिकस क्यूरी बनने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने भी हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी के पद से मुक्त कर दिया है. जानकारी के अनुसार, हरीश साल्वे का कहना है कि उन्हें कोविड-19 संबंधित मामले में न्याय मित्र बनाए जाने पर कुछ वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की आलोचना की थी. इस वजह से हरीश साल्वे ने खुद को इस मामले से हटाने का अनुरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हट जाने की अनुमति दे दी है.
इस पर तुषार मेहता ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे समय में इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं. मैंने डिजिटल मीडिया में ऐसी बातें देखीं, जो लगभग गालियों के बराबर हैं. लेकिन हरीश साल्वे को मना नहीं करना चाहिए.
वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि हमें ही नहीं पूरे देश को यही लग रहा है. पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल में हाईकोर्ट में सुनवाई को रोका है.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने ही सरकार को कहा था कि हाईकोर्ट में जाकर बात रखें. आप लोगों को संस्थान को बचाना चाहिए.
तुषार मेहता ने कहा कि वकीलों को परसेप्शन पर ही बयान नहीं देना चाहिए. हम चाहते हैं कि सीजीआई को एक अच्छा फेयरवेल मिले.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई मंगलवार तक टाल दी है. केंद्र के अनुरोध पर सुनवाई टाली गई है. कोरोना मामले पर सुनवाई अब 27 अप्रैल को होगी.
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