वित्त मंत्री का कहना है कि अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस होनी चाहिए
लंदन:
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि देश के कुछ शैक्षिक परिसरों में विनाश का गठजोड़ है और अति वामपंथी एवं अलगाववादी एक ही भाषा बोल रहे हैं. लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स में अपने एक व्याख्यान में उन्होंने ने कहा कि इन लोगों को उन लोगों को भी बोलने देना चाहिए, जिनके विचार इनसे अलग हैं.
वित्त मंत्री ने कहा कि यह उनका निजी विश्वास है कि समाज में अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस होनी चाहिए. लेकिन, उन्होंने साथ ही कहा कि हिंसा कोई तरीका नहीं है.
जेटली ने कहा, "मेरा निजी विश्वास है कि भारत में, या किसी भी समाज में, अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस होनी चाहिए. अगर आप इस बात में यकीन रखते हैं कि आप अभिव्यक्ति की आजादी के जरिए देश की संप्रभुता पर हमला कर सकते हैं तो फिर जवाब में दूसरी अभिव्यक्ति की आजादी की आवाज सुनने के लिए तैयार रहिए."
उन्होंने कहा, "हिंसा कोई तरीका नहीं है, किसी भी समूह को हिंसा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. एक तरह के विनाश का गठजोड़ है जो आकार ले रहा है. कुछ विश्वविद्यालय परिसरों में अति वामपंथी और अलगाववादी एक ही भाषा बोल रहे हैं. उन्हें इसके खिलाफ विचार रखने वालों को अपना विचार व्यक्त करने देना चाहिए."
उन्होंने कहा, "मैं इसे पूरी तरह से आश्चर्यचकित करने वाला पाता हूं कि मैं तो भारत के टुकड़े करने की वकालत करने की आजादी का इस्तेमाल करूं और जो मेरे इस कदम का विरोध करें, वे अभिव्यक्ति की आजादी की राह में बाधा डालने वाले कहे जाएं, यह कैसी बात, उन्हें भी अभिव्यक्ति की आजादी हासिल है."
उधर, नई दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी वित्त मंत्री का समर्थन करते हुए कहा कि आजादी की बातें करने वाले दूसरों को बोलने नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत की संप्रभुता का अपमान करना फैशन बन गया है.
जितेंद्र सिंह ने कहा कि अगर यह इस लॉबी की सहिष्णुता का नमूना है तो फिर सोचकर रोंगटे खड़े होते हैं कि वे दूसरों से किस तरह की सहिष्णुता चाहते हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई उदारवादी लोकतंत्रों में गणराज्य की अखंडता को नहीं लांघने की एक लक्ष्मण रेखा पाई जाती है.
बता दें कि दिल्ली स्थित रामजस कालेज के बाहर 22 फरवरी को एबीवीपी और अन्य छात्र समूहों के बीच हिंसा के बाद जेटली का यह बयान सामने आया है.
एबीवीपी ने रामजस में एक कार्यक्रम का विरोध किया था जिसमें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र उमर खालिद को भी आमंत्रित किया गया था. खालिद व कुछ अन्य छात्रों पर देश विरोधी नारे लगाने का आरोप है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
वित्त मंत्री ने कहा कि यह उनका निजी विश्वास है कि समाज में अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस होनी चाहिए. लेकिन, उन्होंने साथ ही कहा कि हिंसा कोई तरीका नहीं है.
जेटली ने कहा, "मेरा निजी विश्वास है कि भारत में, या किसी भी समाज में, अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस होनी चाहिए. अगर आप इस बात में यकीन रखते हैं कि आप अभिव्यक्ति की आजादी के जरिए देश की संप्रभुता पर हमला कर सकते हैं तो फिर जवाब में दूसरी अभिव्यक्ति की आजादी की आवाज सुनने के लिए तैयार रहिए."
उन्होंने कहा, "हिंसा कोई तरीका नहीं है, किसी भी समूह को हिंसा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. एक तरह के विनाश का गठजोड़ है जो आकार ले रहा है. कुछ विश्वविद्यालय परिसरों में अति वामपंथी और अलगाववादी एक ही भाषा बोल रहे हैं. उन्हें इसके खिलाफ विचार रखने वालों को अपना विचार व्यक्त करने देना चाहिए."
उन्होंने कहा, "मैं इसे पूरी तरह से आश्चर्यचकित करने वाला पाता हूं कि मैं तो भारत के टुकड़े करने की वकालत करने की आजादी का इस्तेमाल करूं और जो मेरे इस कदम का विरोध करें, वे अभिव्यक्ति की आजादी की राह में बाधा डालने वाले कहे जाएं, यह कैसी बात, उन्हें भी अभिव्यक्ति की आजादी हासिल है."
उधर, नई दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी वित्त मंत्री का समर्थन करते हुए कहा कि आजादी की बातें करने वाले दूसरों को बोलने नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत की संप्रभुता का अपमान करना फैशन बन गया है.
जितेंद्र सिंह ने कहा कि अगर यह इस लॉबी की सहिष्णुता का नमूना है तो फिर सोचकर रोंगटे खड़े होते हैं कि वे दूसरों से किस तरह की सहिष्णुता चाहते हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई उदारवादी लोकतंत्रों में गणराज्य की अखंडता को नहीं लांघने की एक लक्ष्मण रेखा पाई जाती है.
बता दें कि दिल्ली स्थित रामजस कालेज के बाहर 22 फरवरी को एबीवीपी और अन्य छात्र समूहों के बीच हिंसा के बाद जेटली का यह बयान सामने आया है.
एबीवीपी ने रामजस में एक कार्यक्रम का विरोध किया था जिसमें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र उमर खालिद को भी आमंत्रित किया गया था. खालिद व कुछ अन्य छात्रों पर देश विरोधी नारे लगाने का आरोप है.
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