केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चुनाव आयोग को पहले ही आगाह किया था
नई दिल्ली:
मणिपुर में होने वाले चुनावों को लेकर केंद्र सरकार की चिंता बढ़ती जा रही है क्योंकि मणिपुर में ब्लॉकेड ख़त्म होता नज़र नहीं आ रहा है. अब सारा दारोमरदार चुनाव आयोग पर है कि वो कैसे वहां चुनाव करवाता है. माना जा रहा है कि अगर हालात जल्द ना सुधरे तो जिन इलाक़ों में नगा ब्लॉकेड का असर है वहां चुनाव टाला जा सकता है. मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि "कुछ इलाक़े हैं जहां नगा समुदाय के लोग ज़्यादा हैं, वहां चुनाव टाला जा सकता है. इस पर विचार हो रहा है." लेकिन अंतिम फ़ैसला चुनाव आयोग को लेना है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चुनाव आयोग को पहले ही कहा था कि चुनावों के लिए माहौल ठीक नहीं है. केंद्रिय गृह मंत्रालय के मुताबिक़ चुनाव आयोग को पहले ही आगाह कर दिया गया था कि मणिपुर में चुनाव टाले जाएं लेकिन चुनाव आयोग ने एक न सुनी और चुनाव घोषित कर दिए. एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, "अब फ़ैसला चुनाव आयोग पर है. हमसे जितनी फ़ोर्स मांगी जाएगी हम उतनी दे देंगे." उनके मुताबिक़ अभी भी मणिपुर में 176 कम्पनियां तैनात हैं. इसमें बॉर्डर गार्डिंग फ़ोर्स भी शामिल है. उनका कहना है कि "चुनाव आयोग और 200 के क़रीब कम्पनियां मांग रहा है और हम वो भी दे देंगे."
पोलिंग पार्टी को हेलिकॉप्टर उपलब्ध कराएगी राज्य सरकार
उधर राज्य सरकार का तर्क है कि जिन इलाक़ों में दिक़्क़त आ रही है वहां पोलिंग पार्टी और एजेंटों को हेलिकॉप्टर के ज़रिए भेजा जा सकता है. राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को फ़ोन पर बताया, "पीछली बार भी जब चुनाव हुए थे तब भी कुछ लोगों ने उसका बहिष्कार किया था. ये मणिपुर के लिए नई बात नहीं है."
नई विधानसभा 17 मार्च तक बननी चाहिए
दिक़्क़त ये है कि मणिपुर की नई विधानसभा 17 मार्च तक बन जानी चाहिए. अगर कुछ इलाक़ों में चुनाव नहीं होगा तो विधानसभा नहीं बन पाएगी और केंद्र को वहां राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा.
ब्लॉकेड को ख़त्म करने के लिए केंद्र ने की कई कोशिशें
मणिपुर ब्लॉकेड को ख़त्म करने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली में बैठक भी बुलाई थी. यूनाइटेड नगा काउन्सिल से गायडान कमाई और स्टीफ़न जूडिशल कस्टडी में दिल्ली बातचीत करने भी आए थे. मीटिंग में नागा काउन्सिल इस बात के लिए तैयार हो गया था कि वो ब्लॉकेड ख़त्म कर देगा और मणिपुर सरकार राज़ी हो गई थी कि वो इन दोनों नगा नेताओं को छोड़ देगी. यह भी तय हुआ था कि जिन नए जिलों को लेकर दोनों के बीच तनाव है उसके ऊपर नई राज्य सरकार आने के बाद फ़ैसला लेगी. दोनों पक्ष अपने अपने नेताओं से मंज़ूरी लेने वापस गए. लेकिन जब दूसरे दौर की बैठक हुई तो बात नहीं बन पाई. केन्द्रीय गृह मंत्रालय का कहना है, 'नागा नेताओं ने अपने प्रेसिडेंसियल काउन्सिल यानी मुईवा से बात की लेकिन उसने इस शर्त पर मुहर नहीं लगाई.'
उधर उत्तर पूर्वी राज्यों के मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि राज्य सरकार अपनी तरफ़ से कोई कोशिश नहीं कर रही है कि माहौल बदले. उनके मुताबिक़ बीजेपी की तरफ़ से भी चुनाव आयोग को रेप्रेज़ेंटेशन दी गई थी लेकिन उन्होंने नहीं सुनी.
पोलिंग पार्टी को हेलिकॉप्टर उपलब्ध कराएगी राज्य सरकार
उधर राज्य सरकार का तर्क है कि जिन इलाक़ों में दिक़्क़त आ रही है वहां पोलिंग पार्टी और एजेंटों को हेलिकॉप्टर के ज़रिए भेजा जा सकता है. राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को फ़ोन पर बताया, "पीछली बार भी जब चुनाव हुए थे तब भी कुछ लोगों ने उसका बहिष्कार किया था. ये मणिपुर के लिए नई बात नहीं है."
नई विधानसभा 17 मार्च तक बननी चाहिए
दिक़्क़त ये है कि मणिपुर की नई विधानसभा 17 मार्च तक बन जानी चाहिए. अगर कुछ इलाक़ों में चुनाव नहीं होगा तो विधानसभा नहीं बन पाएगी और केंद्र को वहां राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा.
ब्लॉकेड को ख़त्म करने के लिए केंद्र ने की कई कोशिशें
मणिपुर ब्लॉकेड को ख़त्म करने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली में बैठक भी बुलाई थी. यूनाइटेड नगा काउन्सिल से गायडान कमाई और स्टीफ़न जूडिशल कस्टडी में दिल्ली बातचीत करने भी आए थे. मीटिंग में नागा काउन्सिल इस बात के लिए तैयार हो गया था कि वो ब्लॉकेड ख़त्म कर देगा और मणिपुर सरकार राज़ी हो गई थी कि वो इन दोनों नगा नेताओं को छोड़ देगी. यह भी तय हुआ था कि जिन नए जिलों को लेकर दोनों के बीच तनाव है उसके ऊपर नई राज्य सरकार आने के बाद फ़ैसला लेगी. दोनों पक्ष अपने अपने नेताओं से मंज़ूरी लेने वापस गए. लेकिन जब दूसरे दौर की बैठक हुई तो बात नहीं बन पाई. केन्द्रीय गृह मंत्रालय का कहना है, 'नागा नेताओं ने अपने प्रेसिडेंसियल काउन्सिल यानी मुईवा से बात की लेकिन उसने इस शर्त पर मुहर नहीं लगाई.'
उधर उत्तर पूर्वी राज्यों के मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि राज्य सरकार अपनी तरफ़ से कोई कोशिश नहीं कर रही है कि माहौल बदले. उनके मुताबिक़ बीजेपी की तरफ़ से भी चुनाव आयोग को रेप्रेज़ेंटेशन दी गई थी लेकिन उन्होंने नहीं सुनी.
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