- हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी दिल्ली ब्लास्ट के बाद जांच के दायरे में आई है
- यूनिवर्सिटी की स्थापना हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत 1997 में हुई थी, 2014 में यूनिवर्सिटी का दर्जा
- यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज के साथ 650 बिस्तरों वाला अस्पताल भी शामिल, मुफ्त इलाज मिलता है
हरियाणा में फरीदाबाद जिले के मुस्लिम बहुल धौज गांव में बनी अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उसका 76 एकड़ में फैला कैंपस सुर्खियों में है. यह यूनिवर्सिटी ‘‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल'' और दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट के सिलसिले में तीन डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद जांच के घेरे में आ गई है. पढ़े-लिखे लोगों के ‘‘पाकिस्तान समर्थित सरपरस्तों के इशारे पर काम करते'' हुए पाए जाने के बाद जांचकर्ता यह पता लगा रहे हैं कि यह यूनिवर्सिटी ऐसे व्यक्तियों के लिए आश्रय स्थल कैसे बन गई.
हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत बना अल-फलाह
यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के अनुसार, इसकी स्थापना हरियाणा विधानसभा द्वारा हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत की गई थी. इसकी शुरुआत 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी. 2013 में अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) से ‘A' कैटेगरी की मान्यता प्राप्त हुई. 2014 में हरियाणा सरकार ने इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया. अल-फलाह मेडिकल कॉलेज भी इसी यूनिवर्सिटी से संबद्ध है.
कई विशेषज्ञों के अनुसार, अपने शुरुआती सालों में अल-फलाह यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक छात्रों के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया के एक शानदार विकल्प के रूप में सामने आया. इसमें एमबीबीएस का कोर्स साल 2019 से शुरू हुआ था. इस यूनिवर्सिटी में 40% डॉक्टर्स कश्मीर से हैं.
अल-फलाह यूनिवर्सिटी के वर्तमान रजिस्ट्रार प्रोफेसर (डॉ.) मोहम्मद परवेज हैं. डॉ. भूपिंदर कौर आनंद इसकी कुलपति हैं. यह यूनिवर्सिटी तीन कॉलेजों में शिक्षा प्रदान करती है : अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, और अल-फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग.
यूनिवर्सिटी में 650 बिस्तरों वाला अस्पताल
इस यूनिवर्सिटी में 650 बिस्तरों वाला एक हॉस्पिटल भी है, जहां डॉक्टर मुफ्त में मरीजों का उपचार करते हैं. पुलिस ने बताया कि उन्होंने मंगलवार को पूरे दिन यूनिवर्सिटी में निरीक्षण किया और कई लोगों से पूछताछ की.
सोमवार शाम दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास विस्फोटकों से लदी एक कार में हुए एक उच्च-तीव्रता वाले विस्फोट में 12 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए थे. पुलवामा का डॉक्टर मोहम्मद उमर नबी अल-फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर था. ऐसा संदेह है कि विस्फोटकों से लदी हुंडई i20 वही चला रहा था.
यह विस्फोट यूनिवर्सिटी से जुड़े तीन डॉक्टरों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार करने और 2,900 किलोग्राम विस्फोटक जब्त करने के कुछ घंटों बाद हुआ, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद से जुड़े एक ‘‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल'' का खुलासा हुआ, जो कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था. गिरफ्तार लोगों में शामिल डॉ. मुजम्मिल गनई अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था.
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