पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
इसी महीने 22 मई को प्रस्तावित पीएम मोदी की दो दिवसीय यात्रा के पहले भारत सरकार ईरान को 6.5 बिलियन डॉलर का बिल तेजी से चुकाना चाहती है जोकि ईरान पर प्रतिबंधों के दौरान लिए गए कच्चे तेल के आयात के एवज में चुकाए जाने हैं। हाल ही में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ईरान गए थे, इस दौरान बिल चुकाने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने गए थे जो दोनों पक्षों को स्वीकार्य हो।
इतना अधिक बिल क्यों हो गया...
लगभग तीन साल के प्रतिबंधों के दौरान ईरान मात्र 45 प्रतिशत की राशि भारतीय मुद्रा में ले रहा था जोकि भारतीय बैंक में ही जमा होती थी और बकाया राशि भुगतान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के बाद चुकाना तय हुआ था। बकाया राशि का मूल्य 6.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने पर के बाद ईरान चाहता था कि इस साल जनवरी में यूरो प्रतिबंध खत्म होने पर भुगतान जल्दी हो जाए जिससे वह अपने अधोसंरचना में निवेश कर सके।
भारत को जल्दी क्यों...
सूत्रों के मुताबिक, भारत भी चाहता है कि पीएम मोदी की यात्रा से पहले भुगतान की प्रक्रिया तेज हो जाए जिससे ईरान से ONGC का समझौता हो जाए ताकि विभिन्न परियोजनाओं और तेल कीमतों के फार्मूलों पर कोई सहमति बन सके।
पेट्रोलियम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, परस्पर भुगतान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए भारत ने तुर्की के हल्कबैंक से भी भुगतान संबंधी सुविधा देने के लिए संपर्क किया है और इस दिशा में जल्द ही समझौता होने की उम्मीद है। इस नए मार्ग से भुगतान यूरो में भी किया जा सकेगा।
ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध खत्म होने के बाद यह आसान मुद्दा नहीं...
ईरान पर प्रतिबंध खत्म होने के बाद ये आसान मुद्दा नहीं रह गया था। प्रतिबंधों की वजह से सुस्त हुए ईरान की वित्तीय और बैकिंग व्यवस्था को दुनिया की वित्त व्यवस्था के साथ तालमेल बनाने में समय लग रहा है इसीलिए ईरान से जुड़े बैंकों के मामले में भारत के पास सीमित विकल्प हैं।
प्रतिबंधों का समय पांच भारतीय कम्पनियों, इण्डियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लि.( HPCL), मंगलौर रीफायनरी, एस्सार ऑयल और मित्तल एनर्जी, के लिए आसान समय था जब ईरान खुद की जहाज सेवा का उपयोग करते हुए कच्चा तेल ईरान से भारत तक ला कर दे देता था। पर अब प्रतिबंध समाप्त होने के बाद ईरान चाहता है कि भारतीय कम्पनियां तेल ले जाने की व्यवस्था खुद कर लें। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी के मुताबिक विदेश मंत्रालय की सहायता से हम भुगतान का मूद्दा सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं। दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा ईरान से भारत तक कच्चा तेल लाने का भी है।
इतना अधिक बिल क्यों हो गया...
लगभग तीन साल के प्रतिबंधों के दौरान ईरान मात्र 45 प्रतिशत की राशि भारतीय मुद्रा में ले रहा था जोकि भारतीय बैंक में ही जमा होती थी और बकाया राशि भुगतान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के बाद चुकाना तय हुआ था। बकाया राशि का मूल्य 6.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने पर के बाद ईरान चाहता था कि इस साल जनवरी में यूरो प्रतिबंध खत्म होने पर भुगतान जल्दी हो जाए जिससे वह अपने अधोसंरचना में निवेश कर सके।
भारत को जल्दी क्यों...
सूत्रों के मुताबिक, भारत भी चाहता है कि पीएम मोदी की यात्रा से पहले भुगतान की प्रक्रिया तेज हो जाए जिससे ईरान से ONGC का समझौता हो जाए ताकि विभिन्न परियोजनाओं और तेल कीमतों के फार्मूलों पर कोई सहमति बन सके।
पेट्रोलियम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, परस्पर भुगतान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए भारत ने तुर्की के हल्कबैंक से भी भुगतान संबंधी सुविधा देने के लिए संपर्क किया है और इस दिशा में जल्द ही समझौता होने की उम्मीद है। इस नए मार्ग से भुगतान यूरो में भी किया जा सकेगा।
ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध खत्म होने के बाद यह आसान मुद्दा नहीं...
ईरान पर प्रतिबंध खत्म होने के बाद ये आसान मुद्दा नहीं रह गया था। प्रतिबंधों की वजह से सुस्त हुए ईरान की वित्तीय और बैकिंग व्यवस्था को दुनिया की वित्त व्यवस्था के साथ तालमेल बनाने में समय लग रहा है इसीलिए ईरान से जुड़े बैंकों के मामले में भारत के पास सीमित विकल्प हैं।
प्रतिबंधों का समय पांच भारतीय कम्पनियों, इण्डियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लि.( HPCL), मंगलौर रीफायनरी, एस्सार ऑयल और मित्तल एनर्जी, के लिए आसान समय था जब ईरान खुद की जहाज सेवा का उपयोग करते हुए कच्चा तेल ईरान से भारत तक ला कर दे देता था। पर अब प्रतिबंध समाप्त होने के बाद ईरान चाहता है कि भारतीय कम्पनियां तेल ले जाने की व्यवस्था खुद कर लें। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी के मुताबिक विदेश मंत्रालय की सहायता से हम भुगतान का मूद्दा सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं। दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा ईरान से भारत तक कच्चा तेल लाने का भी है।
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