G-20 से पहले दिल्ली की सड़कों पर एक साथ 400 नई इलेक्ट्रिक बसें उतर रही है. इन बसों के लिए 90 फ़ीसदी खर्च दिल्ली सरकार ने किया है. जिनमें सिर्फ 10 फ़ीसदी केंद्रीय FAME सब्सिडी की हिस्सेदारी है. ये बसें सब्सिडी स्कीम की 921 बसों में शामिल हैं, जिनके लिए केंद्र ने सिर्फ 417 करोड़ की सब्सिडी दी है, लेकिन इसमें दिल्ली की केजरीवाल सरकार का खर्च 3674 करोड़ है.
अत्याधुनिक व्यवस्था से लैस बसें
400 नई बसों के साथ दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसों की कुल संख्या 800, जबकि कुल बसों की संख्या 7,135 हो गई है. ये सभी बसें लो फ्लोर एसी बसें हैं और इन्हें दिव्यांगजनों की सुविधा के अनुसार डिजाइन किया गया है. ये बसे GPS, पैनिक बटन, सीसीटीवी और हूटर जैसी अत्याधुनिक व्यवस्था से लैस हैं. साथ ही इनकी खासियत है कि इनसे धुआं और आवाज़ भी नहीं निकलता. कुल 800 इलेक्ट्रिक बसों के साथ दिल्ली अब देश भर में सबसे ज़्यादा इलेक्ट्रिक बसों वाला शहर बन गई है.
2023 के अंत तक दिल्ली में 1900 इलेक्ट्रिक बसें होगी
पर्यावरण के मद्देनज़र भी दिल्ली के लिए इलेक्ट्रिक बसें काफी खास मानी जा रही है. इन 800 इलेक्ट्रिक बसों के कारण दिल्ली में हर साल पैदा होने वाले कार्बन डाई ऑक्साईड में 45 हज़ार टन की कमी होगी. 2023 के अंत तक दिल्ली में 1900 इलेक्ट्रिक बसें होगी. इसी के साथ दिल्ली दुनियाभर में सबसे ज़्यादा इलेक्ट्रिक बसों वाला शहर बन जाएगा. साल 2025 तक दिल्ली में कुल 10,480 बसें होंगी, जिनमें से 8,280 बसें इलेक्ट्रिक होंगी.
इलेक्ट्रीफ़ाइड 8 डिपो दिल्ली में ऑप्रेशनल
इलेक्ट्रिक बसों के कारण 2025 से दिल्ली में हर साल पैदा होने वाले कार्बन डाई ऑक्साईड में 4 लाख 67 हज़ार टन की कमी आएगी. दिल्ली की केजरीवाल सरकार 1500 करोड़ की लागत से सभी डिपो का इलेक्ट्रिफ़िकेशन कर रही है. 8 हज़ार से ज़्यादा इलेक्ट्रिक बसों के लिए कुल 70 डिपो को इलेक्ट्रीफाई किया जा रहा है. पूरी तरह से इलेक्ट्रीफ़ाइड 8 डिपो दिल्ली में पहले से ही ऑप्रेशनल हैं.
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