उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को जोर देकर कहा कि, भारत एक अद्वितीय लोकतंत्र है, देश को कानून के शासन केस बारे में किसी से सबक लेने की जरूरत नहीं है. उनकी यह टिप्पणी जर्मनी, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र (UN) की ओर से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर दिए गए वक्तव्यों के बाद आई है. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों से पूछे गए सवालों के बाद टिप्पणियां शुरू हुईं. यह कांग्रेस के बैंक खातों को फ्रीज करने के बारे में भी थीं.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कहा कि, "भारत एक मजबूत न्यायिक प्रणाली वाला लोकतंत्र है. यह किसी भी व्यक्ति या किसी समूह से समझौता नहीं करता है. भारत को कानून के शासन के बारे में किसी से सबक लेने की जरूरत नहीं है."
धनखड़ ने जोर देकर कहा कि, भारत में "कानून के सामने समानता नया आदर्श है" और जो लोग सोचते हैं कि वे कानून से परे हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जा रहा है.
नई दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ आम आदमी पार्टी (AAP) की ओर से रैली आयोजित किया जाना प्रस्तावित है. इसमें विपक्ष के इंडिया गठबंधन के कई नेताओं के शामिल होने की संभावना है. इसे लेकर उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘लेकिन हम क्या देखते हैं - जैसे ही कानून अपना काम शुरू करता है, वे सड़कों पर उतर आते हैं, ऊंची आवाज में बहस करते हैं, मानवाधिकारों की सबसे खराब प्रकृति के दोषी को छिपाते हैं. यह हमारी नाक के नीचे हो रहा है.'
भारतीय न्यायिक प्रणाली को मजबूत, स्वतंत्र और जन-समर्थक बताते हुए उन्होंने पूछा, "जब कानून लागू हो जाता है तो किसी व्यक्ति या संस्था या संगठन के सड़कों पर उतरने का क्या औचित्य है?"
भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (IIPA) के 70वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए धनखड़ ने यह भी कहा कि "कानून के उल्लंघन" में शामिल लोग अब पीड़ित कार्ड खेल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि, "भ्रष्टाचार अवसर, रोजगार या कॉन्ट्रेक्ट का मार्ग अब और नहीं हो सकता. यह जेल का रास्ता है... क्या आप उच्च नैतिक आधार पर कह सकते हैं कि भ्रष्टाचारियों से इसलिए नहीं निपटा जाना चाहिए क्योंकि यह त्योहारों का मौसम है, यह खेती का मौसम है? जो दोषी हैं उन्हें बचाने का कोई मौसम कैसे हो सकता है?"
अमेरिका और जर्मनी के प्रतिनिधियों की टिप्पणियों के बाद भारत ने उनके राजनयिकों को तलब किया था. भारत ने टिप्पणियों को "अनुचित", "पक्षपातपूर्ण" और "अस्वीकार्य" बताया था. लेकिन भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता के बयान पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
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