उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा के समर्थन से ममता बनर्जी की टीएमसी के किनारा किए जाने को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है और क्या कहना चाहिए. दिल्ली में कुछ और बात करती हैं और बंगाल जाकर कुछ और बात निकलती है. वह दुविधा की राजनीति करती हैं.
उन्होंने आगे कहा कि कुछ न कुछ मजबूरी जरूर है, आपको याद होगा कुछ दिनों पहले दार्जिलिंग हिल्स में मुलाकात हुई थी. एनडीए के उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ और हेमंत विश्व शर्मा के साथ मुलाकात हुई थी और उसके बाद ही उपराष्ट्रपति पद के कैंडिडेट का ऐलान हुआ. दो दुना चार कर लीजिए, आपको सब पता लग जाएगा, एक तरफ बीजेपी को खुश करना है और दूसरी तरफ बेमतलब विपक्ष पर आरोप लगाना है.
सबसे पहली बात है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए मैडम सोनिया गांधी के घर पर मुलाकात नहीं हुई थी. शरद पवार के घर पर मुलाकात हुई थी और सब विपक्षी दलों को बुलाया गया था. वहां से शरद पवार ने खुद ममता से फोन पर बात की और वह इस तरह की बात कर रही हैं, हम क्या कर सकते हैं. वहां पर और भी विपक्ष के लोग थे, उन सबसे पूछ लीजिए.
वह टीएमसी धनखड़ की खिलाफत नहीं करेगी. यह ममता बनर्जी की खुद की मजबूरियां हैं. वह खुद को बचाना चाहती हैं. हम तो सबको साथ लेकर चलने की बात करते हैं. हम जो वादा करते हैं, वह पूरा करते हैं. उन लोगों से हमारी लड़ाई जारी रहेगी. वह खुद को बचाना चाहती है. कभी ठंडा चलो कभी गर्म चलो की नीति पर चल रही हैं. ध्रुवीकरण की राजनीति में दोनों का फायदा होता है.
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