अभिनेता प्रकाश राज ने दावा किया है कि ‘तीन राजनीतिक दल' 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें अपना उम्मीदवार बनाने के लिए उनके पीछे पड़े हैं, लेकिन ऐसा उनकी विचारधारा के कारण नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आलोचक होने की वजह से है. प्रकाश राज (58) ने यहां केरल साहित्य महोत्सव (केएलएफ) में कहा, ‘‘मैं इस जाल में नहीं फंसना चाहता.'' पुरस्कार विजेता अभिनेता को ‘‘कांचीवरम'', ‘‘सिंघम'' और ‘‘वांटेड'' जैसी फिल्मों में उनके दमदार काम के लिए जाना जाता है. उन्होंने 2019 के आम चुनावों में बेंगलुरु सेंट्रल से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन असफल रहे.
केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार के मुखर आलोचक राज ने शनिवार को ‘‘स्टार पावर एंड स्टेट-क्राफ्ट: पब्लिक पर्सोना एंड इलेक्टोरल पॉलिटिक्स'' विषयक सत्र के दौरान कहा, ‘‘अब, चुनाव आ रहे हैं, तीन राजनीतिक दल मेरे पीछे पड़े हैं. मैंने फोन बंद कर दिया है...क्योंकि मैं इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहता. वे न लोगों के लिए, न मेरी विचारधारा के लिए आ रहे हैं, चूंकि मैं ‘मोदी का आलोचक' हूं, इसलिए वे कहते हैं, आप एक अच्छे उम्मीदवार हैं.''
अभिनेता ने आरोप लगाया कि आज राजनीतिक दल अपनी आवाज खो चुके हैं और उनमें कोई सच्चाई नहीं बची है, यही कारण है कि उनमें से कई (दल) उम्मीदवारों को खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. सत्र के दौरान अभिनेता ने पूछा, ‘‘इस देश में उम्मीदवार नहीं हैं? राजनीतिक दल निर्वाचन क्षेत्रों के लिए प्रतिनिधि ढूंढने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हम कितने गरीब हैं?'' अभिनेता सत्र संचालक अंजना शंकर के सवालों का जवाब दे रहे थे. राज से यह भी पूछा गया कि क्या वह प्रधानमंत्री मोदी से ‘नफरत' करते हैं?
प्रकाश राज ने कहा, ‘‘मैं उनसे (मोदी) नफरत नहीं करता. क्या वह मेरे ससुर हैं या क्या मेरा उनके साथ कोई संपत्ति का झगड़ा है? मैं उन्हें सिर्फ यह बता रहा हूं कि मैं एक करदाता हूं...मैंने आपका वेतन दिया और आप मुझसे अपने नौकर के रूप में सलूक कर रहे हैं. ऐसा नहीं होता है... मैं उन्हें अपना काम करने के लिए कह रहा हूं.'' ‘एक्स' पर सरकार की आलोचना करने वाले अपने पोस्ट का बचाव करते हुए अभिनेता ने कहा, ‘‘मैं वही बोलता हूं जो हर किसी के दिल में है और यह मेरी आवाज नहीं है, यह हमारी (लोगों की) आवाज है.''
प्रकाश राज ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में बात करते हुए कहा, ‘‘यह मेरे ‘मन की बात' नहीं बल्कि हमारे ‘मन की बात' है.'' उन्होंने यह भी कहा कि सत्ता में बैठे व्यक्ति से सवाल पूछने की जरूरत है. अभिनेता ने कहा, ‘‘चाहे मैंने उन्हें वोट दिया हो या नहीं दिया हो, वह अब मेरे भी प्रधानमंत्री हैं. यही लोकतंत्र है, वह यह नहीं कह सकते कि आपने वोट नहीं दिया, आप मत सवाल करिए...जिस पल वह हटेंगे, जो भी आएगा, मैं उस व्यक्ति से भी पूछूंगा. आप मेरे ट्वीट में बदलाव देखेंगे. उनके (मोदी) जाने के बाद...अगर वह हट जाएंगे, तो मैं उनके बारे में क्यों बात करूंगा?''
प्रकाश राज ने कहा, ‘‘मैं नेहरू, हिटलर के बारे में ट्वीट करता हूं, वे मेरे लिए प्रासंगिक भी नहीं हैं...अगर मैं आठ पीढ़ी पहले के औरंगजेब, टीपू सुल्तान जैसे किसी और के बारे में बात करता हूं तो लोग मुझे मूर्ख कहेंगे, मैं तब पैदा भी नहीं हुआ था.'' इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी, अमेरिकी चिकित्सक-लेखक अब्राहम वर्गीस, पुरस्कार विजेता लेखक पेरुमल मुरुगन और हास्य अभिनेता कानन गिल समेत कई हस्तियों ने केरल साहित्य महोत्सव में भाग लिया. सम्मेलन रविवार को समाप्त हुआ.
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