किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने हर्षा रिछारिया के मामले पर बात करते हुए कहा कि जो धर्म के हैं उनपर गर्व होना चाहिए. अगर हम तिलक लगा ले तो क्या बुराई है. धर्म किसी को बुराई नहीं सिखाता. सनातन सबको साथ लाने का धर्म है, पूरे विश्व को हम अपना कुटुम मानते हैं. किसकी को नुकसान पहुंचाने का धर्म नहीं है. हर्षा रिछारिया का समर्थन करते हुए किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि सबका संगम नगरी में स्वागत है. कोई धर्म इतना धर्मनिरपेक्ष नहीं हो सकता. महाकुंभ में न कोई जातिवाद है और न रंगभेद है. एक घाट पर सब डूबकी लगा रहे हैं. अमीर हो या गरीब हो, सब यहां एक साथ हैं, तो इससे बड़ा आयोजन क्या हो सकता है.
क्या है पूरा मामला
हर्षा महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े के छावनी प्रवेश के दौरान एक रथ पर संतों के साथ रथ में बैठी नजर आई थी. इसी को लेकर विवाद शुरू हो गया था. कुछ संतों ने हर्षा के रथ पर बैठने और भगवा वस्त्र धारण करने पर आपत्ति जताई थी. विवाद इतना बढ़ गया कि हर्षा महाकुंभ छोड़कर चले गई थी. हर्षा ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट एक्स पर वीडियो शेयर किया था. जिसमें वो फूट-फूटकर रोती नजर आई थी. हर्षा रिछारिया ने महाकुंभ छोड़ने की वजह भी बताई थी और कहा था लोगों को शर्म आनी चाहिए कि एक लड़की जो धर्म से जुड़ने, धर्म को जानने, सनातन संस्कृति को समझने के लिए आई थी, आपने उसे इस लायक भी नहीं छोड़ा कि वो पूरे कुंभ में रुक सके. वो कुंभ जो हमारे जीवन में एकबार आता है. आपने कुंभ एक इंसान से छीन लिया. इसका पुण्य को तो नहीं पता लेकिन आनंद स्वरूप जी ने जो किया है इसका पाप उन्हें जरूर लगेगा.
दरअसल काली सेना के प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप ने हर्षा के रथ पर बैठने पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने फेसबुक पर लिखा था, 'महाकुंभ मेले में निरंजनी अखाड़े के छावनी में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी जी महाराज से भोजन प्रसाद पर चर्चा हुई. मैंने कहा कि यह कुंभ अखाड़ों को मॉडल दिखाने के लिए नहीं आयोजित है, यह कुंभ जप, तप और ज्ञान की गंगा के लिए है. इसलिए इस कुकृत्य पर आप कार्रवाई कीजिए.'
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