नई दिल्ली में हो रहा G20 शिखर सम्मेलन भारत और अमेरिका को कुछ और करीब ले आया है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान कई क्षेत्रों में सहयोग पर सहमति बनी है. जी20 समिट जारी है. इस बीच NDTV से एक खास बातचीत में अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मार्ग्रेट मॅक्लाउड ने भारत-अमेरिका के संबंधों के भविष्य पर प्रकाश डाला. इस दौरान मार्ग्रेट की शुद्ध हिंदी के उच्चारण ने हमें यह पूछने पर मजबूर कर दिया कि आखिर उन्होंने इतनी अच्छी हिंदी कहां से सीखी...?
अमेरिका पहले से अफ्रीकी संघ को G20 में स्थान देने का समर्थक रहा
अफ़्रीकी संघ को जी20 में शामिल कर लिया है और ये भारत की अध्यक्षता में हुआ है. इस पर अमेरिका विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मार्ग्रेट मॅक्लाउड ने कहा, "हम समझते हैं कि अफ्रीकी संघ की आवाज बहुत अहमियत रखती है. यही वजह है कि अमेरिका पहले से अफ्रीकी संघ को इस समूह में स्थान देने का समर्थन करता रहा है."
आपसी बातचीत की एकमात्र विकल्प...
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार G20 शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि यूक्रेन युद्ध ने दुनिया में विश्वास की कमी को गहरा कर दिया है और भारत पूरी दुनिया से इसे एक-दूसरे पर भरोसे में तब्दील करने की अपील करता है. इस पर मार्ग्रेट ने कहा, "हमारा मानना है कि विश्वास और भरोसे को कायम करने के लिए आपसी बातचीत की एकमात्र विकल्प है. और जी20 बुनियादी तौर पर इकोनॉमिक फोरम है. एक बेहतरीन मंच है, जहां हम दुनिया के बड़े मुद्दों पर खुलकर बात कर सकते हैं.
भारत के साथ हमारा सहयोग बहुत बड़े पैमाने पर हो रहा
नई दिल्ली में जी20 समिट से एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई. इसमें कई मुद्दों पर दोनों देशों के बीच सहमति बनी है. इस पर मार्ग्रेट कहती हैं, "अगर आप ज्वॉइंट स्टेटमेंट देखें, तो यह जाहिर है कि भारत के साथ हमारा सहयोग बहुत बड़े पैमाने पर हो रहा है. परमाणु ऊर्जा सहयोग, 6जी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी महत्वपूर्ण व उभरती प्रौद्योगिकियों और बहुपक्षीय विकास बैंकों को मौलिक रूप से नया आकार देने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया. अमेरिका की तरह से साफ ऊर्जा और परिवर्तन के लिए जो इंवेस्टमेंट हो रहा है, वो एक मिसाल है. यह दर्शाता है कि अगर हम अपनी ताकत इकट्ठा कर लें, तो मिलकर कितने अच्छे काम कर सकते हैं.
भारत-अमेरिका मिलकर काम करें, तो आएंगे बहुत अच्छे परिणाम
भारत की अमेरिका के साथ रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर भी सहमति बनी है. इनमें एक रीपर ड्रोन की भी बात हुई है. इस पर मार्ग्रेट ने कहा, "अमेरिका, भारत का सहयोग करना चाहता है. इसमें रक्षा क्षेत्र भी शामिल है. दोनों देशों के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता के दौरान जेट इंजन पर भी बात हुई, स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर की भी बात हुई, अगर दोनों देश शिक्षा के क्षेत्र में साथ मिलकर काम करें, तो बेहतर परिणाम सामने आ सकते हैं."
साझा बयान मुश्किल तो है, लेकिन नामुमकिन नहीं
मार्ग्रेट ने भारत और अमेरिका के भविष्य में अंतरिक्ष के क्षेत्र में साथ काम करने को लेकर भी खुशी जाहिर करते हुए कहा, "ये बेहद खुशी की बात है कि अब दोनों देश मानव रहित स्पेस फ्लाइट में मिलकर काम करेंगे और वाणिज्यिक अंतरिक्ष अन्वेषण (Commercial Space Exploration)भी मुमकिन हो गया है." भारत की अध्यक्षता में जी20 शिखर सम्मेलन को लेकर एक साझा बयान आने के सवाल पर मार्ग्रेट ने कहा कि जैसा कि हमारे सलाहकार ने कहा कि ये मुश्किल तो होता, लेकिन मैं यह नहीं कहूंगा कि ये नामुमकिन होगा.
मार्ग्रेट सभी सवालों के जवाब इतनी शुद्ध हिंदी में दे रही थीं कि हमसे पूछे बिना रहे नहीं गया कि उन्होंने इतनी अच्छी हिंदी कहा से सीखी...? इस पर उन्होंने कहा, "मैंने हिंदी भारत से ही सीखी है. विदेश सेवा मंत्रालय से जुड़े अध्यपकों से हिंदी सीखने को मिला. यहां आने से पहले कुछ हिंदी किताबों से सीखने की कोशिश की. यहां एक स्कूल भी है, जो अच्छी हिंदी सिखाते हैं."
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