आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के सरकारी घर का विवाद गहराता जा रहा है. घर खाली करने के आदेश पर लगी अदालत की रोक को बड़ी अदालत में चुनौती दी जाएगी. राज्यसभा की आवास समिति के अध्यक्ष सी आर रमेश ने कहा है कि राघव चड्ढा को जो घर मिला है, वे उसके पात्र नहीं थे. उन्हें टाइप पांच आवास मिलना था, लेकिन टाइप सात आवास दे दिया गया था. इसीलिए उन्हें ये आवास खाली करने का नोटिस दिया गया.
सी आर रमेश ने कहा कि अदालत ने बिना आवास समिति या राज्य सभा सचिवालय का पक्ष जाने स्टे दे दिया, इसीलिए ऊंची अदालत में इस स्टे के खिलाफ चुनौती दी जाएगी. उनके अनुसार अकेले राघव चड्ढा ही नहीं, बल्कि बीजेपी के सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल का आवास भी बदला गया. राधा मोहन दास अग्रवाल को एबी 15 मथुरा रोड दिया गया था, जो टाइप सात था. अब उन्हें ब्रह्मपुत्र अपार्टमेंट में फ्लैट दिया गया है, जो टाइप पांच है.
पूर्व केंद्रीय मंत्रियों, पूर्व राज्यपालों और पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलता है टाइप सात आवास
उन्होंने कहा कि राघव चड्ढा को जो आवास मिला, वे उसके पात्र नहीं थे. राघव चड्ढा पहली बार सांसद बने हैं, इसलिए उन्हें टाइप पांच आवास मिलना था. उन्हें 501 स्वर्ण जयंती सदन आवंटन किया गया है. लेकिन वे एबी 5 पंडारा रोड में रह रहे हैं जो टाइप सात आवास है. टाइप सात आवास केवल पूर्व केंद्रीय मंत्रियों, पूर्व राज्यपालों और पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलता है. उन्हें यह आवास छोड़ने का नोटिस दिया गया है.
कई और सांसदों के भी बदले गए आवास
जिस दौरान राज्य सभा आवास समिति का अध्यक्ष पद रिक्त था, उस दौरान राज्य सभा के सभापति की ओर से आवंटन किया गया था. लेकिन बाद में पात्रता के आधार पर आवंटन किया गया. इसी तरह कांग्रेस के सांसद इमरान प्रतापगढ़ी को सभापति की ओर से एबी 4 पंडारा रोड आवंटित किया गया था. यह टाइप सात आवास है. जिसे आवास समिति ने बदल कर 12-A रविशंकर शुक्ल लेन किया, जो टाइप छह आवास है.
डीएमके सांसद आर गिरिराजन को सभापति की ओर से A3 दीनदयाल उपाध्याय मार्ग आवंटित किया गया था. जो टाइप सात आवास है. आवास समिति ने इसे बदल कर 702 ब्रह्मपुत्र किया है.
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