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This Article is From Jul 26, 2022

शराबबंदी के बावजूद गुजरात में खुलेआम बिक रही है शराब, पैसा किसकी जेब में जा रहा : AAP का आरोप

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में भी कुछ लोग हैं जो चाहते हैं कि नकली और जहरीली शराब का कारोबार चले.  जब से दिल्ली सरकार 2021 नवंबर से नई एक्साइज पॉलिसी लाई है, वे लोग बहुत परेशान है. आखिर कैसे वैध दुकानों को हटा कर वही पुराना अवैध शराब धंधा शुरू करें.

शराबबंदी के बावजूद गुजरात में खुलेआम बिक रही है शराब, पैसा किसकी जेब में जा रहा : AAP का आरोप

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि गुजरात के ड्राइ स्टेट होने के बावजूद 15 साल में 845 से अधिक लोग जहरीली शराब पीकर मर गए हैं. इतना बड़ा नेटवर्क भाजपा के किन राजनेताओं के संरक्षण में चल रहा है? शराबबंदी से गुजरात सरकार को हर साल 15 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है, लेकिन शराब तो खुलेआम बिक रही है. ये पैसा किसकी जेब में जा रहा है? उन्होंने कहा कि दिल्ली में कुछ लोग चाहते हैं कि गुजरात की तरह यहां भी नक़ली और जहरीली शराब का कारोबार चले. दिल्ली सरकार जब से नई एक्साइज पॉलिसी लाई है, ये लोग बहुत परेशान हैं. ये वैध शराब की दुकानें हटाकर वही पुराना धंधा शुरू करना चाहते हैं.नई एक्साइज पॉलिसी के बाद दिल्ली में शराब की दुकानें कम हुई हैं. नई एक्साइज पॉलिसी से पहले दिल्ली में 849 शराब की दुकानें थीं, अब 468 शराब की दुकानें हैं. दिल्ली के अंदर 849 शराब की दुकानें खुलने पर भी प्रति 22,760 लोगों पर एक शराब की दुकान होगी, जबकि भारतीय जनता पार्टी शासित बेंगलुरु में 12179 लोगों, गुरुग्राम में 4166 लोगों, गोवा में 761 लोगों पर शराब की एक दुकान है. 

आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने आज पार्टी मुख्यालय में महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित किया. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि शिवरात्रि के शुभ अवसर पर गुजरात से बहुत ही डराने वाली खबर सामने आ रही है. गुजरात के अंदर नकली और जहरीली शराब पीकर करीब 28 लोग अब तक मर चुके हैं. दर्जनों लोग अभी भावनगर अस्पताल में एडमिट हैं. हमारी कामना है कि वह स्वस्थ हो जाएं।‌यह खबर सुन कर कई सारे सवाल हमारे मन में आते हैं कि गुजरात तो ड्राई स्टेट है और शराब लंबे समय से बंद है. ऐसे में गुजरात जैसे राज्य के अंदर शराब कहां से आ रही है और कौन बेच रहा है. ऐसी खबर पहली बार नहीं आई है. गुजरात के किसी ना किसी जिले में लगभग हर महीने जहरीली शराब पीने से लोगों का मरना एक आम बात है. इतने बड़े स्तर पर गुजरात में शराब की आपूर्ति कैसे हो रही है. उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले गुजरात गया तो बताया गया कि गुजरात में कोई गांव ऐसा नहीं है, जहां पर नकली शराब न मिलती हो. हर गांव में नकली शराब उपलब्ध है. इसके अलावा गुजरात के अंदर ऐसा कोई शहर उपलब्ध नहीं है, जहां पर अवैध शराब की होम डिलीवरी ना होती हो. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि प्रधानमंत्री वहां पर 15 साल मुख्यमंत्री रहे और उनका गृह राज्य है. 27 साल से भाजपा की राज्य में सरकार है और वहां पर शराब बैन है. ऐसे में इतने बड़े स्तर पर शराब का नेटवर्क कैसे चल सकता है. ऐसा कैसे संभव है कि सरकार, पुलिस प्रशासन की मदद ना हो और इतना बड़ा नेटवर्क लगातार चल रहा है.

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि गांव के अंदर 28 लोग मरे हैं. वहां के सरपंच ने मार्च में बरवाला पुलिस स्टेशन में लिखित रिपोर्ट दी थी.उसकी कॉपी भी गृहमंत्री सहित उच्च अधिकारियों को मार्क की गई है.बरवाला पुलिस स्टेशन में दी गई रिपोर्ट में कहा है कि हमारे यहां अवैध शराब खुलेआम बड़े स्तर पर बेची जा रही है.ऐसी गैर कानूनी प्रवृत्ति को अगर बंद नहीं किया गया तो कोई भी बड़ी अनहोनी होने की पूरी संभावना है.हमारे गांव में पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए और शराबबंदी का कड़क अमलीकरण करने का विनम्र निवेदन है.सरपंच की शिकायत के बावजूद वहां पर नकली जहरीली शराब बेची जाती रही‌.जिसके बाद में अब 28 लोगों की मौत हो गई है. उन्होंने कहा कि गुजरात के अंदर शराब के मामले को गूगल पर खंगाला तो पता चला कि 2016 में 23 लोग जहरीली शराब पीकर मारे गए.जहां पर 27 साल शराबबंदी को हो गए, वहां पर लोग हैविचुअल ड्रिंकर कैसे हो सकते हैं? 10 जुलाई 2009 को जब मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी हुआ करते थे, तब अहमदाबाद में जहरीली शराब पीने की वजह से करीब 207 लोग अस्पताल पहुंचे और 100 लोगों की मौत हुई. 

2016 की रिपोर्ट के मुताबिक-अहमदाबाद में 2 लाख लीटर तक शराब की रोजाना खपत होती है और सूरत में 50 हजार लीटर शराब की रोजाना खपत होती है.धर्मपुरा में पुलिस ने 6 जुलाई 2022 को शराब में धुत भाजपा नेता को पकड़ा.ऐसे में लोग कह रहे हैं कि जब गुजरात में हर जगह शराब उपलब्ध है तो इसको ड्राई स्टेट क्यों रखा हुआ है.ऐसी दर्जनों खबरें हैं जिसके अंदर अवैध शराब पीकर 25 से 100 लोग मरे हैं.गुजरात में अगर बड़ी खबरों को ही लिया जाए तो पिछले 15 साल के अंदर 2005 से 2020 तक करीब 845 लोग मर चुके हैं.इसके अलावा अंदरूनी जानकारी कए मुताबिक लगभग हजारों लोग गुजरात में जहरीली शराब पीकर मर गए हैं.ऐसे में सवाल उठता है कि इतना बड़ा नेटवर्क गुजरात में कैसे चल रहा है और किन राजनेताओं के संरक्षण में चल रहा है।

विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कुछ साल पहले गुजरात सरकार, केंद्र सरकार से पैसा मांग रही थी कि हमें 10 हजार करोड़ रुपए का एक्साइज का नुकसान हो रहा है, क्योंकि गुजरात ड्राई स्टेट है.ऐसे में आज के हिसाब से करीब 15 हजार करोड़ रुपए का नुकसान राज्य सरकार का है, क्योंकि गुजरात ड्राई स्टेट है.ऐसे में जो पैसा सरकार की जेब में आना था वह किसी ना किसी के जेब में तो जा रहा है.क्योंकि नकली और जहरीली शराब तो अभी भी पूरी बिक रही है.ऐसे में पैसा किसकी जेब में जा रहा है?

उन्होंने कहा कि दिल्ली में भी कुछ लोग हैं जो चाहते हैं कि नकली और जहरीली शराब का कारोबार चले.  जब से दिल्ली सरकार 2021 नवंबर से नई एक्साइज पॉलिसी लाई है, वे लोग बहुत परेशान है. आखिर कैसे वैध दुकानों को हटा कर वही पुराना अवैध शराब धंधा शुरू करें. इसके अंदर बहुत पैसा है. सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग को शराब वेंडर्स के पीछे छोड़ा गया है, ताकि उनको डरा धमकाकर काम बंद कराया जाए. जबसे नई एक्साइज पॉलिसी आयी है तभी से भारतीय जनता पार्टी झूठ फैला रही है. अभी 2 दिन पहले भाजपा प्रवक्ता ने टीवी डिबेट में झूठ बोला कि नई एक्साइज पॉलिसी से पहले दिल्ली में 250 शराब की दुकानें हुआ करती थी, अब 850 से 1 हजार दुकानें हो गई हैं। आदेश गुप्ता, रामवीर सिंह बिधूड़ी, आरती मेहरा सहित कोई भी भाजपा का नेता हो, वह यही सरासर झूठ बोलता है. मैंने उनको चुनौती देते हुए बोला कि आप झूठ बोल रहे हैं और आधिकारिक आंकड़ों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं. हकीकत में सच्चाई यह है कि नई एक्साइज पॉलिसी के आने से पहले दिल्ली में करीब 850 शराब की दुकानें थीं. आरटीआई के जरिए आधिकारिक जानकारी ले सकते हैं. भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने विधानसभा में प्रश्न लगाए थे और हर प्रश्न का जवाब आबकारी विभाग ने दिया था कि पहले शराब की दुकान कितनी थी और अब कितनी हैं. उसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि नई एक्साइज पॉलिसी में नियम है कि जितनी शराब की दुकान पहले होंगी, उससे एक भी ज्यादा दुकान नहीं बढ़ सकती हैं. ऐसे में दिल्ली में 849 शराब की दुकानों से ज्यादा नहीं की जा सकती हैं. इस नई पॉलिसी के बाद सबसे अधिक जनवरी से मार्च के बीच में 644 शराब दुकानें चल रही थीं. भारतीय जनता पार्टी ने डरा धमकाकर और कई अन्य नुकसान के कारणों से 176 शराब की दुकानें और बंद हो गई है. वर्तमान में दिल्ली में 468 वाइन शॉप हैं। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी चाहती है कि सभी वेंडर और खुदरा व्यापारियों को भगा दिया जाए. इस पॉलिसी पर सरकार का नुकसान किया जाए. इसके बाद एक के बाद एक झूठ भारतीय जनता पार्टी फैलाती है कि दिल्ली के अंदर शराब की दुकानें बना दी और शराब नगरी बना दिया है.

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने आधिकारिक आंकड़े पेश करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों और दिल्ली के अंदर आबादी के हिसाब से कितनी दुकानें हैं? दिल्ली के अंदर सभी 849 शराब की दुकानें खुल भी जाएं तो भी प्रति 22,760 लोगों पर एक शराब की दुकान होगी. भारतीय जनता पार्टी शासित बेंगलुरु में 12179 लोगों पर एक दुकान है. भारतीय जनता पार्टी शासित गुरुग्राम में 4166 लोगों पर एक शराब की दुकान है. भाजपा शासित गोवा में 761 लोगों पर शराब की एक दुकान है. 2019 के आंकड़ों के मुताबिक नोएडा के अंदर 525, गुड़गांव के अंदर 240, बेंगलुरु के अंदर 1700 शराब की दुकानें हैं. गोवा में 15 लाख लोगों की आबादी पर 2 हजार शराब की दुकानें हैं. इसके अलावा 8 से 10 हजार बार चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं दिल्ली वालों को बताना चाहता हूं कि कुछ लोग हैं जो चाहते हैं कि सरकार से लाइसेंस प्राप्त शराब की दुकानों को किसी ना किसी तरह से बंद कराया जाए। दिल्ली के अंदर अवैध शराब का धंधा चलाया जाए. इस नई एक्साइज पॉलिसी के आने से पहले से बहुत सारे इलाके थे, जहां पर शराब की दुकानें नहीं हुआ करती थीं, क्योंकि वह अवैध इलाके थे. ऐसे स्थानों पर दिल्ली पुलिस के संरक्षण में उन सब क्षेत्रों में शराब माफिया, अवैध शराब उपलब्ध कराते थे। हरियाणा और उत्तर प्रदेश से शराब आती थी. उसके ऊपर एक्साइज की चोरी होती थी. दिल्ली सरकार को इसमें कोई एक्साइज ड्यूटी नहीं मिलती थी। बड़े-बड़े लोगों ‌के संरक्षण में यह काम चलता था. इसके अंदर वह मोटी कमाई करते थे.

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