सातवें वेतन आयोग के बाद आलउंसेस को लेकर कर्मचारी असमंजस में हैं.
नई दिल्ली:
सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट आधिकारिक तौर पर लागू हो गई है. देश में कई स्थानों पर तैनात केंद्र सरकार के अधिकतर कर्मचारियों को इस वेतन आयोग की स्वीकृत सिफारिशों के अनुसार बढ़ा हुआ वेतन मिलने लगा है. लेकिन, सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की रिपोर्ट की कई बातों को लेकर कर्मचारियों में अब भी असमंजस है और इनके निराकरण का वे बहुत दिनों से इंतजार कर रहे हैं.
कर्मचारी यूनियनों के संयुक्त संगठन एनजेसीए के संयोजक और ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल शिवगोपाल मिश्रा ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया कि आज सोमवार को पेंशन की समस्या से जुड़ी समिति की बैठक हुई. इससे पहले भी गुरुवार 13 अक्टूबर को भी इस समिति ने इसी मुद्दे पर चर्चा की थी.
वरिष्ठ सूत्रों के हवाले से खबर है कि मीटिंग में तमाम अलाउंसेस को लेकर चर्चा हुई लेकिन, इसका कोई फायदा नहीं हुआ. यानि कोई सकारात्मक हल अभी तक हुई बैठकों में निकलकर सामने नहीं आया है.
सूत्रों का कहना है कि जहां कर्मचारी संगठन वेतन आयोग (पे कमिशन) की रिपोर्ट के अनुसार ही पेंशन से जुड़ी समस्या का समाधान चाहते हैं वहीं, सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि उनके पास बढ़िया विकल्प है. फिलहाल सरकार ने अभी तक इस बारे में कर्मचारी नेताओं से ज्यादा कुछ नहीं कहा है.
उधर, खबर है कि न्यूनतम वेतनमान का मुद्दा 24 तारीख को होने वाली संबंधित कमेटी की बैठक में रखा जाएगा. इस दिन बैठक के लिए यह मुद्दा निर्धारित किया गया है. वहीं 25 अक्टूबर को डीओपीटी के सचिव की अध्यक्षता में गठित स्टैंडिंग कमेटी की बैठक होगी. (सातवां वेतन आयोग : सरकार और कर्मचारी नेताओं में अलाउंसे-पेंशन पर हुई यह बातचीत)
जानकारी के अनुसार वेतन आयोग (पे कमीशन) से जुड़े तमाम मुद्दों के हल के लिए कर्मचारी संगठन की मांग है कि सरकार गुलजारी लाल नंदा के कार्यकाल में बनी नेगोशिएशन मशीनरी को पुन: कार्यान्वित करे. गुलजारी लाल नंदा ने बतौर कैबिनेट मंत्री एक जेसीएम (ज्वाइंट कंसेल्टिंग मशीनरी) का गठन किया था. यह केंद्रीय कर्मचारियों की मशीनरी थी. कर्मचारी नेताओं का मानना है कि उस दौरान केंद्रीय कर्मचारियों की समस्याओं से जुड़े मुद्दों के हल के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी. इस प्रकार के सिस्टम की फिर से जरूरत महसूस की जा रही है. नंदा के कार्यकाल में इस प्रकार की समिति का प्रमुख कैबिनेट सेक्रेटरी हुआ करता था. (सातवें वेतन आयोग से संबंधित गजट नोटिफिकेशन की सबसे महत्वपूर्ण 17 बातें)
सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट की रिपोर्ट 1 जनवरी 2016 से लागू हो गई है और करीब दो महीनों से केंद्रीय कर्मचारियों को इसके अनुसार बढ़ा हुआ वेतन मिलने भी लगा है, लेकिन अभी कर्मचारियों में इसके लेकर उतनी खुशी नहीं है. कई कर्मचारियों का कहना है कि अभी तक ऐसा नहीं लग रहा है जैसे वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू हो गई है. (सातवां वेतन आयोग : गजट नोटिफिकेशन की 7 जरूरी बातें)
इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण अलाउंसेस को लेकर बना असमंजस है. पहले केंद्रीय कर्मचारी 196 किस्म के अलाउंसेस के हकदार थे. लेकिन सातवें वेतन आयोग ने कई अलाउंसेस को समाप्त कर दिया या फिर उन्हें मिला दिया जिसके बाद केवल 55 अलाउंस बाकी रह गए. तमाम कर्मचारियों को कई अलाउंस समाप्त होने का मलाल है. क्योंकि कई अलाउंस अभी तक लागू नहीं हुए और कर्मचारियों को उसका सीधा लाभ नहीं मिला है तो कर्मचारियों को लग रहा है कि वेतन आयोग की रिपोर्ट अभी लागू नहीं हुई है. (सातवां वेतन आयोग : बन गई हर जरूरी समिति, कर्मचारी यूनियन नेताओं से शुरू हुआ बातचीत का दौर)
उधर, कर्मचारी नेताओं का कहना है कि वह स्टैंडिंग कमेटी की अगली बैठक में इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाएंगे.
बता दें कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट से कर्मचारियों को कई शिकायतें रही हैं और ऐसे में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने कर्मचारियों की शिकायतों को दूर करने के लिए संबंधित मंत्रालय और वित्तमंत्रालय के अधीन समितियों का गठन किया है. ये समितियां कर्मचारी नेताओं से बात कर रही हैं और इस समितियों को अपना फैसला चार महीने में सरकार को देना है. (सातवां वेतन आयोग : रेलवे के अधिकारियों की नाराज़गी अब भी बरकरार, पढ़ें क्यों)
कर्मचारी यूनियनों के संयुक्त संगठन एनजेसीए के संयोजक और ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल शिवगोपाल मिश्रा ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया कि आज सोमवार को पेंशन की समस्या से जुड़ी समिति की बैठक हुई. इससे पहले भी गुरुवार 13 अक्टूबर को भी इस समिति ने इसी मुद्दे पर चर्चा की थी.
वरिष्ठ सूत्रों के हवाले से खबर है कि मीटिंग में तमाम अलाउंसेस को लेकर चर्चा हुई लेकिन, इसका कोई फायदा नहीं हुआ. यानि कोई सकारात्मक हल अभी तक हुई बैठकों में निकलकर सामने नहीं आया है.
सूत्रों का कहना है कि जहां कर्मचारी संगठन वेतन आयोग (पे कमिशन) की रिपोर्ट के अनुसार ही पेंशन से जुड़ी समस्या का समाधान चाहते हैं वहीं, सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि उनके पास बढ़िया विकल्प है. फिलहाल सरकार ने अभी तक इस बारे में कर्मचारी नेताओं से ज्यादा कुछ नहीं कहा है.
उधर, खबर है कि न्यूनतम वेतनमान का मुद्दा 24 तारीख को होने वाली संबंधित कमेटी की बैठक में रखा जाएगा. इस दिन बैठक के लिए यह मुद्दा निर्धारित किया गया है. वहीं 25 अक्टूबर को डीओपीटी के सचिव की अध्यक्षता में गठित स्टैंडिंग कमेटी की बैठक होगी. (सातवां वेतन आयोग : सरकार और कर्मचारी नेताओं में अलाउंसे-पेंशन पर हुई यह बातचीत)
जानकारी के अनुसार वेतन आयोग (पे कमीशन) से जुड़े तमाम मुद्दों के हल के लिए कर्मचारी संगठन की मांग है कि सरकार गुलजारी लाल नंदा के कार्यकाल में बनी नेगोशिएशन मशीनरी को पुन: कार्यान्वित करे. गुलजारी लाल नंदा ने बतौर कैबिनेट मंत्री एक जेसीएम (ज्वाइंट कंसेल्टिंग मशीनरी) का गठन किया था. यह केंद्रीय कर्मचारियों की मशीनरी थी. कर्मचारी नेताओं का मानना है कि उस दौरान केंद्रीय कर्मचारियों की समस्याओं से जुड़े मुद्दों के हल के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी. इस प्रकार के सिस्टम की फिर से जरूरत महसूस की जा रही है. नंदा के कार्यकाल में इस प्रकार की समिति का प्रमुख कैबिनेट सेक्रेटरी हुआ करता था. (सातवें वेतन आयोग से संबंधित गजट नोटिफिकेशन की सबसे महत्वपूर्ण 17 बातें)
सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट की रिपोर्ट 1 जनवरी 2016 से लागू हो गई है और करीब दो महीनों से केंद्रीय कर्मचारियों को इसके अनुसार बढ़ा हुआ वेतन मिलने भी लगा है, लेकिन अभी कर्मचारियों में इसके लेकर उतनी खुशी नहीं है. कई कर्मचारियों का कहना है कि अभी तक ऐसा नहीं लग रहा है जैसे वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू हो गई है. (सातवां वेतन आयोग : गजट नोटिफिकेशन की 7 जरूरी बातें)
इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण अलाउंसेस को लेकर बना असमंजस है. पहले केंद्रीय कर्मचारी 196 किस्म के अलाउंसेस के हकदार थे. लेकिन सातवें वेतन आयोग ने कई अलाउंसेस को समाप्त कर दिया या फिर उन्हें मिला दिया जिसके बाद केवल 55 अलाउंस बाकी रह गए. तमाम कर्मचारियों को कई अलाउंस समाप्त होने का मलाल है. क्योंकि कई अलाउंस अभी तक लागू नहीं हुए और कर्मचारियों को उसका सीधा लाभ नहीं मिला है तो कर्मचारियों को लग रहा है कि वेतन आयोग की रिपोर्ट अभी लागू नहीं हुई है. (सातवां वेतन आयोग : बन गई हर जरूरी समिति, कर्मचारी यूनियन नेताओं से शुरू हुआ बातचीत का दौर)
उधर, कर्मचारी नेताओं का कहना है कि वह स्टैंडिंग कमेटी की अगली बैठक में इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाएंगे.
बता दें कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट से कर्मचारियों को कई शिकायतें रही हैं और ऐसे में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने कर्मचारियों की शिकायतों को दूर करने के लिए संबंधित मंत्रालय और वित्तमंत्रालय के अधीन समितियों का गठन किया है. ये समितियां कर्मचारी नेताओं से बात कर रही हैं और इस समितियों को अपना फैसला चार महीने में सरकार को देना है. (सातवां वेतन आयोग : रेलवे के अधिकारियों की नाराज़गी अब भी बरकरार, पढ़ें क्यों)
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