राजस्थान के सीकर शहर के देवीपुरा बालाजी मंदिर में शनिवार को हनुमानजी को अनूठा बाल भोग लगाया गया. इसके लिए मंदिर में विशालकाय भट्टी बनाकर 2700 किलो का रोट(रोटी) तैयार किया गया है. पूरनासर धाम के संत रामदास महाराज (बापजी) के सानिध्य में जोधपुर व सूरत के 20 कारीगरों ने करीब 23 घंटे की मेहनत से इसे तैयार किया. अखंड रामधुन के बीच बने इस रोट का भोग लगाने के बाद शनिवार को उसका चूरमा बनाकर वितरित किया.
देवीपुरा बालाजी मंदिर में रोट बनाने की प्रक्रिया शुक्रवार को अल-सुबह सवा चार बजे ही शुरू कर दी गई. 20 कारीगरों ने क्रेन की मदद से पहले आटे को गूंथा और इसके बाद क्रेन पर ही रोलर लगाकर उसे बेला गया. इसके बाद क्रेन से तवे सहित उसे उठाकर विशालकाय भट्टी पर रख दिया.
फिर गोबर के कंडों से सुलगी भट्टी पर रोट की सिकाई देर रात तक चली. इस रोट में 1100 किलो आटा, 700 किलो सूजी, 400 किलो चूरमा और 800 किलो ड्राई फ्रूट डाला गया.
हनुमानजी को रोट को शनिवार सुबह सवा आठ बजे सानिध्य में लगाया गया. इसके बाद थ्रेसर की मदद से उसका चूरमा बनाकर प्रसाद वितरित किया गया. चूरमे में करीब 700-800 किलो ड्राई फ्रूट, 500 किलो चीनी, 450 किलो मिश्री व गाय का देशी शुद्ध घी उपयोग किया गया.
देवीपुरा बालाजी धाम के महंत ओम प्रकाश ने बताया कि बालाजी के महाभोग के समय शहर देश और प्रदेश की खुशहाली की मनोकामना की गई इस अवसर पर बालाजी ट्रस्ट मंदिर के महंत ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि हमारा मुख्य मकसद है कि शहर देश और प्रदेश में हमेशा खुशहाली रहे देश विकास के पथ पर आगे बढ़े इस महा भोग का प्रसाद करीब 25 हजार श्रद्धालुओं को वितरित किया जाएगा. सुबह से ही बालाजी मंदिर परिसर में भक्तों का आना लगातार जारी है और आज मंदिर परिसर में 2 दिनों से लगातार धार्मिक कार्यक्रम चल रहे हैं. बालाजी महाराज की कृपा रही, जिसकी वजह से इतना बड़ा आयोजन हो सका. बालाजी महाराज की कृपा से सभी लोग खुश रहेंगे और हमेशा देश में खुशहाली का माहौल रहेगा.
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