श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
निजी क्षेत्र सहित सभी प्रतिष्ठानों को एक नए विधेयक के तहत अपनी महिला कर्मचारियों को 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश उपलब्ध कराना होगा। श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने यह जानकारी देते हुए कहा कि सरकार की इस विधेयक को आगामी सत्र में ही पेश करने की योजना है।
अधिकतम तीन माह का अवकाश देती हैं कंपनियां
उल्लेखनीय है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए 26 सप्ताह या छह महीने के मातृत्व अवकाश का प्रावधान पहले ही है। वहीं निजी क्षेत्र की कंपनियां अधिकतम तीन महीने के अवकाश की पेशकश करती हैं। वहीं बहुत से छोटे संस्थानों में यह लाभ भी नहीं दिए जाते हैं।
विधेयक मानसून सत्र में पारित कराने का इरादा
उन्होंने कहा कि नए मातृत्व लाभ विधेयक में मातृत्व अवकाश को मौजूदा 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने का प्रस्ताव है और केंद्रीय मंत्रिमंडल इसे मंजूरी के लिए शीघ्र ही विचार करेगा। मंत्री ने कहा कि मंत्रालय इस विधेयक को संसद के मानसून सत्र में पारित करवाना चाहेगा।
घर से कम करने की सुविधा नहीं
हालांकि श्रम मंत्री कामकाजी माताओं को घर से काम करने का विकल्प उपलब्ध कराने को अनिवार्य बनाने को एक तरह से खारिज करते नजर आए। दत्तात्रेय ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘कुछ प्रतिष्ठान हैं जहां उन्हें (घर से काम करने की) अनुमति मिल सकती है। लेकिन अन्य प्रतिष्ठिानों में उन्हें इस कानून में संशोधन के बाद (26 सप्ताह मातृत्व अवकाश) की सुविधा मिलेगी।’ मंत्री से पूछा गया कि श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए घर से काम करने की अवधारणा को प्रोत्साहित करने के लिए उनका मंत्रालय क्या कदम उठा रहा है।
पिताओं के लिए पितृत्व लाभ व अन्य लाभों के बारे में मंत्री ने कहा, ‘यह विधेयक माताओं व बच्चों के बारे में है। यह पुरूषों (पिताओं) के लिए नहीं है।’ इसके साथ ही मंत्री ने कहा कि दुकानों, मॉलों व सिनेमा हाल सहित अन्य प्रतिष्ठानों को साल भर चौबीसों घंटे खुले रहने की अनुमति देने संबंधी माडल कानून से श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अधिकतम तीन माह का अवकाश देती हैं कंपनियां
उल्लेखनीय है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए 26 सप्ताह या छह महीने के मातृत्व अवकाश का प्रावधान पहले ही है। वहीं निजी क्षेत्र की कंपनियां अधिकतम तीन महीने के अवकाश की पेशकश करती हैं। वहीं बहुत से छोटे संस्थानों में यह लाभ भी नहीं दिए जाते हैं।
विधेयक मानसून सत्र में पारित कराने का इरादा
उन्होंने कहा कि नए मातृत्व लाभ विधेयक में मातृत्व अवकाश को मौजूदा 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने का प्रस्ताव है और केंद्रीय मंत्रिमंडल इसे मंजूरी के लिए शीघ्र ही विचार करेगा। मंत्री ने कहा कि मंत्रालय इस विधेयक को संसद के मानसून सत्र में पारित करवाना चाहेगा।
घर से कम करने की सुविधा नहीं
हालांकि श्रम मंत्री कामकाजी माताओं को घर से काम करने का विकल्प उपलब्ध कराने को अनिवार्य बनाने को एक तरह से खारिज करते नजर आए। दत्तात्रेय ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘कुछ प्रतिष्ठान हैं जहां उन्हें (घर से काम करने की) अनुमति मिल सकती है। लेकिन अन्य प्रतिष्ठिानों में उन्हें इस कानून में संशोधन के बाद (26 सप्ताह मातृत्व अवकाश) की सुविधा मिलेगी।’ मंत्री से पूछा गया कि श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए घर से काम करने की अवधारणा को प्रोत्साहित करने के लिए उनका मंत्रालय क्या कदम उठा रहा है।
पिताओं के लिए पितृत्व लाभ व अन्य लाभों के बारे में मंत्री ने कहा, ‘यह विधेयक माताओं व बच्चों के बारे में है। यह पुरूषों (पिताओं) के लिए नहीं है।’ इसके साथ ही मंत्री ने कहा कि दुकानों, मॉलों व सिनेमा हाल सहित अन्य प्रतिष्ठानों को साल भर चौबीसों घंटे खुले रहने की अनुमति देने संबंधी माडल कानून से श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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