कांग्रेस नेता सज्जन कुमार. (फाइल तस्वीर)
नई दिल्ली:
1984 सिख विरोधी दंगों में उम्रकैद की सजा मिलने के बाद कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिख पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. पार्टी से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी. सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले में कुमार को दोषी ठहराते हुए उन्हें ताउम्र कैद की सजा सुनाई थी. उन्होंने पत्र में गांधी से कहा, ‘माननीय हाई कोर्ट द्वारा मेरे खिलाफ दिए गए आदेश के मद्देनजर मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल इस्तीफा देता हूं.'
बता दें. सिख विरोधी दंगों के 34 साल बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इसका षड्यंत्र उन लोगों ने रचा जिन्हें ‘राजनीतिक संरक्षण' प्राप्त था. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने नरसंहार के खिलाफ कानून बनाए जाने का भी आह्वान किया. अदालत ने कानूनी व्यवस्था को मजबूत करने की अपील की ताकि जनरसंहार के षड्यंत्रकारियों को जवाबदेह बनाया जा सके. अदालत ने कहा कि ‘मानवता के खिलाफ अपराध' और ‘नरसंहार' को घरेलू कानून का हिस्सा नहीं बनाया गया है और इसका तुरंत समाधान करने की जरूरत है.
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कोर्ट ने इस दौरान 2002 के गोधरा बाद गुजरात दंगों और 2013 में उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए दंगों का भी जिक्र किया जो 1947 के बाद हुए बड़े नरसंहारों में शामिल हैं जिनमें अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया.
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निचली अदालत द्वारा सज्जन कुमार को बरी किए जाने के फैसले को हाईकोर्ट द्वारा पलटे जाने का असर कांग्रेस के उनके साथी नेता कमलनाथ के मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर शपथ ग्रहण पर भी देखा गया. भाजपा और उसके सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने कांग्रेस नेतृत्व से जवाब मांगा है क्योंकि सिख समूहों ने दंगे में कमलनाथ के दोषी होने का आरोप लगाया था. कमलनाथ ने दंगों में किसी तरह की भूमिका से इंकार किया और कहा कि वह किसी भी दंगा मामले में आरोपी नहीं हैं.
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सज्जन कुमार को जिस मामले में दोषी ठहराया गया है वह दक्षिण पश्चिम दिल्ली के पालम कॉलोनी में राजनगर पार्ट-एक इलाके में पांच सिखों की एक-दो नवम्बर 1984 को हुई हत्या से जुड़ा हुआ है. इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी और देश के अन्य हिस्सों में दंगे फैले हुए थे . तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा 31 अक्टूबर को हत्या किए जाने के बाद एक नवम्बर और चार नवम्बर 1984 के बीच भड़के सिख विरोधी दंगों में 2733 सिख मारे गए थे. अदालत ने कुमार और पांच अन्य दोषियों को 31 दिसम्बर 2018 तक आत्मसमर्पण करने और दिल्ली से बाहर नहीं जाने के निर्देश दिए.
(इनपुट-भाषा)
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