इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जी.आर. स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग के लिए 13 आरोपों की एक सूची जारी की है, जिसमें न्यायपालिका की निष्पक्षता, पारदर्शिता और धर्मनिरपेक्ष कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न उठाए गए हैं।
सांसदों के प्रमुख आरोपों में निम्नलिखित हैं
- न्यायाधीश पर चुनिंदा ब्राह्मण और दक्षिणपंथी अधिवक्ताओं के मामलों को प्राथमिकता देने का आरोप है.
- एमिकस क्यूरी और प्रथम अपील की नियुक्ति में कथित पक्षपात करने, तथा वरिष्ठ अधिवक्ता एम. श्रीचरण रंगराजन को तरजीह देने का मुद्दा उठाया गया है.
- यूट्यूबर सावुक्कू शंकर मामले में न्यायाधीश ने रिकॉर्ड किया कि "दो उच्च पदस्थ व्यक्तियों ने उनसे संपर्क किया था", लेकिन उन्होंने उनके नाम नहीं बताए, जिसे पारदर्शिता और न्यायिक निष्ठा का उल्लंघन बताया गया है.
- सांसदों ने आरोप लगाया है कि फैसला सुनाते समय न्यायाधीश ने कोर्ट का माइक म्यूट किया, जिसे पारदर्शिता का उल्लंघन माना गया है.
- न्यायाधीश पर विभागीय पीठ पर प्रतिबंध का उल्लंघन करते हुए अमानवीय अंग प्रदक्षिणाम आदेश पारित करने का आरोप है, जिसे न्यायिक अनुशासनहीनता बताया गया है.
- न्यायाधीश पर वैदिक कानून को वैधानिक कानून से ऊपर रखने का आरोप है। इसके अलावा, उन्होंने कथित तौर पर समझाया कि "सनातन धर्म किस प्रकार वैदिक ब्राह्मणों को हत्या के मामले से बचा सकता है."
- कैथोलिक पादरी मामले में न्यायाधीश ने "क्रिप्टो-क्रिश्चियन" जैसे अपमानजनक शब्द का प्रयोग किया.
- संवैधानिक वैधता को जनसांख्यिकी से जोड़ने वाली टिप्पणियों को 'बहुसंख्यक' करार दिया गया.
- विश्व कम्युनिस्ट पार्टी और हिंदू विचारधारा के नेताओं को मध्यस्थ नियुक्त किया गया, जिस पर सांसदों ने धार्मिक पूर्वाग्रह का आरोप लगाया है.
- लावण्य आत्महत्या मामले में धर्मांतरण के पहलू पर जोर दिया गया, जिसे कथित "सांप्रदायिक कथा" को समर्थन देने के रूप में देखा गया
- भाजपा के प्रभावक मामले में 48 घंटों के भीतर एफआईआर रद्द कर दी गई, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 'अपरिपक्व' बताया
बता दें कि जस्टिस स्वामीनाथन ने पिछले दिनों एक फैसला सुनाते हुए तिरुपरनकुंद्रम की पहाड़ी पर पारंपरिक कार्तिगई दीपम जलाने की अनुमति दी थी. इस पहाड़ी पर एक मंदिर के अलावा एक दरगाह भी है. हालांकि, डीएमके ने जस्टिस स्वामीनाथन के फैसले का विरोध करते हुए जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की मांग की है.
मंगलवार को डीएमके ने लोकसभा स्पीकर को एक नोटिस सौंपा, जिस पर विपक्षी दलों के 100 से अधिक सांसदों ने हस्ताक्षर किए. डीएमके संसदीय दल की नेता कनिमोझी, पार्टी के लोकसभा नेता टीआर बालू, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को महाभियोग का नोटिस सौंपा.
महाभियोग नोटिस के अनुसार, मद्रास हाईकोर्ट के जज को हटाने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 217 के साथ अनुच्छेद 124 के तहत यह प्रस्ताव पेश किया गया था.
नोटिस में आरोप लगाया गया कि उनके आचरण ने न्यायिक निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं और उन पर एक वरिष्ठ वकील और एक खास समुदाय के वकीलों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया है. इसमें आगे दावा किया गया है कि कई फैसले राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित दिखे, जो संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का उल्लंघन है.
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