पाकिस्तान में 2020 में शादी के बाद से अलग-अलग देशों में रह रहे एक हिंदू दंपति का पारिवारिक विवाद सुलह की कोशिशें नाकाम होने के बाद अब मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय (High Court) पहुंच गया है. पाकिस्तान के कराची शहर की निवासी निकिता देवी (28) ने उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में रिट याचिका दायर की है. निकिता ने अपने पति विक्रम कुमार नागदेव (35) पर बिना तलाक दूसरी शादी की तैयारी करने का आरोप लगाते हुए अदालत से उसे भारत से वापस पाकिस्तान भेजने की गुहार लगाई है.
अधिकारियों के अनुसार, दोनों पति-पत्नी पाकिस्तान के नागरिक हैं और उनकी शादी 26 जनवरी 2020 को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हुई थी. फिलहाल, पति विक्रम कुमार नागदेव लंबी अवधि के वीजा (LTV) पर इंदौर में रह रहा है.
याचिका में आरोप और कानूनी आधार
याचिकाकर्ता के वकील दिनेश रावत ने बताया कि पाकिस्तान में मायके में रह रही निकिता ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत यह याचिका दायर की है, जिस पर अगले हफ्ते सुनवाई हो सकती है.
निकिता ने याचिका में आरोप लगाया है कि उसके पति ने उसे छोड़ दिया है और वह भारत में रहने वाली एक महिला से मार्च 2026 में अवैध रूप से दूसरी शादी करने की तैयारी कर रहा है. निकिता की मांग है कि उसके पति को भारत में दूसरी शादी करने से रोका जाए और उसे वापस पाकिस्तान भेज दिया जाए.
पति ने आरोपों को नकारा
उधर, पति विक्रम कुमार नागदेव ने अपनी पत्नी के सभी आरोपों को खारिज किया है. नागदेव का कहना है कि शादी के बाद वे भारत आ गए थे, लेकिन कुछ समय बाद उसकी पत्नी अपनी मर्जी से पाकिस्तान लौट गई. उसने आरोप लगाया कि निकिता पारिवारिक विवाद के बहाने उससे धन ऐंठने की कोशिश कर रही है. नागदेव ने कहा कि वह सभी भारतीय कानूनों का पालन कर रहा है और अब वह अपनी पत्नी को तलाक देना चाहता है क्योंकि उसने उसे मानसिक रूप से परेशान किया है.
मध्यस्थता भी रहा असफल
इस दंपति का पारिवारिक विवाद उच्च न्यायालय पहुंचने से पहले, इंदौर के 'सिंधी पंच मध्यस्थता एवं विधिक परामर्श केंद्र' पहुंचा था, लेकिन वहां सुलझ नहीं सका. केंद्र के प्रमुख किशोर कोडवानी ने बताया कि सुलह की कोशिशें नाकाम होने के बाद उन्होंने जिला प्रशासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की थी कि नागदेव को वापस पाकिस्तान भेज दिया जाना चाहिए, क्योंकि उनका पारिवारिक विवाद का न्याय क्षेत्र पाकिस्तान है. इंदौर में पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण पलायन कर आए सिंधी हिंदू शरणार्थियों की बड़ी आबादी एलटीवी पर रहती है, जिनमें से कई को भारतीय नागरिकता भी मिल चुकी है.
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