दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान ने कहा है कि उन्होंने अपना ट्वीट हटाया नहीं है, वे अपने रुख पर कायम हैं. उन्होंने कहा है कि ''मीडिया के एक हिस्से ने यह गलत तरीके से बताया कि मैंने ट्वीट के लिए माफी मांगी है और उसे हटा दिया है. मैंने ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगी है और उसे डिलीट नहीं किया है.''
गौरतलब है कि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान ने सोशल मीडिया में लिखा था कि ''अगर भारत के मुसलमानों ने अरब और दुनिया के मुसलमानों से कट्टर/असहिष्णु लोगों के हेट कैंपेन, लिंचिंग और दंगों की शिकायत कर दी तो ज़लज़ला आ जाएगा.'' जफरुल इस्लाम खान ने ज़ाकिर नाइक का भी समर्थन किया था.
उक्त बयान पर तीखी प्रतिक्रियाएं आने के बाद ज़फरुल इस्लाम ने शुक्रवार को माफी मांगी थी. कुवैत को लेकर किए गए ट्वीट में हिंदुस्तानी मुसलमानों के मामले को लेकर उन्होंने माफी मांगी थी. जफर इस्लाम ने कहा था कि ''मेरा इरादा गलत नहीं था. फिर भी किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो मांफी मांगता हूं. हमारा देश हेल्थ इमरजेंसी से गुज़र रहा है ऐसे हालात में उस ट्वीट का गलत मतलब निकाला गया. उसके लिए खेद है.''
रविवार को जफरुल इस्लाम ने कहा कि ''मैंने ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगी है, लेकिन इस समय हमारा देश चिकित्सा आपात स्थिति और बीमारी का सामना कर रहा है. मेरे ट्विटर हैंडल और फेसबुक पेज पर पोस्ट बहुत ज्यादा हैं.''
उन्होंने कहा है कि ''इसके अलावा मैंने अपने 1 मई 2020 के बयान में कहा है कि मैं अपने विचारों और दृढ़ विश्वासों के साथ खड़ा हूं. मैं देश में नफरत की राजनीति के खिलाफ लड़ाई जारी रखूंगा. एफआईआर, गिरफ्तारी और कारावास इस रास्ते को नहीं बदल नहीं सकते. मैंने अपने देश, अपने लोगों, भारतीय धर्मनिरपेक्ष राजनीति और संविधान को बचाने का रास्ता सजगता से चुना है.''
इससे पहले शनिवार को जफरुल इस्लाम खान पर सख्त कार्रवाई करने और उन्हें दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की गई थी. जफरुल इस्लाम खान के खिलाफ 106 नागरिकों ने दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल को चिट्ठी लिखी है. इसमें जफरुल इस्लाम खान पर सख्त कार्रवाई और पद से हटाने की मांग की गई है.
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