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This Article is From Jul 28, 2011

आखिरकार येदियुरप्पा इस्तीफा देने को हुए राजी

बेंगलुरु / नई दिल्ली: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्प्पा पार्टी नेतृत्व द्वारा पद से तुरंत हटने को कहे जाने के बाद इस्तीफा देने पर सहमत हो गए। लोकायुक्त ने उन्हें अवैध खनन घोटाले में जिम्मेदार ठहराया है। मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों ने कहा कि मई, 2008 से दक्षिण भारत में भाजपा की पहली सरकार का नेतृत्व कर रहे 68 वर्षीय येदियुरप्पा राज्यपाल हंसराज भारद्वाज को अपना इस्तीफा 31 जुलाई को सौंपेंगे। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री बीजेपी संसदीय बोर्ड द्वारा गुरुवार सुबह उनके बारे में किए गए फैसले को मानने पर सहमत हो गए हैं। माना जा रहा है कि भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को येदियुरप्पा के पद से हटने के फैसले के बारे में अवगत करा दिया गया है। राज्यपाल के पास इस्तीफा भेजने से पहले जाहिरा तौर पर कुछ वक्त चाहने की येदियुरप्पा की कोशिशों से ये अटकलें तेज हो गईं कि वह अपने उत्ताधिकारी और नए मंत्रिमंडल के चयन में तथा पार्टी के अहम मुद्दों पर फैसलों में अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं। दिल्ली में गडकरी की अध्यक्षता में 70 मिनट चली बैठक के बाद पार्टी संसदीय बोर्ड ने सर्वसम्मति से फैसला किया कि कर्नाटक में भाजपा विधायक दल में नेतृत्व परिवर्तन किया जाएगा। बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद के अनुसार, संसदीय बोर्ड ने लिंगायत समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकप्रिय नेता येदियुरप्पा को तुरंत इस्तीफा देने की सलाह दी है, ताकि लोकायुक्त की रिपोर्ट में उन्हें जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद उनके पद पर बने रहने को लेकर कायम अनिश्चितता की स्थिति को खत्म किया जा सके। बीजेपी संसदीय बोर्ड ने यह भी फैसला किया कि वरिष्ठ नेता अरुण जेटली और राजनाथ सिंह को शुक्रवार को बतौर पर्यवेक्षक बेंगलूर भेजा जाएगा, ताकि उनकी निगरानी में भाजपा विधायक दल के नए नेता का चयन हो सके। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल नेताओं में प्रदेश अध्यक्ष केएस ईश्वरप्पा, लोकसभा सदस्य सदानंद गौडा, उच्च शिक्षा मंत्री वीएस आचार्य, कानून और विधि मंत्री सुरेश कुमार एस, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अनंत कुमार, लिंगायत नेता ग्रामीण विकास मंत्री जगदीश शेट्टार और येदियुरप्पा की करीबी शोभा करंदलजे के नाम सामने आ रहे हैं। नेतृत्व परिवर्तन के बीजेपी आलाकमान के फैसले के बाद मुश्किलों से घिरे येदियुरप्पा ने मंत्रिमंडल के अपने सहयोगियों और करीबी विधायकों के साथ विकल्पों के बारे में सलाह-मशविरा जारी रखा। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि संसदीय बोर्ड ने सर्वसम्मति से फैसला किया कि येदियुरप्पा का पद पर बने रहना अनुचित है, क्योंकि इसके कारण भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा की लड़ाई पर असर पड़ रहा है। नेताओं ने कहा कि पार्टी येदियुरप्पा की रजामंदी के बिना किसी नेता का चयन कर हालात को और मुश्किल नहीं बनाना चाहेगी।

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