भारत की इकॉनमी को हमारी सेविंग्स करने की आदत से बड़ा सहारा मिलता है. लॉकडाउन में हमने पैसे भी बचाए और पैसे खर्च करने के नए तरीके भी सीखे. एक बार देखते हैं कि आखिर लॉकडाउन ने हमारे खर्च करने के तरीके और कंज्यूमर बिहेवियर पर कैसा असर डाला-
घर के खर्चों में कटौती
ET Money की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोनावायरस के बाद लगे लॉकडाउन में भारतीयों ने अपने घर के खर्चों सहित कुल खर्च में लगभग 40 फीसदी की कटौती कर ली. इसके पीछे बड़ी वजह दुकानों के बंद होने और बस इसेंशियल सर्विसेज़ के मूवमेंट को मिली मंजूरी रही. इसके अलावा एक यह तथ्य भी है कि लॉकडाउन ने लोगों की नौकरियों और आय पर बड़ी अनिश्चितता पैदा कर दी, जिसके चलते लोगों ने अपने खर्चों में कटौती करना शुरू किया.
जरूरी खर्चों के इतर की चीजों में कम हुआ मनी एक्सचेंज
लॉकडाउन के चलते शॉपिंग, डाइनिंग आउट, एंटरटेनमेंट वगैरह सबकुछ लगभग पूरी तरह बंद हो गया. लोगों के पास ऑनलाइन शॉपिंग और ऑनलाइन स्ट्रींमिंग का विकल्प था, जिसमें इस अवधि में और बड़ा कंज्यूमर बेस तैयार हुआ. अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद और अब भी, जब सबकुछ लगभग पहले की तरह सामान्य हो चुका है, बहुत से लोग अब भी इन चीजों पर खर्च करने से बच रहे हैं, जबकि एक मध्यमवर्गीय भारतीय परिवार पहले महीने में एक बार ऐसा खर्च जरूर करता था.
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Mckinsey and Company के सर्वे के मुताबिक, 65 फीसदी भारतीयों को लगता है कि अगले चार-पांच महीनों तक वो अपनी शौक की चीजों पर पहले की तरह पैसे खर्च नहीं कर पाएंगे. वहीं 64 फीसदी भारतीयों को लगता है कि अगले 4-5 महीनों तक उन्हें अपने घर के खर्चों में भी कटौती करके चलना पड़ेगा.
लोगों ने बदले ब्रांड और पैसे खर्च करने के तरीके
लॉकडाउन और पोस्ट-कोविड माहौल में लोगों ने अपनी ब्रांड लॉयल्टी बदली. यानी लोगों ने ब्रांड बदले और नई चीजों पर भरोसा जताया. Mckinsey की रिपोर्ट के मुताबिक, 94 फीसदी भारतीयों ने इस अवधि में अपने ब्रांड, स्टोर और शॉपिंग के दूसरे रास्ते बदले. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि लगभग 76 फीसदी भारतीय अभी भी पहले की तरह बाहर की सामान्य गतिविधियों में हिस्सा लेने से हिचक रहे हैं.
डिजिटल की आदत
नोटबंदी के बाद डिजिटल कैश ट्रांजैक्शन का भारत में बड़ा बेस तैयार हुआ लेकिन लॉकडाउन में इसे जबरदस्त पुश मिला है. सुरक्षा और जरूरत के लिहाज से लोगों ने ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म्स को एक्सेप्ट किया है. Mckinsey के सर्व में बताया गया है कि 25 फीसदी भारतीयों को कहना है कि वो पोस्ट कोविड माहौल में भी ऑनलाइन शॉपिंग और पेमेंट को वरीयता देंगे.
इसके अलावा, अधिकतर शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स ने सेफ्टी के लिहाज से डिजिटल ट्रांजैक्शन बढ़ावा दिया है. अनलॉक के बाद तो एमेजॉन, फ्लिपकार्ट और ग्रोसरी डिलीवरी ऐप्स ने भी कैश पेमेंट का ऑप्शन ही खत्म कर दिया था. लॉकडाउन ने लोगों को इस बदलाव को स्वीकार करने पर मजबूर किया है.
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