न्यूयॉर्क की पत्रकार टीना ब्राउन के साथ स्मृति ईरानी
नई दिल्ली:
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को उस वक्त खुद को असमंजस में पाया, जब देश की महिलाओं के बारे में उनकी टिप्पणी पर उन श्रोताओं ने असहमति जता दी, जिन्हें वह संबोधित कर रही थी।
दरअसल, स्मृति ने न्यूयॉर्क की पत्रकार टीना ब्राउन के साथ यहां एक कार्यक्रम में बात करने के दौरान कहा, ‘भारत में मुझे नहीं लगता कि किसी महिला से कहा जाता है कि उसे क्या पहनना, कैसे पहनना है, किससे मिलना है, कब मिलना है... मेरा यह विचार है, मुझे नहीं लगता कि किसी पर यहां हुक्म चलाया जाता है, आपसे नहीं कहा गया।’ वहां मौजूद कई महिलाओं ने मुखरता से मंत्री की टिप्पणी से असहमति जाहिर की, जब टीना ने उनका ध्यान इस पर आकृष्ट किया।
बाद में ईरानी ने दी सफाई...
हालांकि ईरानी ने पलट कर जवाब देते हुए कहा, ‘क्या आपसे कहा गया? मुझे माफ कीजिएगा। मुझे नहीं। मुझे माफ करना लेडीज।’ अपनी टिप्पणी को उचित ठहराने के लिए मंत्री ने कहा कि वह किसी प्रख्यात परिवार से नहीं आती बल्कि एक निम्न मध्यम वर्ग से आती है जिसने उन्हें अपना खुद का भविष्य तय करने को कहा।
हालांकि, मंत्री ने स्वीकार किया कि कुछ चुनौतियां हैं जिन्हें हर किसी को सामना करना है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के देशों को आगे बढ़ाए जाने और पीछे किए जाने का सामना करना होता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसे देशों तक में बयान आते हैं जहां छात्राओं को उत्तेजक कपड़े नहीं पहनने को कहा जाता है और अन्य को किसी के पहनने के अधिकार का सम्मान करने को कहा जाता है।
भारत अपनी चुनौती से वाकिफ है
उन्होंने कहा कि यह मानना आसान है कि घरेलू र्दुव्यव्यहार और कन्या भ्रूण हत्या जैसी समस्याएं ग्रामीण इलाकों में अधिक और शहरी इलाकों में कम हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण मुंबई जैसे समृद्ध इलाके में कन्या भ्रूण हत्या की दर ऊंची है। असहिष्णुता के मुद्दे पर पूछे जाने पर ईरानी ने कहा कि भारत अपनी चुनौती से वाकिफ है लेकिन यह उन चुनौतियों से कानून के शासन के जरिए निपटने में भी दक्ष है। उन्होंने कहा कि देश धर्मनिरपेक्ष है जहां उच्चतम पद तक की शपथ संविधान पर ली जाती है न कि धार्मिक पुस्तक पर हाथ रख कर।
प्रतिभा को पहचानते हैं पीएम मोदी
ब्राउन ने ईरानी से नरेन्द्र मोदी की उनके द्वारा अतीत में की गई आलोचना और उनके रुख में परिवर्तन करने वाले कारक के बारे में पूछा। ईरानी ने कहा कि उन्हें लगता है कि वह माफ करने और प्रतिभा को पहचानने की श्रीमान मोदी की क्षमता का जीवंत उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि साल 2004 में जब मोदी उनसे मिले थे तब उन्होंने उनसे अखबारों के आलेखों के जरिए नहीं, बल्कि उनके काम के जरिए निष्कर्ष निकालने को कहा था।
दरअसल, स्मृति ने न्यूयॉर्क की पत्रकार टीना ब्राउन के साथ यहां एक कार्यक्रम में बात करने के दौरान कहा, ‘भारत में मुझे नहीं लगता कि किसी महिला से कहा जाता है कि उसे क्या पहनना, कैसे पहनना है, किससे मिलना है, कब मिलना है... मेरा यह विचार है, मुझे नहीं लगता कि किसी पर यहां हुक्म चलाया जाता है, आपसे नहीं कहा गया।’ वहां मौजूद कई महिलाओं ने मुखरता से मंत्री की टिप्पणी से असहमति जाहिर की, जब टीना ने उनका ध्यान इस पर आकृष्ट किया।
बाद में ईरानी ने दी सफाई...
हालांकि ईरानी ने पलट कर जवाब देते हुए कहा, ‘क्या आपसे कहा गया? मुझे माफ कीजिएगा। मुझे नहीं। मुझे माफ करना लेडीज।’ अपनी टिप्पणी को उचित ठहराने के लिए मंत्री ने कहा कि वह किसी प्रख्यात परिवार से नहीं आती बल्कि एक निम्न मध्यम वर्ग से आती है जिसने उन्हें अपना खुद का भविष्य तय करने को कहा।
हालांकि, मंत्री ने स्वीकार किया कि कुछ चुनौतियां हैं जिन्हें हर किसी को सामना करना है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के देशों को आगे बढ़ाए जाने और पीछे किए जाने का सामना करना होता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसे देशों तक में बयान आते हैं जहां छात्राओं को उत्तेजक कपड़े नहीं पहनने को कहा जाता है और अन्य को किसी के पहनने के अधिकार का सम्मान करने को कहा जाता है।
भारत अपनी चुनौती से वाकिफ है
उन्होंने कहा कि यह मानना आसान है कि घरेलू र्दुव्यव्यहार और कन्या भ्रूण हत्या जैसी समस्याएं ग्रामीण इलाकों में अधिक और शहरी इलाकों में कम हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण मुंबई जैसे समृद्ध इलाके में कन्या भ्रूण हत्या की दर ऊंची है। असहिष्णुता के मुद्दे पर पूछे जाने पर ईरानी ने कहा कि भारत अपनी चुनौती से वाकिफ है लेकिन यह उन चुनौतियों से कानून के शासन के जरिए निपटने में भी दक्ष है। उन्होंने कहा कि देश धर्मनिरपेक्ष है जहां उच्चतम पद तक की शपथ संविधान पर ली जाती है न कि धार्मिक पुस्तक पर हाथ रख कर।
प्रतिभा को पहचानते हैं पीएम मोदी
ब्राउन ने ईरानी से नरेन्द्र मोदी की उनके द्वारा अतीत में की गई आलोचना और उनके रुख में परिवर्तन करने वाले कारक के बारे में पूछा। ईरानी ने कहा कि उन्हें लगता है कि वह माफ करने और प्रतिभा को पहचानने की श्रीमान मोदी की क्षमता का जीवंत उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि साल 2004 में जब मोदी उनसे मिले थे तब उन्होंने उनसे अखबारों के आलेखों के जरिए नहीं, बल्कि उनके काम के जरिए निष्कर्ष निकालने को कहा था।
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