देश में लॉकडाउन शुरू होने के बाद से कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खातों से 38,71,664 कर्मचारियों के 44,054.72 करोड़ रुपये के निकासी दावों का निपटारा किया गया. संसद को सोमवार को यह जानकारी दी गई. सरकार ने घातक कोरोनो वायरस प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च 2020 को देशव्यापी लॉकडाऊन लागू किया था. श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि अब तक 44,054.72 करोड़ रुपये के लिए कुल 38,71,664 ईपीएफ निकासी दावों का निपटारा किया गया है. उत्तर के अनुसार इन निकासी में कोविड-19 से जुड़े दावे भी शामिल हैं.
लॉकडाउन अवधि में 25 मार्च से 31 अगस्त तक 7,23,986 दावे महाराष्ट्र में किये गये थे जहां 8,968.45 करोड़ रुपये की अधिकतम राशि निकाली गयी. इसके बाद कर्नाटक में 4,84,114 दावों के तहत 6,418.52 करोड़ रुपये और तमिलनाडु (पुड्डुचेरी सहित) 6,20,662 दावों के लिए 5,589.91 करोड़ रुपये निकाले गये.
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इस दौरान दिल्ली में ईपीएफ निकासी के 3,16,671 दावों के तहत 3,308.57 करोड़ रुपये निकाले गये. सरकार ने ईपीएफ योजना, 1952 में संशोधन कर दिया था जिसके तहत ईपीएफ से कोविड अग्रिम लिया जा सकता है. यह अग्रिम राशि लौटाने की आवश्यकता नहीं है.
सरकार ने कोविड-19 संकट के दौरान लोगों को राहत पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के एक भाग के रूप में, ईपीएफ योजना में संशोधन किया. इसमें कर्मचारियों को अपने ईपीएफ खाते से तीन महीने के मूल वेतन और महंगाई भत्ते की राशि अथवा उनके ईपीएफ खाते में जमा कुल राशि का 75 प्रतिशत, जो भी कम होगी, उतनी राशि की निकासी की जा सकती है. इसी सुविधा के तहत भविष्य निधि खातों से यह निकासी हुई है.
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मंत्रालय ने कहा है कि कोविड- 19 संकट के दौरान श्रमिकों को राहत पहुंचाने के लिये और भी कई अन्य कदम उठाये गये. मार्च से अगस्त 2020 की अवधि में छह महीने के लिये कर्मचारियों के भविष्य निधि खाते में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की ओर से 12-- 12 प्रतिशत राशि सरकार की तरफ से जमा कराई गई.
यह राशि उन उद्यमों की जमा कराई गई जहां 100 से कम कर्मचारी काम करते हैं और ऐसे 90 प्रतिशत कर्मचारियों की कमाई 15,000 रुपये मासिक से कम थी. इसके साथ ही सरकार ने ईपीएफ में योगदान को भी 12 से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया था ताकि कर्मचारी के हाथ में ज्यादा नकदी मिल सके. यह प्रावधान मई, जून और जुलाई 2020 के लिये किया गया.
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