क्या प्रियंका गांधी ही अब कांग्रेस की खेवनहार बनने जा रही हैं? यह सवाल बीते 24 घंटे में कई बार चर्चा का विषय बन चुका है. राहुल गांधी के भट्टा पारसौल दौरे के बाद पहली बार कांग्रेस या गांधी परिवार का इतना बड़ा नेता संघर्ष करने के बाद जमीन पर उतरा था. लोगों को यह भी समझ में नहीं आ रहा था कि योगी सरकार को यह किसने सलाह दे दी कि प्रियंका को सोनभद्र हत्याकांड में मार गए लोगों के परिजनों से न मिलने दिया. वजह जो भी रही हो योगी सरकार ने अपने ही पाले में गोल कर लिया और प्रियंका को इसी बीच इंदिरा बनने का मौका मिल गया. जमीन पर तो कांग्रेस का इतना कॉडर बचा नहीं लेकिन सोशल मीडिया पर कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं में जरूर उत्साह देखा गया. इसी बीच पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ प्रियंका गांधी की फोटो भी कांग्रेस के नेता खूब शेयर कर रहे हैं. इंदिरा की यह तस्वीर 1977 की है.
Years ago, Indira Gandhi visited Belchi when the poor were victimised. And now who stands for the poor? It's @priyankagandhi pic.twitter.com/khxqxSVTNp
— PC Vishnunadh (@PCvishnunadh) July 20, 2019
बेलछी हत्याकांड के बाद फिर जिंदा हुई थी कांग्रेस
1977 में केंद्र में जनता पार्टी की सरकार थी. बिहार के बेलछी में 11 दलितों की हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद इंदिरा ने बेलछी जाकर मृतकों के परिजनों से मिलने का फैसला किया. लेकिन उनका दौरा आसान नहीं था क्योंकि बाढ़ की वजह से सारे रास्ते बंद थे. लेकिन इंदिरा नहीं मानीं और जीप-ट्रैक्टर और आखिर में हाथी में बैठकर वह बेलछी गांव पहुंची थी. उनकी यह तस्वीर आज भी सोशल मीडिया में दिख जाती है. इंदिरा का बेलछी गांव का दौरा कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुआ जिसने दोबारा सत्ता में आने के रास्ते खोल दिए.
#WATCH: Priyanka Gandhi Vadra met the family members of the victims of Sonbhadra firing incident that claimed lives of 10 people, in Chunar. pic.twitter.com/RhiLijLbm6
— ANI UP (@ANINewsUP) July 20, 2019
2019 में सोनभद्र कांड
लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पस्त पड़ी है और राहुल गांधी भी सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित हैं. कांग्रेस नए अध्यक्ष की तलाश में है. लेकिन दूसरी ओर प्रियंका गांधी हर बड़े मुद्दे पर मोर्चा थामे हुए हैं. सोनभद्र में जमीन कब्जाने के मामले में हुए हत्याकांड में मारे गए मृतकों के परिजनों से मिलने का जब उन्होंने फैसला किया तो ऐसा लगा कि यूपी सरकार हड़बड़ाहट में है. प्रशासन ने उनको ऊभा गांव जाने से रोक लगा दी और हिरासत में लेकर मिर्जापुर के चुनार गेस्ट हाउस भेज दिया. लेकिन प्रियंका गांधी धरने पर बैठ गईं. अधिकारी प्रियंका को मनाने की कोशिश कर रहे थे. आखिरकार पीड़ितों के परिजन ही उनसे मिलने चुनार आ गए. तब प्रशासन ने दो रिश्तेदारों को मिलने की इजाजत दी. यह एक तरह से प्रियंका गांधी की जीत थी. उनके मिलने के बाद प्रियंका ऐलान किया कि कांग्रेस की ओर से परिजनों को 10 लाख की मदद की जाएगी.
क्या इन आँसुओं को पोंछना अपराध है? pic.twitter.com/HdPAEkGJGj
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 20, 2019
क्या प्रियंका में है इंदिरा जैसी बात
बीते 24 घंटे प्रियंका का संघर्ष सुर्खियां बनता रहा है. पीड़ितों के परिजनों से मिलने की जिद और फिर उनका धरने पर बैठना कम से कम कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए जरूर ऊर्जा लेकर आया है. कई दिनों बाद कांग्रेस का कोई नेता शासन-प्रशासन से अकेले दम पर लोहा दिखा जबकि कांग्रेस के कथित युवा नेता सोशल मीडिया पर बयानबाजी ही करते नजर आए. हां धरने की समय सीमा बढ़ता देख दीपेंदर हुड्डा, जितिन प्रसाद, राज बब्बर और राजीव शुक्ला जरूर वाराणसी तक गए लेकिन उनको वहीं एयरपोर्ट में ही हिरासत में ले लिया गया. इधर प्रशासन भी प्रियंका को पीड़ितों के 2 परिजनों से मिलने की इजाजत दे चुका था. हालांकि प्रियंका को अभी इंदिरा कहना जल्दबाजी होगी लेकिन इस धरने में उन्होंने साबित किया है कि उनमें संघर्ष की क्षमता है.
क्या उत्तर प्रदेश में अब प्रियंका से ही आस
प्रियंका गांधी ने इस बात के संकेत साफ दे दिए थे कि अब वह उत्तर प्रदेश को ही अपना केंद्र बनाएंगी. लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी वह प्रचार की जिम्मेदारी संभाल सकती हैं. कुल मिलाकर अगर लोकसभा चुनाव में हार के बाद भी प्रियंका गांधी लगातार संघर्ष कर रही हैं तो यह कांग्रेस के लिए अच्छी बात है.
सोनभद्र हत्याकांड: पीड़ितों के परिजनों से प्रियंका गांधी ने की मुलाकात
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